गुरुवार, 30 जुलाई 2020

जैसलमेर, भारत माला परियोजना की सड़को के निर्माण में गड़बड़ झाला ,करड़ा प्रोजेक्ट से पूल गायब

 जैसलमेर, भारत माला परियोजना की सड़को के निर्माण में गड़बड़ झाला ,करड़ा प्रोजेक्ट से  पूल गायब

जैसलमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसे  अंतिम दूरस्थ गाँवो में लोग आज भी अभाव में जी रहे हैः कभी कोई योजना आ भी गयी तो उसका कृण्वयाँ सही तरीके से नहीं होने के कारन ग्रामीणों के लिए नासूर बन जाती हैं ,जिंदगी भर का दर्द दे जाती हैं ,इसी क्रम में देश के  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट भारत माला परियोजना में सरहद पर बन रही सड़कें भी दुःख देने लगी हैं ,सरहदी क्षेत्रों को राष्ट्रिय सड़क मार्गो से जोड़ने के लिए सबसे बेहतर योजना को ठेकेदार मनमानी से गाइड लाइन के बाहर जाकर निर्माण कर रहे हैं जो लोगो के   लिए आफत बन गयी ,ऐसे ही मुनाबाव से जैसलमेर के सरहदी क्षेत्रो तक सड़के बनाने का कार्य चल रहा हैं ,भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार प्रत्येक गांव में एक पूल का निर्माण आवश्यक होगा ,मगर ठेकेदारों ने मनमर्जी करते हुए कहीं पूलों का निर्माण नहीं कराया ,जैसलमेर ही नहीं बल्कि भारत का सबसे दुर्गम गांव करड़ा में भारत माला परियोजना के तहत सड़क का निर्माण हो रहा हैं ,सड़क गांव से करीब 9  फ़ीट ऊंचाई पर बन रही हैं ,गांव का विद्यालय और तालाब दूसरे छोर पर हैं , अब पूल न होने से विद्यार्थियों और पशुओ को दूसरे छोर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं ,ठकेदारो ने यहाँ एक भी पूल नहीं दिया।

छात्रों और विद्यालय के बीच में भारत माला बनी दीवार गांव का बरसाती पानी का निकास भी असंभव

भारतमाला सड़क गांव व सरकारी स्कूल के बीच में से होकर 9 फीट ऊंचाई से निकल रही है गांव में अध्ययन का इकलौता उच्च प्राथमिक राजकीय विद्यालय है जिसमे छात्रों के जाने का रास्ता भी नहीं छोड़ा है, 9 फीट ऊंचाई में बनी सड़क के साइड में पक्की दीवार भी बनाई जा रही है जिससे छात्रों के लिए विद्यालय जाने के लिए 9 फीट की पक्की दीवार पार करना असंभव है। गांव के बरसात के पानी की निकासी भी रुक गईं है। इससे भविष्य में ज्यादा बरसात आने पर गांव डूब जाएगा तथा घरों को नुकसान होना तय है,

किसी घर का बुझ सकता है चिराग, इसलिए विद्यालय का करेंगे बहिष्कार |

ग्रामीणों का मानना है कि सड़क की ऊंचाई को पार करना छात्रों के लिए असंभव है,कभी भी किसी छात्र के साथ कोई हादसा घटित हो सकता हैं इस इर ग्रामीण अभिभावक  किया की इस वर्ष अपने बच्चों को विद्यालय में प्रवेश भी नहीं दिलाएंगे।


हर गांव ढाणियों में पुल का निर्माण फिर करड़ा में क्यों नहीं ?

भारतमाला परियोजना मुनाबाव से तनोट तक कि सड़क बन रही है, उक्त परियोजना में सड़क पर जहां भी छोटा-मोटा गांव या ढाणी है वहां पर पुल (ओवर ब्रिज) बनाना अनिवार्य था उसी अनुसार सभी जगह पुल अनिवार्य बने भी है। करड़ा गांव में पुल की आवश्यकता और भी जरूरी इस कारण हो जाती है क्योंकि उस सड़क के दूसरी तरफ स्कूल, ट्यूबवेल, पानी का होद, पशुखेली, गौचर, ओरण तथा खेल मैदान है, इसलिए सड़क के मूल स्वरूप जिस आधार पर टेंडर भी हुआ था उसके तहत करड़ा गांव में बड़ा पुल प्रस्तावित था। ग्रामीण लगातार पुल की मांग लिखित रूप में भी एनएचएआई, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय व अधिकारियों से गुहार लगा रहे थे, लेकिन केवल मात्र करड़ा गांव का ही पुल को काम करने वाली कंपनी व राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों ने जानबूझकर पुल को निरस्त करवाकर भारत माला के मूल स्वरूप को परिवर्तित करवाया गया है, जिससे कि अब यह सड़क
ग्रामीणों के लिए आफत बन गई है।

 गांव करड़ा में 9 फीट ऊंची सड़क है। ऐसे में संबंधित ठेकेदार कंपनी ने यह भी नहीं सोचा कि गांव की पानी निकासी कैसे होगी और बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे। यह समस्या स्थाई होने वाली है, ऐसे में ग्रामीणों में पुल नहीं बनाने को लेकर भारी रोष है। लालूसिंह सोढ़ा, करड़ा निवासी




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