बाड़मेर में गडरा रोड के लिए नर्मदा नहर आधारित जल प्रदाय परियोजना में धीमी प्रगति के कारण फर्म पर 28.22 करोड़ रुपये की शास्ति आरोपित-जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री
जयपुर, 7 मार्च। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने शनिवार को विधानसभा में कहा कि बाड़मेर के जिले की तहसील रामसर एवं शिव (वर्तमान में गडरा रोड) के लिए नर्मदा नहर आधारित जल प्रदाय परियोजना में अनुबंधक फर्म द्वारा धीमी गति से कार्य करने और निर्धारित प्रोरेटा प्रगति नहीं बनाए रखने के कारण राज्य सरकार ने उस पर 28.22 करोड़ रुपये की शास्ति आरोपित की गई है। उन्होंने कहा कि परियोजना की यह स्थिति मौजूदा सरकार को विरासत में मिली। हमारी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के कार्य को गति दने के लिए 36 करोड़ रुपये की राशि और स्वीकृत की है।
डॉ. कल्ला शून्यकाल में विधायक श्री अमीन खां की ओर से इस संबंध में रखे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि जिला बाड़मेर की तहसील रामसर व शिव की ग्राम एवं ढाणियों में पेयजल परियोजना का कार्य 10 अप्रैल 2017 तक पूर्ण करना निर्धारित था। वर्तमान सरकार द्वारा इस परियोजना के धीमे कार्य को गति देने पर फोकस किया जा रहा है। शिव विधानसभा क्षेत्र में जेईएन के रिक्त पदों के सम्बंध में उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा की जाने वाली डीपीसी में इन पदों को भर दिया जाएगा।
जलदाय मंत्री ने बताया कि इस जल प्रदाय परियोजना में वर्ष 2013 से 2018 तक 248 करोड़ रुपये तथा वर्तमान सरकार द्वारा 36 करोड़ रुपये सहित कुल अब तक लगभग 284 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके है। इस परियोजना में अब तक पंपिग स्टेशन बनाने एवं पानी को इकट्ठा करने सहित रामसर में 48 प्रतिशत कार्य तथा गडरा रोड पर 20 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका हैं।
इससे पहले डॉ. कल्ला ने इस संबंध में अपने लिखित वक्तव्य मेें बताया कि नर्मदा नहर आधारित जल प्रदाय परियोजना में जिला बाड़मेर की तहसील रामसर एवं शिव (वर्तमान में गडरा रोड) के वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार क्रमशः 95 एवं 110 (कुल 205 ग्राम) एवं इनकी ढाणियों की पेयजल मांग सम्मिलित करते हुए इनके आधारभूत संरचनाओं के कार्य तथा केवल मुख्य ग्रामों में पेयजल वितरण के लिए 19 सितम्बर 2013 को राशि रुपये 610.79 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी। यह स्वीकृति कलस्टर वितरण प्रणाली के कार्य सम्मिलित करते हुए विभागीय नीति निर्धारण समिति की 191वीं बैठक में जारी हुई थी।
जलदाय मंत्री ने बताया कि इस परियोजना का क्रियान्वयन प्रारम्भ करने के लिए अनुबंधक फर्म मैसर्स एनसीसी लिमिटेड, हैदराबाद को 639.50 करोड़ रुपये (मुख्य कायोर्ं की निर्माण लागत 601.13 करोड़ रुपये एवं परियोजना के संचालन व संधारण कार्य के लिए 38.37 करोड़ रुपये) का कार्यादेश एक अक्टूबर 2013 को जारी किया गया था। इसके अनुसार परियोजना का कार्य 10 अप्रेल 2017 तक पूर्ण करना निर्धारित था ।
डॉ. कल्ला ने बताया कि इस पेयजल परियोजना में वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2019-20 की अवधि में 289.25 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के विरूद्ध 284.63 करोड़ रुपये की रािश का व्यय किया जाकर 48 प्रतिशत कार्य जनवरी 2020 तक पूर्ण किया गया है, परियोजना के शेष कार्य वर्तमान में प्रगति पर हैं । अनुबंधक फर्म द्वारा उक्त, परियोजना का कार्य धीमी गति से करने एवं निर्धारित प्रोरेटा प्रगति नहीं बनाये रखने के कारण रुपये 28.22 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि विभाग द्वारा अनुबंधक फर्म की रोक ली गई है ।
जलदाय मंत्री ने बताया कि परियोजना में तहसील गडरा रोड के सम्मिलित 110 ग्रामों में से 43 ग्राम राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र में अवस्थित हैं तथा इन ग्रामों में परियोजना से पेयजल आपूर्ति के लिये आधारभूत संरचनाओं के निर्माण एवं कलस्टर वितरण प्रणाली के कायोर्ं के लिए आवश्यक भूमि आवंटन की अनुमति लेने की कार्रवाई वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। राष्ट्रीय मरू उद्यान की सीमा में तहसील गड़रारोड़ के आने वाले 43 ग्रामों के अतिरिक्त तहसील रामसर के 95 एवं गडरा रोड के 67 (कुल 162) ग्रामों को परियोजना से मार्च 2021 तक लाभान्वित करने के प्रयास किये जा रहे हैं ।
डॉ. कल्ला ने बताया कि तहसील रामसर एवं गडरा रोड में सम्मिलित 205 ग्रामों की पेयजल आपूर्ति व्यवस्था भू-जल स्रोतों पर आधारित है। इन तहसील क्षेत्रों की विभिन्न जल योजनाओं के अंतर्गत निर्मित एवं क्रियाशील 141 थ्री-फेज नलकूप, 43 खुले कुओं एवं 17 सिंगल फेज नलकूपों से वर्तमान में पेयजल आपूर्ति की जा रही है तथा इसके अतिरिक्त 580 क्रियाशील हैण्डपम्पोंं से भी पेयजल उपलब्ध हो रहा है। इन तहसील क्षेत्रों में भू-जल सीमित मात्रा में उपलब्ध होने, क्षेत्रीय जल योजनाएं लम्बी होने एवं इन योजनाओं के मुख्य जल स्रोत वाले ग्रामों में निर्मित नलकूपों में जल आवक में कमी होने से योजनाओं के अंतिम छोर के ग्रामों में पेयजल आपूर्ति कम मात्रा में हो पाती है। पेयजल की कमी वाले इन ग्रामों में ग्रीष्म ऋतु में टैंकरों द्वारा जल परिवहन कर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था सामान्य बनाई रखी जाती है।
जलदाय मंत्री ने बताया कि इन तहसील क्षेत्रों में भू-जल सीमित मात्रा में उपलब्ध होने एवं कई स्थानों की पेयजल गुणवत्ता निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं होने के कारण तय दिशा-निर्देशों के अनुरूप तहसील रामसर में 6 तथा गड़रा रोड़ में 19 (कुल 25) आरओ संयंत्रों को स्थापित कर चालू किया गया है। इनमें 24 संयंत्र वर्तमान में क्रियाशील हैं तथा तहसील गड़रारोड़ की ग्राम पंचायत हरसानी के ग्राम तुर्बी में वर्तमान में बंद आरओ संयंत्र को शीघ्र चालू किया जाएगा।
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जयपुर, 7 मार्च। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने शनिवार को विधानसभा में कहा कि बाड़मेर के जिले की तहसील रामसर एवं शिव (वर्तमान में गडरा रोड) के लिए नर्मदा नहर आधारित जल प्रदाय परियोजना में अनुबंधक फर्म द्वारा धीमी गति से कार्य करने और निर्धारित प्रोरेटा प्रगति नहीं बनाए रखने के कारण राज्य सरकार ने उस पर 28.22 करोड़ रुपये की शास्ति आरोपित की गई है। उन्होंने कहा कि परियोजना की यह स्थिति मौजूदा सरकार को विरासत में मिली। हमारी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के कार्य को गति दने के लिए 36 करोड़ रुपये की राशि और स्वीकृत की है।
डॉ. कल्ला शून्यकाल में विधायक श्री अमीन खां की ओर से इस संबंध में रखे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि जिला बाड़मेर की तहसील रामसर व शिव की ग्राम एवं ढाणियों में पेयजल परियोजना का कार्य 10 अप्रैल 2017 तक पूर्ण करना निर्धारित था। वर्तमान सरकार द्वारा इस परियोजना के धीमे कार्य को गति देने पर फोकस किया जा रहा है। शिव विधानसभा क्षेत्र में जेईएन के रिक्त पदों के सम्बंध में उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा की जाने वाली डीपीसी में इन पदों को भर दिया जाएगा।
जलदाय मंत्री ने बताया कि इस जल प्रदाय परियोजना में वर्ष 2013 से 2018 तक 248 करोड़ रुपये तथा वर्तमान सरकार द्वारा 36 करोड़ रुपये सहित कुल अब तक लगभग 284 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके है। इस परियोजना में अब तक पंपिग स्टेशन बनाने एवं पानी को इकट्ठा करने सहित रामसर में 48 प्रतिशत कार्य तथा गडरा रोड पर 20 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका हैं।
इससे पहले डॉ. कल्ला ने इस संबंध में अपने लिखित वक्तव्य मेें बताया कि नर्मदा नहर आधारित जल प्रदाय परियोजना में जिला बाड़मेर की तहसील रामसर एवं शिव (वर्तमान में गडरा रोड) के वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार क्रमशः 95 एवं 110 (कुल 205 ग्राम) एवं इनकी ढाणियों की पेयजल मांग सम्मिलित करते हुए इनके आधारभूत संरचनाओं के कार्य तथा केवल मुख्य ग्रामों में पेयजल वितरण के लिए 19 सितम्बर 2013 को राशि रुपये 610.79 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी। यह स्वीकृति कलस्टर वितरण प्रणाली के कार्य सम्मिलित करते हुए विभागीय नीति निर्धारण समिति की 191वीं बैठक में जारी हुई थी।
जलदाय मंत्री ने बताया कि इस परियोजना का क्रियान्वयन प्रारम्भ करने के लिए अनुबंधक फर्म मैसर्स एनसीसी लिमिटेड, हैदराबाद को 639.50 करोड़ रुपये (मुख्य कायोर्ं की निर्माण लागत 601.13 करोड़ रुपये एवं परियोजना के संचालन व संधारण कार्य के लिए 38.37 करोड़ रुपये) का कार्यादेश एक अक्टूबर 2013 को जारी किया गया था। इसके अनुसार परियोजना का कार्य 10 अप्रेल 2017 तक पूर्ण करना निर्धारित था ।
डॉ. कल्ला ने बताया कि इस पेयजल परियोजना में वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2019-20 की अवधि में 289.25 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के विरूद्ध 284.63 करोड़ रुपये की रािश का व्यय किया जाकर 48 प्रतिशत कार्य जनवरी 2020 तक पूर्ण किया गया है, परियोजना के शेष कार्य वर्तमान में प्रगति पर हैं । अनुबंधक फर्म द्वारा उक्त, परियोजना का कार्य धीमी गति से करने एवं निर्धारित प्रोरेटा प्रगति नहीं बनाये रखने के कारण रुपये 28.22 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि विभाग द्वारा अनुबंधक फर्म की रोक ली गई है ।
जलदाय मंत्री ने बताया कि परियोजना में तहसील गडरा रोड के सम्मिलित 110 ग्रामों में से 43 ग्राम राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र में अवस्थित हैं तथा इन ग्रामों में परियोजना से पेयजल आपूर्ति के लिये आधारभूत संरचनाओं के निर्माण एवं कलस्टर वितरण प्रणाली के कायोर्ं के लिए आवश्यक भूमि आवंटन की अनुमति लेने की कार्रवाई वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। राष्ट्रीय मरू उद्यान की सीमा में तहसील गड़रारोड़ के आने वाले 43 ग्रामों के अतिरिक्त तहसील रामसर के 95 एवं गडरा रोड के 67 (कुल 162) ग्रामों को परियोजना से मार्च 2021 तक लाभान्वित करने के प्रयास किये जा रहे हैं ।
डॉ. कल्ला ने बताया कि तहसील रामसर एवं गडरा रोड में सम्मिलित 205 ग्रामों की पेयजल आपूर्ति व्यवस्था भू-जल स्रोतों पर आधारित है। इन तहसील क्षेत्रों की विभिन्न जल योजनाओं के अंतर्गत निर्मित एवं क्रियाशील 141 थ्री-फेज नलकूप, 43 खुले कुओं एवं 17 सिंगल फेज नलकूपों से वर्तमान में पेयजल आपूर्ति की जा रही है तथा इसके अतिरिक्त 580 क्रियाशील हैण्डपम्पोंं से भी पेयजल उपलब्ध हो रहा है। इन तहसील क्षेत्रों में भू-जल सीमित मात्रा में उपलब्ध होने, क्षेत्रीय जल योजनाएं लम्बी होने एवं इन योजनाओं के मुख्य जल स्रोत वाले ग्रामों में निर्मित नलकूपों में जल आवक में कमी होने से योजनाओं के अंतिम छोर के ग्रामों में पेयजल आपूर्ति कम मात्रा में हो पाती है। पेयजल की कमी वाले इन ग्रामों में ग्रीष्म ऋतु में टैंकरों द्वारा जल परिवहन कर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था सामान्य बनाई रखी जाती है।
जलदाय मंत्री ने बताया कि इन तहसील क्षेत्रों में भू-जल सीमित मात्रा में उपलब्ध होने एवं कई स्थानों की पेयजल गुणवत्ता निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं होने के कारण तय दिशा-निर्देशों के अनुरूप तहसील रामसर में 6 तथा गड़रा रोड़ में 19 (कुल 25) आरओ संयंत्रों को स्थापित कर चालू किया गया है। इनमें 24 संयंत्र वर्तमान में क्रियाशील हैं तथा तहसील गड़रारोड़ की ग्राम पंचायत हरसानी के ग्राम तुर्बी में वर्तमान में बंद आरओ संयंत्र को शीघ्र चालू किया जाएगा।
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