आस्था ;पीरों की जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे मानसिक दिव्यांगों का इलाज

आस्था ;पीरों की जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे मानसिक दिव्यांगों का इलाज

दरगाह पर  पहली चादर हिन्दू चढ़ाते हे आज भी 




बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले की जालोर जिले की सरहद पर स्थित तीन सौ साल पुरानी बाबा अब्बनशाह की दरगाह जिसे पूरा हिन्दुस्तान पीरों की जाल के नाम से ख्यात हैं।

।राजस्थान के जालौर जिले में एक ऐसा पीर दरगाह है, जहां आज भी पहले एक हिंदू ही मजार पर चादर चढ़ाया करता है, फिर उसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग चादर चढ़ाते हैं. जालौर के मलिक शाह दातार दरगाह की ऐसी ही परंपरा है. इस मस्जिद का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था.मलिक शाह दातार दरगाह का निर्माण अपने शासन के दौरान अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर बगदाद के सुल्तान मालिक शाह के सम्मान में कराया था. यह मस्जिद अपनी अनूठी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है. इसकी बनावट गुजरात में बने भवनों से काफी प्रभावित है.

दरअसल यहां एक मुस्लिम शख्स ने गायों के लिए अपनी जान देकर साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल कायम की थी. घटना ऐसी है कि बरसों पहले एक मुस्लिम ने गायों और गुर्जरों को बचाने के लिए अपने प्राण दे दिए थे. यही कारण है कि यहां हर साल उर्स के दौरान मजार पर सबसे पहले हिंदू समुदाय की ओर से चादर चढ़ाई जाती है.


हिंदू मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक बन चुका मलिक शाह पीर मजार पर हर साल जिलकाद माह की ग्याहरवीं तारीख की शाम को उर्स मनाया जाता है. वहीं पुरानी जागीर से गांव के दरबार की परम्परा के अनुसार यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दराज के गांवों से सैकड़ों लोग आते हैं.


इस दरगाह में गत तीन सौ सालों से चमत्कार हो रहे हैं।इस चमत्कार से हजारों लोगों को नयी जिन्दगी मिली।विज्ञान के इस युग में भले ही लोग इसे अंधविश्वास का नाम दें मगर जो लोग चमत्कार से नई जिन्दगी पाऐं हैं।उनकी मानें तो पीरों की जाल आस्था और चमत्कार का अवतार हैं।जॅहा मानसिक रोगी बुरी स्थिति से बाहर निकल आते हैं।


कहते हें किसी मर्ज का इलाज अस्पताल में होता हें लेकिन कभी सुना हें आपने कि कब्रिस्तान में किसी मर्ज का इलाज होता हें . आपकी सोच और दिमागी दोड़ से कोसो दूर हम आपको रूबरू करवा रहे हें एक ऐसे अस्पताल में जहा अपने दिमाग का संतुलन खो चुके मरीजो के इलाज के दावे होते हें . लेकिन ये दावे धरती पे एक कब्रिस्तान में उतरते नजर आते हें . बाड़मेर जालोर कि सीमा पर स्थित पीरों की जाल में हें कब्रिस्तान में हें मानसिक विक्षिप्तों का अस्पताल .


राजस्थान के जालोर जिले में एक कब्रिस्तान में मानसिक विक्षिप्तों का अस्पताल है. देश और दुनिया की सोच से परे एक इसी जगह होता हे मानसिक विक्षिप्तोंका इलाज . न किसी तरह का बिस्तर न कोई डाक्टर और न ही कोई दवाई . यह हे पीरों की जाल . पीरों  की जाल में राजस्थान ,गुजरात महाराष्ट्र ,बिहार सहित देश के की इलाको से अलग अलग मजहब से जुड़े लोग आते हे . बताते हे कि जिन पर मानसिक विक्षिप्तों या फिर भूतो का साया हो और जो किसी भी इलाज से सही नही हुए है उन लोगो के घर वाले यहा पर उन्हें लेकर आते है जिस समय उन को लाया जाता है उनका मर्ज चरम पे होता हैं  दुनिआ के तमाम अस्पतालों से थकहार के  लोग अंतिम प्रयास पिरो की  जाल में आकर  करते हैं , लोग  मानसिक विक्षिप्तता  शिकार हुए ठीक होकर  घरों को  लौटे  ,विज्ञान के इस युग में धार्मिक चमत्कारों की बात करना बेमानी हो सकती हैं मगर इन चमत्कारों से जो ठीक होकर घरों को लौटे उनकी आस्था और विश्वास को भी  नकारा नहीं जा सकता ,दर्जनों मानसिक विक्षिप्तता के शिकार लोग आज भी दरगाह परिसर में  उम्मीदों की जंजीरों से जकड़े हैं ,इस उम्मीद के साथ की वो ठीक होकर अपनों के बीच घर लौटेंगे।  


 राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था


पिरो कि जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे पागलो का इलाज . इस अनूठे अस्पताल के बारे में वह के खलीफा मोहोमद बक्स खिलिफा बताते हे कि कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है

मोहोमद बक्स खिलिफा पीरो की जाल जालोर कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है


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