मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

बाडमेर सहकारी भण्डार में 1करोड 27 लाख का गबन



बाडमेर सहकारी भण्डार में 1करोड 27 लाख का गबन
बाडमेर बाडमेर जिले के सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार में एक करोड 27 लाख के गबन का मामला सामनें आया हैं।विभाग द्घारा इस मामले की पुश्टि के साथ ही विभाग नें राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 57 के तहत दर्ज कर लिया हैं।इस मामलें में विभाग द्घारा तत्कालीन व्यवस्थापक और लेखापाल को गबन का दोशी ठहराया गया हैं।
सयुक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियॉ जसेधपुर उमराव सिंह चारण नें बताया कि स्क्रीनिंग कमेटी नें सहकारी दपभोक्ता होलसेल भण्डार बाडमेर की ऑडिट रिपोर्ट में वशर 200809 के पैरा 19:2;7 (6) के अनुसार कस्टमर चारा लेनदारी के लि लेखापाल पुखराज दवे तथा तत्कालीन व्यवस्थापक प्रेमसिंह चौधरी के विरूद्ध एक करोड सताइस लाख रूप्ये के गबन करने का मामला दर्ज किया गया हैं।
उनहोने बताया कि इन दोनों नें संस्था के उपनियमों तथा जिला कलेक्टर के निर्दों के विरूद्ध जाकर स्वयं सेवी संस्थाओं को अपने अधिकार क्षैत्र से बाइर जाकर चारा वितरण किया।जिसकी वसूली के प्रयास तक नही किए गयें।चारण के अनुसार कमटी ने निर्णय लिया कि आडिट रिपोर्ट कें अनुसार वशर 200809 के पैरा 19,2,7(6) में आऐं तथ्यों के अनुसार भण्डार के इन दोनों कर्मचारियों नें 1,27,14,269 रूप्यें की राी का गबन होना सपश्ट होता हैं।गौरतलब हैं कि भण्डार द्घारा अकाल राहत के तहत जिला प्रासन द्घारा पाुओं की सहायतार्थ चलाऐं पु िविरों में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से चारा बडी मात्रा में आपूर्ति किया गया था।सवयं सेवी संस्थाओं द्घारा भूंगतान कर दिया गयाएमगर उक्त भुगतान भण्डार में जमा नही कराया।करोडो रूप्यों की उधारी वसूली कें जब भण्इार नें संस्थाओं के विरूद्ध नोटिस निकाले तब संस्थाओं द्घारा अवगत कराया गया कि वें अपना भुगतान कर चुके हैं।भण्उार के इन कर्मचारियों सक्रीनिंग कमेटी के समक्ष बयान तथा अपना पक्ष रखनें का पूर्ण अवयर दिया गयाएजिसमें तत्कालीन व्यवस्थापक नें अपना पक्ष रखा मगर लेखापाल नें अपना कोई पक्ष कमेटी के सामने नहीं रखा।जिससे अपरोक्त राी का गबन और अनियमितताऐं स्पश्ट सामने आई।इनके खिलाफ विभाग नें मामला दर्ज कर बयाज सहित वसूली की कार्यवाही आरम्भ कर दी हैं।
सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार व्यवस्थापक अर्जुन सिंह ने बताया कि भण्डार के पास चारा आपूर्ति का समस्त रिकार्ड अपलब्ध ही नही हैं।सवयं सेवी संस्थाओं नें स्पश्ट कहा कि इनके द्घारा भुगतान किया जा चुका हैं।विभाग ने तत्कालीन व्यवस्थापक और लेखापाल को गबन का दोशी ठहराया हैं।उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया हैं।

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