लूणी के गांव होंगे प्रदूषित पानी से मुक्त:सरकार ने की बजट सत्र में 176 करोड़ रुपए से STP निर्माण और मुख्य सीवर ट्रंक लाइन का पुनर्विकास की घोषणा

 लूणी के गांव होंगे प्रदूषित पानी से मुक्त:सरकार ने की बजट सत्र में 176 करोड़ रुपए से STP निर्माण और मुख्य सीवर ट्रंक लाइन का पुनर्विकास की घोषणा




जोधपुर के लूणी विधानसभा के कई गांवों की लाखों बीघा बंजर हो चुके खेतों और इनमें भरे काले पानी से उठने वाली दुर्गंध से ग्रामीणों को राहत मिलेगी।   राज्य सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए 176 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट की घोषणा की है।


राज्य सरकार ने गुरुवार को बजट सत्र में 176 करोड़ रुपए से जोजरी नदी के जीर्णोद्धार व प्रदूषण सुधार कार्य के अन्तर्गत नादंड़ी और झालामंड क्षेत्र में STPs का निर्माण व सीवर मुख्य ट्रंक लाइनों के पुनर्विकास का काम कराने की घोषणा की है। गंदे पानी के लिए सीवेज पंपिंग स्टेशन के काम भी होंगे।लूणी से विधायक और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल को भी जगह-जगह पीड़ित ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा था और पटेल हर बार उन लोगों को समस्या के निराकरण के लिए हर संभव प्रयास में जुटे होने की बात कहते रहे। गुरुवार को उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने इस प्रोजेक्ट को लेकर घोषणा की, तो ग्रामीणों ने भी इस पर खुशी जताई।


जोधपुर के लूणी विधानसभा से विधायक और सरकार में केबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने पिछले दिनों अपने विस क्षेत्र की धवा स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जब वे पहुंचे तो उनके मुंह पर मास्क लगा था। इसका कारण था कि स्कूल के सामने स्थित तालाब में दूषित पानी की बदबू। दरअसल, लूणी के धवा और आस-पास के इलाके से निकलने वाली लूणी नदी केमिकल के पानी से दूषित हो चुकी है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले अनट्रीट पानी की वजह से हालात ये हो गए है कि किसानों की लाखों बीघा जमीन बंजर हो चुकी है। कई लोगों में स्किन से जुड़ी बीमारियां फैल रही है।


इसी मुद्दे की हकीकत जानने के लिए भास्कर टीम इस इलाके में पहुंची। यहां सबसे पहले धवा और मेलबा गांव के स्कूल पहुंची तो हालात डराने वाले थे। यहां स्कूल के पास ही एक तालाब में केमिकल युक्त गंदा पानी था। स्कूली छात्रों ने बताया कि यहां बैठ पाना भी काफी मुश्किल है।


धवा और मेलबा गांव समेत आस-पास के इलाकों के कई गांवों के खेतों में पहुंच रहा ये दूषित पानी टैक्सटाइल और स्टील फैक्ट्रियों से तो खुलेआम जोधपुर से हर रोज छोड़ा जा रहा है। हालात तो ये है कि लगातार चर्चाओं, शिकायतों के बाद भी इस दूषित पानी की आवक लगातार जारी है।


लूणी ही नहीं, संभाग के चार जिलों में 2 लाख बीघा जमीन हो चुकी बंजर


पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट श्रवण पटेल ने बताया कि पिछले 20-25 दिन से तो दूषित पानी की दुर्गंध ने पूरे गांव की नींद उड़ा रखी है। स्कूली बच्चों के साथ-साथ कई ग्रामवासी भी इस केमिकलयुक्त पानी की बदबू से शरीर पर खुजली, घुटन घुटने जैसी कई अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।


श्रवण के अनुसार- धवा, मेलबा सहित आसपास का शायद ही ऐसा कोई गांव बचा होगा, जहां जीव-जंतुओं की मौत इसी दूषित पानी की वजह से न हो रही हो। स्कूलों में बच्चों के पीने के लिए पानी के टैंकर तो डलवाते हैं, लेकिन वो भी मटमैला हो जाता है। बारिश के दिनों में तो मेलबा की यह स्कूल कई दिनों के लिए बंद हो जाती है और उस अवधि में गांव में ही किसी के घर पर कक्षाएं लगानी पड़ती है।


मंत्री को सुनाई पीड़ा, तो बोले – ‘तुरंत इलाज क्या हो सकता है बता?’


धवा निवासी पूनाराम विश्नोई और एक्टिविस्ट श्रवण पटेल ने बताया कि शनिवार को धवा स्कूल पहुंचे कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल को अपनी पीड़ा सुनाई थी। इसका जवाब सुनकर क्षेत्रवासी खुद हताश हो गए, क्योंकि उल्टा मंत्री ने उन्हीं से पूछ लिया कि तुरंत इलाज क्या हो सकता है बता? समाधान क्या है?


गांव के पूनाराम विश्नोई ने बताया कि चुनाव जीतने के लिए इसी समस्या का समाधान कराने का भरोसा दिया था, लेकिन यह खत्म होने की बजाय उल्टा बढ़ती जा रही है। अकेले पूनाराम के परिवार की ही 85 बीघा जमीन पूरी तरह बंजर हो चुकी है। ऐसी ही स्थिति पूरे गांव की है। ऐसा भी नहीं है कि इस बारे में जिम्मेदारों को जानकारी नहीं हो। कुछ दिनों पहले ही स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की टीम ने यहां से दूषित पानी की नमूने लिए थे और उनमें बीओडी व सीओडी का स्तर तय मात्रा से कई गुना अधिक पाया गया, लेकिन किसी पर नकेल कसने की पहल अब तक नजर नहीं आ रही है।


आधी से ज्यादा अवैध इकाइयां दूरदराज खेतों में


दरअसल, जोधपुर के औद्योगिक क्षेत्र और आसपास के गांवों तक तकरीबन 700 इंडस्ट्रीज हैं, इनमें जमकर दूषित पानी निकल रहा है। यहां करीब 300 टैक्सटाइल और स्टील से जुड़ी औद्योगिक इकाइयां ही राजस्थान पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड या अन्य के रिकॉर्ड पर होंगी, लेकिन इनसे ज्यादा इकाइयां अवैध रूप से चल रही है, जो लूणी, डोली, धवा, सालावास, पाल, नंदवान, नारनाडी और बालोतरा के सीमावर्ती कल्याणपुर, जोधपुर ग्रामीण में शेरगढ़ व फलोदी जिले के देचू तक फैल चुकी है। जानकारों की मानें तो इनमें से अधिकांश यूनिट्स ऐसी जगहों पर चलती है, जहां पहुंचने के लिए कोई आसान रास्ता भी नहीं होता है और किसी की उन पर नजर भी नहीं पड़े।

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