शनिवार, 14 मई 2011

खड़गदा की जीवी को मिला जीने का आसरा


खड़गदा की जीवी को मिला जीने का आसरा

डूंगरपुर, 14 मई/माता-पिता ने उस बेटी की इस उम्मीद के साथ शादी करवाई थी कि उसका भी अपना घर-परिवार हो और उसकी संतानें वृद्धावस्था में उसकी सेवा करें परंतु पति की बेरूखी ने उसकी तमाम उम्मीदों को धूल धूसरित कर दिया। शादी के कुछ ही दिनों के बाद पति द्वारा अपने हाल पर छोड़ दी गई डूंगरपुर जिलान्तर्गत सागवाड़ा पंचायत समिति के खड़गदा गांव की जीवी का अपना घर-परिवार सजाने का सपना ताउम्र सपना ही रह जाता अगर सरकार ने उसे इंदिरा आवास की सौगात न दी होती।
छोटी उम्र में ही शादी और उस पर पति की साथ छूट जाने के बाद जीवी को उसके भाई  दितीया ने सहारा देकर जीवन जीनें का  हौंसला दिया। भोजन और कपड़े की आवश्यकताएं अपने भाई द्वारा पूर्ण कर दिए जाने के बाद भी उसके मन में हमेशा ही उसके खुद का घर नहीं होने का मलाल रहता था। संघर्षों और उम्मीदों के द्वंद्व के बीच सरकार का साथ जीवी को जीवन जीने का आसरा प्रदान कर गया। बीपीएल परिवार और पात्राता सूची में सम्मिलित होने के कारण ग्राम पंचायत द्वारा जिस दिन उसके इंदिरा आवास स्वीकृत किए जाने की जानकारी दी गई थी उस दिन उसे लगा कि ईश्वर भले ही उससे रूठा हो लेकिन जब सरकार ने साथ दिया तो उसे जीवन का आधार मिल ही गया।
ग्राम पंचायत द्वारा इंदिरा आवास के लिए राशि दी गई तो उसने खुशी-खुशी अपने सपनों का आशियाना बनाया। आज उसके पास अपने खुद का घर है तो दूसरी ओर उसके भाई ने अपने पुत्रा अशोक को उसे गोद देकर उसकी संतान की कमी को भी पूरा कर दिया है। अस्वस्थता के कारण परित्यक्ता जीवी अब चल-फिरने में अक्षम है परंतु उसका दत्तक पुत्रा अशोक अब उसकी देखरेख करता है। जीवी बताती है कि उसके भाई ने हौंसला तो सरकार ने उसका साथ देकर जीने का आसरा प्रदान किया है जिसे वह जिंदगी भर नहीं भूलेगी।
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