जैसलमेर में बर्ड टूरिज्म को लग सकते है पंख,बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने की दरकार*
जेसलमेर में 36 प्रजातियों के 1545 पक्षी दिखे गणना में
जैसलमेर पीत पाषाणों से सज्जित किले,हवेलियों ,झरोखों ,रेगिस्तान,लोक कला संस्कृति,लोक जीवन,और परंपराओं ने जैसलमेर पर्यटन को नई ऊंचाइयां दी।।पर्यटन के क्षेत्र में जेसलमेर में एक और बड़ी संभावना बर्ड टूरिज्म को लेकर बनती नजर आ रही है।।जेसलमेर वो जिला है जहां परंपरागत पेयजल स्रोत पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जंहा विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का प्रवास निरंतर देखा जा रहा है।।बर्ड टूरिज को लेकर जेसलमेर में असीम संभावनाएं नजर आ रही है।।जरूरत है इसे धरातल पर उतारने की।।दर्जनों किस्म के देशी विदेशी पक्षियों को जेसलमेर की आबोहवा रास आ रही है।।पिछले दिनों बडोडा गांव स्थित तालाब पर हजारों की तादाद में साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा मे कुरजां कहते है कि उपस्थिति आंखों को शकुन देने वाली लगी।अब तक साइबेरियन क्रेन फलोदी के खिंचन गांव के तालाब पर बड़ी तादाद में कई दशकों से प्रवास करती आई है।इस बार जेसलमेर जिले के कोई दर्जन भर तालाबो पर कही अधिक कहीं कम साइबेरियन क्रेनों की उपस्थिति ने सुखद अहसास कराया।।इतना ही नही गत माह वन विभाग द्वारा बर्ड फेयर मनाया गया।।बर्ड फेयर को जिले के करीब 13 गंवाई तालाबो पर पक्षियों की उपस्थित की गणना की गई थी।।इन तरह तालाबो पर देशी विदेशी पक्षियों 36 प्रजातियों की उपस्थिति करीब 1545 दर्शायी गई जो सुखद अहसास कराती है।
वन विभाग द्वारा जिन तालाबो पर पक्षियों की गणना की गई उनके अलावा जिले में सेकड़ो की तादाद में तालाब है जहां वन विभाग नहीं पहुंचा।।इन तालाबो पर भी अच्छी खासी तादाद में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते है।।ऐसे तालाबो को चिन्हित कर बर्ड टूरिज्म सर्किट बनाने की दरकार है ताकि पक्षी प्रेमी लोग यहां तक पहुंच सके।।बर्ड टूरिज्म के विकास की यहां असीम संभावनाएं है।।विभिन प्रजातियों के पक्षियों की उपस्थिति को लेकर वन विभाग खासा उत्साहित है। पहली बार आयोजित बर्ड फेयर से चोंकाने वाली किंतु सुखद स्थति पक्षियों की सामने आई।।जिला प्रशासन,पर्यटन विभाग और वन विभाग (वाइल्ड लाइफ) को मिलकर बर्ड टूरिज्म की संभावना तलाशने के साथ इसके विकास की योजना बनानी चाहिए।।पिछले दिनों जेसलमेर प्रवास पर आए वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर पक्षी प्रेमी आईएएस डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने भी जैसलमेर में बर्ड टूरिज्म क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता बताई थी।।उन्होंने बातचीत में बताया था कि जेसलमेर के विभिन्न जलाशयों पर विभिन प्रजाति की पक्षियों की उपस्थिति सुखद अहसास कराती है।ऐसे में लोगो को बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए।।
ये प्रजातियां पक्षियों की मिली
जिले के इन 13 तालाबों पर बार हैडेड गोस, ब्लैक विंग्स स्टील्ट, कैटल एग्रेट, कॉमन कूट, कॉमन ग्रीनसेंक, कॉमन रेडसेंक, कॉमन सेंडपाइपर, कॉमन सेलडक, कॉमन स्नाइप, कॉमन टील, डलमैटीन पेलीकन, डेमोसेले क्रेन, यूरेशियन विगन, फेरूगिनयस डक, गडवॉल, ग्रागेनी, ग्रीन सेंडपाइपर, ग्रे हेरोन, ग्रेलेग गूस, इंडियन पॉन्ड हेरोन, यूटल कॉरमोरेंट, लिटल एग्रेट, लिटल ग्रेब, लिटल रिंगर प्लॉवर, लिटल स्टींट, मैलार्ड, नॉर्थेन पिनटेल, नॉर्थेन शॉवलर, रेड क्रेसटेड पोचार्ड, रेड नेप्ड बिड्स, रेड वेटल्ड लैपिंग, रिवर टर्न, वाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर व येलो वाटल्ड लैपिंग प्रजाति के पक्षी विचरण करते देखे गए है।
जिले के 13 तालाबों की लोकेशन पर प्रवासी पक्षियों की गणना की की गई है। जिसमें 36 प्रकार के विभिन्न प्रजातियों के 1545 पक्षियों का विचरण देखा गया है। यह हमारे लिए भी सुखद आश्चर्य है कि जिले में इतने प्रवासी पक्षी विचरण करते है। कपिल चंद्रवाल, उपवन संरक्षक, डीएनपी
पर्यटन को बढ़ा सकते हैं प्रवासी पक्षी
जैसलमेर विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुका है। ऐसे में जैसलमेर आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए सार्थक प्रयास किए जाए तो यह प्रवासी पक्षी जैसलमेर आने वाले सैलानियों के लिए नई टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सकते है। इसके साथ ही प्रवासी पक्षियों के लिए विभिन्न तालाबों पर भी विकास कार्य करवाकर उन्हें सुलभ करवाया जा सकता है। जिससे यहां आने वाले प्रवासी पक्षी भी स्वच्छंद विचरण कर सके। जिससे जैसलमेर के पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है।
{जैसलमेर प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थान | प्रवासी पक्षियों का सबसे पसंदीदा स्थान बन चुका है। आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्दियाें के दिनों में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है।शांत इलाका होने से प्रवासी पक्षी सर्दियों के दिनों में इस क्षेत्र में विचरण करने पहुंचते है।
जेसलमेर में 36 प्रजातियों के 1545 पक्षी दिखे गणना में
जैसलमेर पीत पाषाणों से सज्जित किले,हवेलियों ,झरोखों ,रेगिस्तान,लोक कला संस्कृति,लोक जीवन,और परंपराओं ने जैसलमेर पर्यटन को नई ऊंचाइयां दी।।पर्यटन के क्षेत्र में जेसलमेर में एक और बड़ी संभावना बर्ड टूरिज्म को लेकर बनती नजर आ रही है।।जेसलमेर वो जिला है जहां परंपरागत पेयजल स्रोत पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जंहा विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का प्रवास निरंतर देखा जा रहा है।।बर्ड टूरिज को लेकर जेसलमेर में असीम संभावनाएं नजर आ रही है।।जरूरत है इसे धरातल पर उतारने की।।दर्जनों किस्म के देशी विदेशी पक्षियों को जेसलमेर की आबोहवा रास आ रही है।।पिछले दिनों बडोडा गांव स्थित तालाब पर हजारों की तादाद में साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा मे कुरजां कहते है कि उपस्थिति आंखों को शकुन देने वाली लगी।अब तक साइबेरियन क्रेन फलोदी के खिंचन गांव के तालाब पर बड़ी तादाद में कई दशकों से प्रवास करती आई है।इस बार जेसलमेर जिले के कोई दर्जन भर तालाबो पर कही अधिक कहीं कम साइबेरियन क्रेनों की उपस्थिति ने सुखद अहसास कराया।।इतना ही नही गत माह वन विभाग द्वारा बर्ड फेयर मनाया गया।।बर्ड फेयर को जिले के करीब 13 गंवाई तालाबो पर पक्षियों की उपस्थित की गणना की गई थी।।इन तरह तालाबो पर देशी विदेशी पक्षियों 36 प्रजातियों की उपस्थिति करीब 1545 दर्शायी गई जो सुखद अहसास कराती है।
वन विभाग द्वारा जिन तालाबो पर पक्षियों की गणना की गई उनके अलावा जिले में सेकड़ो की तादाद में तालाब है जहां वन विभाग नहीं पहुंचा।।इन तालाबो पर भी अच्छी खासी तादाद में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते है।।ऐसे तालाबो को चिन्हित कर बर्ड टूरिज्म सर्किट बनाने की दरकार है ताकि पक्षी प्रेमी लोग यहां तक पहुंच सके।।बर्ड टूरिज्म के विकास की यहां असीम संभावनाएं है।।विभिन प्रजातियों के पक्षियों की उपस्थिति को लेकर वन विभाग खासा उत्साहित है। पहली बार आयोजित बर्ड फेयर से चोंकाने वाली किंतु सुखद स्थति पक्षियों की सामने आई।।जिला प्रशासन,पर्यटन विभाग और वन विभाग (वाइल्ड लाइफ) को मिलकर बर्ड टूरिज्म की संभावना तलाशने के साथ इसके विकास की योजना बनानी चाहिए।।पिछले दिनों जेसलमेर प्रवास पर आए वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर पक्षी प्रेमी आईएएस डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने भी जैसलमेर में बर्ड टूरिज्म क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता बताई थी।।उन्होंने बातचीत में बताया था कि जेसलमेर के विभिन्न जलाशयों पर विभिन प्रजाति की पक्षियों की उपस्थिति सुखद अहसास कराती है।ऐसे में लोगो को बर्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए।।
ये प्रजातियां पक्षियों की मिली
जिले के इन 13 तालाबों पर बार हैडेड गोस, ब्लैक विंग्स स्टील्ट, कैटल एग्रेट, कॉमन कूट, कॉमन ग्रीनसेंक, कॉमन रेडसेंक, कॉमन सेंडपाइपर, कॉमन सेलडक, कॉमन स्नाइप, कॉमन टील, डलमैटीन पेलीकन, डेमोसेले क्रेन, यूरेशियन विगन, फेरूगिनयस डक, गडवॉल, ग्रागेनी, ग्रीन सेंडपाइपर, ग्रे हेरोन, ग्रेलेग गूस, इंडियन पॉन्ड हेरोन, यूटल कॉरमोरेंट, लिटल एग्रेट, लिटल ग्रेब, लिटल रिंगर प्लॉवर, लिटल स्टींट, मैलार्ड, नॉर्थेन पिनटेल, नॉर्थेन शॉवलर, रेड क्रेसटेड पोचार्ड, रेड नेप्ड बिड्स, रेड वेटल्ड लैपिंग, रिवर टर्न, वाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर व येलो वाटल्ड लैपिंग प्रजाति के पक्षी विचरण करते देखे गए है।
जिले के 13 तालाबों की लोकेशन पर प्रवासी पक्षियों की गणना की की गई है। जिसमें 36 प्रकार के विभिन्न प्रजातियों के 1545 पक्षियों का विचरण देखा गया है। यह हमारे लिए भी सुखद आश्चर्य है कि जिले में इतने प्रवासी पक्षी विचरण करते है। कपिल चंद्रवाल, उपवन संरक्षक, डीएनपी
पर्यटन को बढ़ा सकते हैं प्रवासी पक्षी
जैसलमेर विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुका है। ऐसे में जैसलमेर आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए सार्थक प्रयास किए जाए तो यह प्रवासी पक्षी जैसलमेर आने वाले सैलानियों के लिए नई टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सकते है। इसके साथ ही प्रवासी पक्षियों के लिए विभिन्न तालाबों पर भी विकास कार्य करवाकर उन्हें सुलभ करवाया जा सकता है। जिससे यहां आने वाले प्रवासी पक्षी भी स्वच्छंद विचरण कर सके। जिससे जैसलमेर के पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है।
{जैसलमेर प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थान | प्रवासी पक्षियों का सबसे पसंदीदा स्थान बन चुका है। आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्दियाें के दिनों में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है।शांत इलाका होने से प्रवासी पक्षी सर्दियों के दिनों में इस क्षेत्र में विचरण करने पहुंचते है।
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