वन्य जीवों को समर्पित एक शख्स सुमेर सिंह भाटी सांवता ,जीवों पर जान लुटाते हे

 वन्य जीवों को समर्पित एक शख्स  सुमेर सिंह भाटी सांवता ,जीवों पर जान लुटाते हे


 चन्दन सिंह भाटी


 जैसलमेर वन्य जीवों के सरंक्षण  केवल विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव और वन्य जीवन के बीच एक संतुलन बनाने की भी प्रेरणा देता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाना आवश्यक है। जब हम वन्य जीवन की रक्षा करते हैं, तो हम अपने पर्यावरण और स्वयं के भविष्य की रक्षा कर रहे होते हैं।


  जैसलमेर  जैव विविधताओं के परिपूर्ण जैसलमेर के छोटे से गांव सांवता निवासी छोटे कद के सुमेर सिंह भाटी ने अपना जीवन  वन्य जीवों और ओरण सरंक्षण  समर्पित कर विश्व भर में पर्यावरण सरंक्षण में अपनी खास पहचान बनाई हैं सुमेर  दिन-रात वन्यजीवों की रक्षा में जुटे रहते हैंजैसलमेर की सत्तर हजार बीघा में फैली विख्यात ओरण देगराय में हजारों वन्य जीव असर लिए हैं ,यहां प्रतिवर्ष सत्तर  प्रजाति के हजारों प्रवासी पक्षी आश्रय लेने आते हैं ,इन प्रवासी पक्षियों का सुमेर सिंह पूरी तरह ख्याल रखते हैं ,दिन भर ओरण के एक कोने से दूसरे कोने तक आसपास के गांवों में चक्कर लगाते हे ,जंहा कहीं भी इन्हे घायल वन्य जीव दीखता हैं ,उसका उपचार  सरंक्षण प्रदान करते हैं ,जब तक  ठीक नहीं होता उसकी बच्चों की तरह देखभाल करते हैं बीते एक दशक से वन्यजीवों और पशु-पक्षियों का निशुल्क इलाज कर रहे हैं. उन्होंने अपना जीवन वन्यजीवों को समर्पित कर दिया है. इसी जूनून के चलते सुमेर सिंह भाटी ने पर्यावरण और वन्य जीव सरंक्षण  क्षेत्र में उन्होंने ऐसी पहचान बनाई कि अब उन्हें राष्ट्रिय अन्तराष्ट्री स्तर पर आयोजित  होने वाली कार्यशालाओं ,और समारोह में इन्हे बुलाया जाती हे ,सुमेर सिंह भाटी ने देगराय मंदिर से आगे विश्व का पहला गोडावण स्मारक बनाया हे जो वन्य जीव प्रेमियों के लिए आकर्षण


इनका किया उपचार :


सुमेर सिंह ऐसा शक्श हे  जिसने अपना जीवन ओरण और वन्य जीवों को समर्पित कर दिया , जब से इन्होने  होश संभाला ये वन्य जीवों के बीच ही रहने लगे ,वन्य जीवों के सुरक्षा ,भोजन आदि की व्यवस्था में लगे रहते ,अब तक सेकड़ो वन्य जीवों और प्रवासी पक्षियों का इन्होने रेस्क्यू कर उनका जीवन बचाया ,वन्य जीवों के प्रति उनका लगाव देखते बनता हैं ,खतरनाक से खतरनाक वन्य जीव इनके स्नेह के आगे नतमस्तक हो जाता ,हैं ,रसाला ,सांवता ,छोडिया सहित दर्जनों गांवों के  क्षेत्र में बेजुबान घायल  जीवों का उपचार करने जाते है. इन पशुओं के उपचार में काम आने वाली दवा और अन्य खर्चे वो खुद वहन करते हैं.


 

 सुमेर सिंह भाटी का कहना हे  कि वन्य जीव प्रकृति की धरोहर है, इन्हें बचाना परम कर्तव्य है. ये बचेंगे तभी आने वाली पीढ़ियां इन्हें देख पाएंगी, वरना ये सिर्फ फोटो तक सिमट कर रह जाएंगे. चूंकि आजकल जंगलों का विनाश हो रहा है, ऐसे में उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें और वन्यजीवों की रक्षा करें.  इस कार्य में उनका साथ दे रहे भोपाल सिंह झालोरा और पार्थ जगानी ,साथ ही  जैसे ही कोई वन्य जीव ,पशु पक्षी घायल होता हे ग्रामीण सीधे सुमेर सिंह को सूचित करते हैं ,बिना पल गंवाए भाटी घायल वन्य जीवों तक पहुंच उनका रेस्क्यू करते हैं ,


जीवों के प्रति उनका इतना स्नेह हे की कोई भी वन्य जीव पशु पक्षी  आसानी से बिना डरे आता हैं ,भाटी पक्षियों से बाते भी करते हैं , एक दशक  से अधिक समय तक इन वन्य जीवों के बीच रहते हुए भाटी अब इनकी बॉडी लेंवेज के साथ इनकी भाषा को भी  समझने लगे हैं ,विगत दिनों सबसे खतरनाक प्रवासी पक्षी सेनेरियन गिद्ध जो पल भर में इन्शान को खा जाता हे के साथ इनका बाते करते ,स्नेह लुटाते हुए  वीडियों जबरदस्त वायरल हुआ ,सहसा कोई विश्व नहीं करता की गिद्ध के साथ किसी का ऐसा दोस्ताना हो सकता हैं

 

उन्होंने बताया कि  वन्य जीवों को बचाने के लिए हमें उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने, अवैध शिकार और तस्करी को रोकने तथा सतत विकास की नीतियों को अपनाने की आवश्यकता है। सरकारों, संगठनों और आम नागरिकों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि वन्य जीवों की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें और वन्य जीवों के संरक्षण में योगदान दें।वन्य जीवों का संरक्षण केवल उनके अस्तित्व की रक्षा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण पहलू भी है। यदि वन्य जीव संरक्षित रहेंगे, तो पृथ्वी पर प्राकृतिक संतुलन भी बना रहेगा और मानव सभ्यता को भी इसका लाभ मिलेगा। इसलिए, हमें वन्य जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के इस गहरे संबंध को समझते हुए संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।


भाटी ने बताया कि कम्पनियो द्वारा वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के कारण अनेक जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया है। जंगलों का सिकुड़ना, बढ़ता शहरीकरण और औद्योगीकरण जीवों की आबादी पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर पहुँच चुकी हैं, जबकि कुछ पहले ही दुनिया से लुप्त हो चुकी हैं। यह समस्या न केवल वन्य जीवों के लिए बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।


फोटो sumer

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