3 साल में 2 कुंभ, एक अर्धकुंभ लगेगा:प्रयागराज से 3 हजार करोड़ ज्यादा उज्जैन सिंहस्थ में खर्च होंगे; आग बुझाने को बिछेगी पाइपलाइन
3 साल में 2 कुंभ, एक अर्धकुंभ लगेगा:प्रयागराज से 3 हजार करोड़ ज्यादा उज्जैन सिंहस्थ में खर्च होंगे; आग बुझाने को बिछेगी पाइपलाइन
प्रयागराज महाकुंभ के बाद 3 साल में नासिक, उज्जैन में सिंहस्थ (कुंभ) और हरिद्वार में अर्धकुंभ लगना है। इन तीनों जगहों पर अखाड़ों और नागा संन्यासियों के दर्शन होंगे। प्रयागराज जैसी श्रद्धालुओं की भीड़ तो यहां नहीं उमड़ेगी, लेकिन यहां की सरकारें महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन की तैयारी में अभी से जुट गई हैं। इसका मुख्य कारण विश्व में प्रयागराज महाकुंभ की प्रसिद्धि और UP की इकोनॉमी को मिला फायदा है।
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के अफसरों की टीमें प्रयागराज महाकुंभ पहुंचकर स्टडी कर चुकी हैं। इस स्टडी पर तीनों राज्यों की सरकारें तैयारी कर रही हैं। श्रद्धालुओं की संख्या का एनालिसिस किया जा रहा है।
प्रयागराज महाकुंभ में सारे रिकॉर्ड भीड़ के टूटे हैं, लिहाजा इस पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ के मुताबिक सुविधाओं के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, सेफ्टी फीचर पर योजनाएं बनाई जा रही हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट अलॉटमेंट किया जा रहा है।
हरिद्वार में गंगा किनारे 2027 में अर्धकुंभ का आयोजन होगा। यह 6 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक चलेगा। इसी साल नासिक में गोदावरी के किनारे 17 जुलाई से 17 अगस्त के बीच कुंभ होगा। फिर इसके अगले साल यानी 2028 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन होगा। यह 27 मार्च से 27 मई तक दो महीने चलेगा।
प्रयागराज महाकुंभ के बाद उज्जैन के सिंहस्थ की ज्यादा चर्चा होती है। प्रयागराज महाकुंभ की व्यवस्थाओं का जायजा लेकर लौटे प्रदेश के अधिकारी अब सिंहस्थ-2028 की तैयारियों में जुट गए हैं।
मध्यप्रदेश के करीब आधा दर्जन अधिकारी तीन चरणों में महाकुंभ मैनेजमेंट की जानकारी लेने पहुंचे थे। प्रयागराज पहुंचे अधिकारियों ने मुख्य रूप से पुलिस डिप्लॉयमेंट, ट्रैफिक, फायर और क्राउड मैनेजमेंट के साथ जल पुलिस और रेस्क्यू के लिए ड्रोन की व्यवस्था को करीब से समझा है।
महाकाल की नगरी उज्जैन में तीन साल बाद 2028 में सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन होगा। सिंहस्थ कुंभ मेला 27 मार्च 2028 से 27 मई 2028 तक है।
इस दौरान 9 अप्रैल से 8 मई की तारीखों के बीच 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं। कुंभ मेले में 14 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है।
दो महीने लंबे इस पर्व का आयोजन करने में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने का अनुमान है। इससे पहले साल 2016 में सिंहस्थ का आयोजन हुआ था। जिसमें करीब सात करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई थी।
इस बार शाही स्नान में 3 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। इसे देखते हुए अधिकारी अभी से तैयारियों में जुट गए हैं, ताकि सामान्य दिनों व पर्वों पर भी व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चल सकें।
सूत्रों के मुताबिक सिंहस्थ कुंभ में स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को शिप्रा नदी तक ज्यादा पैदल न चलना पड़े, इस देखते हुए सभी पार्किंग और व्यवस्थाएं बनाई जा जाएंगी।
CM से लेकर ACS तक ले चुके हैं बैठक
सिंहस्थ-2028 को लेकर उज्जैन में 3 हजार करोड़ से अधिक के काम चल रहे हैं। इसके साथ ही करीब 1500 करोड़ के कार्य प्रस्तावित भी हैं। इन्हें 2028 से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
शिप्रा नदी में स्नान के लिए 29 किलोमीटर तक नए घाटों का निर्माण किया जाएगा। उज्जैन कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर कई बैठकों का दौर हो चुका है। CM से लेकर ACS स्तर के अधिकारी खुद उज्जैन पहुंचकर कुंभ को लेकर चल रहे कार्यों और प्रस्तावित कार्य की जानकारी ले चुके हैं।
2 फरवरी को अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा उज्जैन संभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी निर्माण कार्य 31 दिसंबर 2027 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुके हैं।
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