मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

खास रिपोर्ट भाजपा की प्रगति के दुश्मन हें बीते ज़माने के चुके हुए नेता

भाजपा की प्रगति के दुश्मन हें बीते ज़माने के चुके हुए नेता


बाड़मेर राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता की और बढ़ते हुए कदमो को रोकने की जुगत में भाजपा के ही बीते हुए कल के चुके हुए नेता लगे हें ,इन नेताओ को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की लोकप्रियता पाच नहीं रही .जो जो नाम वसुंधरा के विरोध में आ रहे हें उनका राजनितिक इतिहास देख ले यह लोग जनता की कभी पसंद नहीं रहे चाहे यह अपने अपने क्षेत्रो में भले ही जीतते रहे हो मगर पुरे राजस्थान के सर्वमान्य नेता कभी नहीं बन पाए ,साथ ही यह नेता संघ के सहारे सिधिया चड़ने के आदी रहे हें ,गत चुनावों में भी इन चुके हुए नेताओं ने भरसक प्रयास किया वसुंधरा को नुक्सान पहुंचाने का मागे जो काम यह नहीं कर सके वो काम दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्रीजी ने कर दिखाया .भाजपा के सामने भाजपा के बागी उतारने का काम इन्होने ही किया ,इनका मकसद इतना ही था की हर सीट पर भाजपा को हराने जितने वोट लिए ज्काए ,इस बार वो स्थातिया नहीं हें ,गत चुनावों में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के सर पर वसुंधरा को हराने का ठीकरा फूटा था .मगर सच्चाई अब सामने आई ,बाड़मेर की सीट पर गंगाराम की टिकट के विरोध के अलावा जसवंत सिंह की कोई भूमिका नहीं रही ,खेतड़ी में जीतेन्द्र सिंह ,ब्पचापदारा में मदन प्रजापत ,क्यों जीते किसी ने विश्लेषण नहीं किया ,जैसलमेर ,सिवाना ,बाड़मेर ,आदी जगहों पर जो असंतुष्ट उम्मेदवार थे उनकी नजदीकिय किसके साथ थी ,कहने की जरुरत नहीं ,आज फिर ललित किशोर चतुएर्वेदी ,गुलाब चाँद कटारिया ,जैसे नेता वसुंधरा का विरोध कर भाजपा के बढ़ाते कदमो को रोकने का प्रयास कर रहे हें ,वसुंधरा राजे की लोकप्रियत के आगे इन नेताओं का कद बौना हो गया यही बात इन नेताओ को खाए जा रही हें ,जब्नता तो जनता हें अपनी पसंद के नेता का चुनाव वो करना जानती हें ,मगर भाजपा के शीश नेताओ को इनके मुंह बंद कने चाहिए ताकि भाजपा में अंतर्कलह न बढे ,जनता वसुंधरा के साथ हें यह बात दीगर हें

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