भक्ति रस के महान कवि महात्मा ईसरदास भादरेश का भादरेश में 225.80 लाख से बनेगा भव्य पैनोरमा ,निविदा जारी
भक्ति रस के महान कवि महात्मा ईसरदास भादरेश का भादरेश में 225.80 लाख से बनेगा भव्य पैनोरमा ,निविदा जारी
दस साल का इंतज़ार खत्म ,2014 में लखावत ने की थी घोषणा ,पूर्व वित् मंत्री स्व जसवंत सिंह का सपना होगा पूरा
चन्दन सिंह भाटी
बाड़मेर पंद्रहवी सदी के भक्ति रस के महान कवि महात्मा ईसरदास जी का उनके पैतृक गांव भादरेश पुनसिया में दस साल के लम्बे इंतज़ार के बाद अब भव्य पैनोरमा बनने का रास्ता साफ़ हो गया ,राजस्थान धरोहर प्राधिकरण ने ईशरदास के जीवन पर आधारित भव पैनोरमा निर्माण के लिए जारी कर दी हैं ,महात्मा ईसरदास का पैनोरमा 225.80 लाख की लागत से निर्मित होगा ,इसके लिए विशेष शर्ते लागु की गयी हैं ,
वर्ष 2014 में राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति बाड़मेर द्वारा चारण छात्रावास में आयोजित भव्य कार्यक्रम और उसके बाद भादरेश गांव मे 556 वीं जयंती समारोह समारोह में तत्कालीन राजयसभा संसद ओंकार सिंह लखावत वर्तमान अध्यक्ष राजस्थान धरोहर प्राधिकरण द्वारा भादरेश में महात्मा ईसरदास के स्मारक बनाने घोषणा की थी ,इसके लिए जिला कलेक्टर बाड़मेर द्वारा जमीन आवंटन भी मगर पेचीदगियों के चलते स्मारक निर्माण का कार्य अटक गया ,भजनलाल सरकार ने इस वर्ष बजट घोषणा में महात्मा ईसरदास के जीवन आधारित निर्माण की घोषणा की थी ,जिसको धरातल पर उतारते हुए प्राधिकरण ने निविदा जारी हैं ,अगले एक साल में यह पैनोरमा बनकर तैयार हो जायेगा ,
जमीन आवंटन 2016 में
तत्कालीन जिला कलेक्टर ने ईसरदास के भव्य स्मारक के लिए जालीपा में पांच बीघा जमीन आवंटित की जिसके खिलाफ जालीपा के लोग न्यायालय में गए थे इसके बाद जिला कलेक्टर ने पत्र क्रमांक 6930 /30 सितम्बर 2016 को उक्त आवंटन ख़ारिज कर भादरेश पुनसिया में खसरा 179 /149 में पांच बीघा जमीन आवंटित की थी , राजस्थान धरोहर प्राधिकरण इसी जमीन पर भव्य कराएगा ,पैनोरमा निर्माण प्लान और योजना तैयार होने के बाद इसकी निविदा जारी की गयी ,हैं
पूर्व वित् मंत्री स्व जसवंत सिंह का सपना होगा पूरा
पूर्व वित्व विदेश मंत्री स्व जसवंत सिंह महात्मा ईसरदास भक्त थे ,जसवंत सिंह उनके मंदिर भादरेश में धोक देने जाते थे ,जसवंत सिंह भादरेश में महात्मा ईसरदास का भव्य स्मारक बनाने का सपना देखा था ,जसवंत सिंह जब निर्दलीय चुनाव लड़े उस वक़्त महात्मा ईसरदास द्वारा घोड़े सहित जल समाधी से पूर्व उच्चारित दोहे ईसर घोड़ा झोकिया महासागर रे मायीं ,तारण हारो तारसी सांयो पकड़ बांय उनके पोस्टरों पर प्रमुखता सेप्रचारित किया था ओंकारदान लखावत जसवंत सिंह के काफी करीब रहे हैं ,
कौन थे महात्मा ईसरदास
बाडमेर जिले में भक्ति रस कें कवि संत ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में रही संत रोहडिया भाखा के चारण कवि ईसरदास का जन्म बाडमेर के भादरेस में विक्रम संवत 1595 में हुआ था।इनके जन्म संवत की पुश्टि करने वाला यह दोहा बडा प्रसिद्ध हैं
पनरासौ पिचयाणवै ,जन्मो ईसरदास।
चारण वरण चकोर में ,इण दिन हुवौ उजास॥
चारण जाति में कवि ईसरदास का नाम के प्रति बडी श्रद्घा और आस्था हैं।उनके जन्म स्थल भादरेस में भव्य मन्दिर इसका प्रमाण हैं। जहॉ प्रति वशर बडा मेला लगता हैं।ईसरदास प्रणीत भक्ति रचनाओं में हरिरस,बाल लीला ,छोटा हरिरस,गुण भागवतहंस,देवियाण,रास कैला,सभा पर्व,गरूड पुराण,गुण आगम,दाण लीला आदि लोक.प्रसिद्ध.रचनाऐं हैं।हरिरस ग्रन्थ को अनूठे रसायन की संज्ञा दी गई हैं।
ईसरदास के मध्य कालीन साहित्य में वीर ,भक्ति टौर श्रृंगार रस की त्रिवेणी का अपूर्वयसंगम हुआ हैं।इनके साहित्य में वीर रस के साथ साथ भक्ति की भी उच्च कोटि की रचनाऐं प्रस्तुत की हैं।भक्ति कवि ईसरदास का हरिरस भक्ति की महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं तो तो उनकी रचना हाळा झाळा री कुण्डळियॉ वीर रस की सर्वश्रैश्ठ कृतियों में गिनी जाती हैं। यह छोटी पचना होते हुऐ भी डिंगळ का वीर रसात्मक काव्य कृतियों में सर्वश्रैश्ठ मानी जाती हैं।काव्य कला की दृश्टि यें इनके द्घारा रचे गये गीत भी साधारण महत्व कें नही हैं।उनकें उपलब्ध गीतों के नाम इस प्रकार हेैं गीत सरवहिया बीजा दूदावत रा ,बीत करण बीजावत रा,गीत जाम रावळ लाखावत रा,आदि। ईसरदास उन गीत रचियताओं में से हैं ,जो अपने भावों को विद्धतापूर्ण ंग से प्रकट करतें हुऐं भी व्यर्थ के भाब्द जंजाल तथा पांडिल्य प्रदार्न से दूर रहे हैं। ईसरदास का रचनाकाल 16 वीं भाताब्दी का प्रथम चरण हैं।इस समय में पुरानी पिचती राजस्थान ने अपना रूवतंत्र रूप निर्माण कर लिया था।अत; भाशा के अध्ययन की स्फूट गीत रचनाऐंब डा महत्व रखती हैं। ईसरदास मुख्यत; भक्तकवि हैं।इसलिए उन्होने अपनी वीर ेरसात्मक रचनाओं में किसी प्रकार के अर्थ लाभ का व्यवहारिक लगाव न रखते हुऐ सर्वथा स्वतंत्र और सच्ची अभिव्यक्ति प्रदान की हैं।
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