स्वर्णनगरी में होली का धमाल शुरू, दुर्ग स्थित नगर अराध्य लक्ष्मीनाथ मंदिर में महारावल चैतन्यराज सिंह ने फागोत्सव की शुरुआत की

 स्वर्णनगरी में होली का धमाल  शुरू, दुर्ग स्थित नगर अराध्य लक्ष्मीनाथ मंदिर में महारावल चैतन्यराज सिंह ने फागोत्सव की शुरुआत की


 चंदन सिंह भाटी

जैसलमेर: स्वर्णनगरी में होली का धमाल दिखाना शुरू हो गया है. आज आंवला ग्यारस से होलिकाष्टक से होली की धूम भी शुरू हो चुकी है. इन दिनों दुर्ग स्थित नगर अराध्य लक्ष्मीनाथ मंदिर में फाग की धूम है.नगर आराध्य सएत लक्ष्मीनाथ मन्दिर में पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह ने गुलाल अबीर के साथ लक्ष्मीनाथ के साथ होली खेल परंपरा का निर्वहन किया।इस अवसर पर पारंपरिक वेशभूषा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं सहित जैसलमेर की होली के रसिया मंदिर में चल रहे फागोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे. मंदिर परिसर फाग के दौरान श्रद्धालुओं से खचाखच भरा नजर आया. ब्रजभाषा सहित विभिन्न छंदों पर ठाकुरजी के साथ फाग के गीतों की धूम है.



अष्टमी से शुरू हुई फाग की धूम होली तक जारी रहेगी:



लक्ष्मीनाथजी के मंदिर में अष्टमी से शुरू हुई फाग की धूम होली तक जारी रहेगी. इस दौरान विभिन्न फाग के गीतों के पर तबले झांझ के साथ समा बांधा जाता है. बड़ी संख्या में होली के रसिया फागोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. फाग के दौरान मंदिर में फाग खेलते हैं. माना जाता है कि फाग के दौरान खुद लक्ष्मीनाथ जी श्रद्धालुओं के साथ फाग खेलते हैं.  हिंदू कैलेंडर के हिसाब से ग्यारस तिथि को जैसलमेर के राजपरिवार के पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह  द्वारा लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में फाग खेली गई. इसके बाद से ही परंपरागत गैरें निकलेंगी.


लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर से होली का श्रीगणेश:


होली के रसियों द्वारा जेसलमेर रियासत के पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह ने लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर पहुंचकर परंपरागत रूप से होली का श्रीगणेश किया. इसके बाद से धुलंडी तक मंदिर में होली की धूम रहती है. मरूप्रदेश के लोक जीवन में भिन्न भिन्न पर्वो, त्योहारों और मेले मगरियों में गीतों का महत्व है, ठीक उसी तरह होली के पर्व पर भी यहां के लोग अपने कठोर जीवन को सरल बनाकर फाग के गीतों में रम जाते हैं. लक्ष्मीनाथ मंदिर में सदियों से सूरदास, मीरा, चन्द्रसखी आदि कवियों के ब्रज और राजस्थानी में रचे हुए गीत गाए जाते हैं.  


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