शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

सरहदी रेगिस्तान में सूखे की दस्तक...देखिये सूखे की तस्वीरे

देखिये सूखे की तस्वीरे 

सप्ताह में बारिश न हुई तो हालत होंगे विकट 


सरहदी रेगिस्तान में सूखे की   दस्तक








बाड़मेर राजस्थान के रेगिस्तान में जिले बाड़मेर में सूखे ने दस्तक दे दी है. भारत -पाकिस्तान के लोग इन दिनों इस दशक के सबसे भयंकर अकाल के साये में हैं। मानसून मेहरबान नहीं होने से खेती से आजीविका करने वाले हजारों परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तो कुछ गांवों में लोग बारिश की आस छोड़ रोजगार के लिए पलायन का मानस बना चुके हैं। सावन सूखा बीतने के बाद बुवाई की उम्मीदें तो खत्म हो गई है,नतीजतन गांवों में चारा, पानी का भीषण संकट खड़ा हो गया है। अगर सरकार ने अगले दो - तीन दिन में कोई चारे पानी का कोई इंतजाम नहीं किया तो मवेशियों के साथ इंसान का जीना भी द्रुभर हो जाएगा

ये बाड़मेर हैं सीमावर्ती गाँव जहां रेगिस्तान सैकड़ों मील तक अपने एकछत्र राज के कारण थार का नाम पा चुका हैं इस बार यहाँ बारिश न होने से यहां के खेत सूख गए हैं। जानवरों के लिए चरागाह भी नहीं बचे हैं। खेती और पशुपालन के सहारे अपनी जीविका चलाने वाले लोगों ने मवेशियों को किस्मत के सहारे छोड़ दिया है क्यूंकि यहाँ पानी तक नहीं बचा।दरअसल बाड़मेर जिले में कई गांवों के लोग सूखते कुओं के कारण अब प्रशासन के टैंकरों पर निर्भर हैं। बोर्डर के गाव में रहने वाले रेखाराम के अनुसार इस बार इंद्र देवता नाराज हो गए गई बारिस की एक बूंद नहीं हुई है मवेशियों के लिए चारा नहीं और हमारे कुए तालाब और नाडिया सुख गई है अब राम तो रूठ गया है अब तो सिर्फ राज से उम्मीद है कि वह हमारे लिए कोई रहात शिविर खोलो और मवेशियों के लिए चारे पानी का इंतजाम करे

पाक सरहद से लगे गाँवो में  रहने वाले ग्रमीणों का कहना है कि पुरे इलाके में बारिश कि एक बूंद नहीं हुई है इस बार भयंकर अकाल है पानी की एक बूंद के लिए भी तरसना पड़ रहा है खेतो की जमीने बंजर हो गई है अब बारिश कोई उम्मीद भी नजर नहीं नहीं आ रही है लक्ष्मी के अनुसार अब मवेशी मारने की कगार पर है सरकार इनके लिए कोई इंतजाम करे नहीं तो इनके मारने की खबरे रूज आने लगेगी



राजस्थान के सबसे सूखे जिले बाड़मेर के प्रशाशन स्तर पर सूखे के संकट से निपटने को लेकर कार्ययोजना तैयार नहीं की गई है। बाड़मेर के जिले कलेक्टर वीना प्रधान के अनुसार जिले में बारिश न के बराबर हुई है हालात बेहद चिंताजनक है अभी तक हमने कोई कार्य योजना नहीं बनाई है अब हम इस हालात के बारे में सरकार से बातचीत कर जल्द ही कोई कार्य योजना तैयार करगे



अकाल से उपजी निराशा के बीच ये लोग किसी राहत योजना कि उम्मीद कर रहे हैं यही उम्मीद लोगों के लिए आशा की किरण हैं। बताया जाता है कि अगर जल्दी ही योजनाएं नहीं शुरू हुई तो हजारों लोग और लाखों पशुओं का जीवन संकट में पड़ सकता हैं

आंकड़े 
बाड़मेर के कुल 17 लाख 26 हजार हेक्टेयर भूमि में खरीफ बुवाई का लक्ष्य तय किया गया था। मगर मानसून की बेरुखी के चलते लक्ष्य पचास फीसदी घट गया है। साथ ही 95 फीसदी गांवों में बुवाई शुरू नहीं हो पाई हैं। इतना ही नहीं बाड़मेर में 5 हजार हेक्टेयर भूमि में बोई गई खरीफ की फसल भी बारिश के अभाव में सूखने लगी है। जबकि 95 फीसदी गांवों में बारिश के अभाव में खेत सूने है।

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