शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

हिंदी की बिंदी हें राजस्थानी भाषा




हिंदी के विकास में राजस्थानी भाषा का योगदान विषय पर गोष्ठी का आयोजन


हिंदी की बिंदी हें राजस्थानी भाषा


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति और जयनारायण व्यास महिला शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में हिंदी दिवस पर हिंदी के विकास में राजस्थानी भाषा का योगदान विषय पर गोष्ठी का आयोजन प्रेमजीत धोबी अधीक्षण अभियंता विद्युत् विभाग के मुख्य आतिथ्य ,डॉ हुक्माराम सुथार व्याख्याता की अध्यक्षता और थानाधिकारी विद्युत् विभाग सतर्कता भगाराम ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,दीप सिंह रणधा ,तथा छात्रा संघ अध्यक्ष रघुवीर सिंह तामलोर के विशिष्ठ आतिथ्य में महाविद्यालय प्रांगन में किया गया ,मुख्य वक्ता प्रेमजीत धोबी ने कहा की विश्व की सबसे संराध भाषा हिंदी हें ,हिंदी के विकास में राजस्थानी का विशेष योगदान हें ,प्राचीन ग्रंथो में राजस्थानी भाषा का प्रमाणिक उलेख मिलाता हें ,उन्होंने कहा की हिंदी साहित्य में से राजस्थानी साहित्य मीरा बाई ,चंदर बरदाई आदी को निकाल दे तो क्या रह जाता हें ,उन्होंने कहा की हिंदी हमारी राज भाषा हें तो राजस्थानी हमारी मायड़ भाषा हें जिसे उचित सामान संवेधानिक मान्यता देकर दिलाया जाएगा ,उन्होंने कहा की जिस प्रकार स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भारतीय संस्कृति का बखान हिंदी में किया था उसी में राजस्थानी संस्कृति का समावेश था ,इस अवसर पर डॉ हुक्माराम सुथार ने कहा की हिंदी को राष्ट्र भाषा का संवेधानिक दर्जा हासिल नहीं हें हिंदी विश्व स्तर की भाषा बन चुकी हें ऐसे में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में अब अपना लेना चाहिए उन्होंने कहा की हिंदी के ख्यातनाम कवी नामवर सिंह ने कहाथा की हिंदी की जननी राजस्थानी भाषा हें ऐसे में माँ का दुत्कार और बेटी का सम्मान भारतीय परंपरा को नहीं दर्शाता ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा को मान्यता देकर ही हिंदी का मान बढ़ाया जा सकता हें .इस अवसर पर थाना अधिकारी भगाराम ने कहा की हिंदी के मान सामान के साथ राजस्थानी भाषा के भारतीय साहित्य में योगदान को भुलाया नहीं जा सकता ,दीप सिंह रणधा ने कहा की हिंदी की माँ राजस्थानी हें ,माँ घर पर हो और बेटी का सम्मान हो यह किसी भी पुत्र पुत्री को गवारा नहीं ,हिंदी के मान सम्मान में राजस्थानी को मान्यता देने से बढ़ोतरी होगी ,हम राज भाषा हिंदी का सम्मान करते हें हिंदी हमारा राष्ट्रीय गिरव हें तो राजस्थानी हमारी मायद भाषा हें ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ने कहा की राजस्थानी का इतिहास और भारतीय संस्कृति और साहित्य में अहम् योगदान हें जिसे भुलाया नहीं जा सकता ,उन्होंने कहा की हिंदी के माथे की बिंदी राजस्थानी हें इस अवसर पर चन्दन सिंह भाटी ने कहा की हिंदी हमारी राष्ट्रिय भाषा हें जिसका सामान हम करते हें मगर राजस्थानी की अनदेखी को अब बर्दास्त नहीं किया जाएगा ,राजस्थानी भाषा को मायद भाषा के रूप में संवेधानिक दर्जा देना ही होगा रघुवीर सिंह तामलोर ने कहा की विदेशो में हिंदी सप्ताह पन्द्र दिन का मनाया जा रहा हें जिसमे सात दिन के आयोजन हिंदी और सात दिन राजस्थानी भाषा में आयोजन किये जा रहे हें मगर अपनी ही धरा पर राजस्थानी बेगानी हें ,उन्होंने कहा की महाविद्यालय में मनाये जाने वाले हिंदी सप्ताह के समस्त आयोजन राजस्थानी भाषा के विषयो पर ही आधारित हें ,इस अवसर पर महाविद्यालर प्राचार्य श्याम दास ने कहा की राजस्थानी और हिंदी भाषा का मिलन अनोखा हें ,इस अवसर पर महाविद्यालय की अमीना ने,नेहा ,राधा ने कविता पाठ ,संगीता चौधरी ,रीना कोठारी ने भाषण प्रगति और चंचल ने कविता पाठ किया ,इस अवसर पर अनिल सुखानी ,हितेश आचार्य ,विजय कुमार ,रमेश सिंह इन्दा ,अशोक सारला ,आवड सिंह सोढ़ा, ,चेतन सिंह ,मदन नाथ गोस्वामी सहित कर पदाधिकारी उपस्थित थे ,कार्यक्रम का सञ्चालन ज्योति खत्री और रीना कोठारी ने किया

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