चूंधी नदी में खनन माफियों का जोर ,धार्मिक महत्व की इस नदी को भी खोद डाला
जैसलमेर जिले में खनन माफियां राजनैतिक और प्रशासनिक सरंक्षण के चलते बेखौफ नजर आ रहे हे ,खनन माफिया न तो आवासीय कॉलोनियों को बक्श रहे न ही नदियों को ,नदियों में से अवैध रूप से पत्थर निकलने का बड़ा मामला सामने आया इसके बावजूद जिला प्रशासन और खनिज महकमा चुप्पी साधे हैं ,जिससे खनन माफियों के हौसले बुलंद हैं
जानकारी के अनुसार जैसलमेर में आराध्य चूंधी गणेश एक मात्र ऐसा चमत्कारी मंदिर हे जो नदी के बीच में स्थापित हैं ,बरसात के दिनों में नदी के जल से इनका अभिषेक होता हैं ,इस पवित्र काक नदी का पानी क्षेत्र के खडीनों में जाता हैं ,जहाँ किसान चने और गेंहू की फसल लेता हैं ,जल सरंक्षण की अद्भुत खड़ीं पद्धति पुरे भारत सिर्फ जैसलमेर में ,हैं चूंधी की काक नदी का ताल पत्थरीला हैं ,फ़िलहाल नदी सुखी हैं ,इस पत्थर उच्च श्रेणी का माना जाता हैं ,खनन माफियों की नजर अब काक नदी के पत्थरों पर पड़ी हैं ,इन दिनों काक नदी में जमकर पत्थरों का अवैध खनन हो रहा हे जिसकी सुचना खनिज विभाग के अभियंता को कई मर्तबा दी गयी मगर विभाग कार्यवाही करने में कोई रूचि नहीं दिखा रहा ,सूत्रानुसार खनन माफियाओं को राजनैतिक और प्रशासनिक सरंक्षण प्राप्त हे इसीलिए उन्हें किसी का खौफ नहीं ,खनन माफिया लगातार अवैध खनन में जुटे हैं
नदी में अवैध खनन के चलते मानसून के समय होने वाली बरसातों में इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा और पूरा बहाव क्षेत्र खत्म हो जायेगा ,खनन माफियों द्वारा काक नदी के तल से पत्थर निकालने का क्रम जारी हैं ,समय रहते खन्ना माफियों के खिलाफ की गयी तो का अस्तित्व ख़त्म हो ,जायेगा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की इस वेदकालीन नदी का जिले में बड़ा धार्मिक महत्व भी हैं ,
जैसलमेर शहर से 12 किमी दूर चूंधी गांव में भगवान गणेश का मंदिर है। मान्यता है कि यहां हर मन्नत पूरी होती है। बताया जाता है कि मंदिर 1400 साल पुराना है। काक नदी के बरसाती वेग से गणेश भगवान की मूर्ति प्रकट हुई थी। दशकों से यहां पूजा अर्चना की जा रही है।
बारिश के दिनों में काक नदी का पानी इस मंदिर में मूर्ति का जलाभिषेक करते हुए निकलता है। इसके बाद भी प्रतिमा का स्वरूप नहीं बदला है। मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और हर बुधवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है।
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