12 बौद्ध भिक्षुओं का दल मुनाबाव रास्ते से पाकिस्तान जाने बाड़मेर पहुंचा
बाड़मेर 12 बौद्ध भिक्षुओं ने बाड़मेर जिला मुख्यालय पर रविवार को प्रवेश किया। विश्व शांति की कामना को लेकर पदयात्रा पर निकला यह जत्था थाईलैंड से म्यांमार होते हुए बाड़मेर पहुंचा है। इस जत्थे का दावा है कि वह मुनाबाव होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करेगा। जबकि जिला प्रशासन सहित अन्य एजेंसियों के पास इस संबंध में गृह मंत्रालय का अब तक कोई आदेश नहीं आया है। यदि ऐसा होता है तो मुनाबाव स्थित भारत-पाक बॉर्डर तीसरी बार खोला जाएगा।
जानकारी के मुताबिक विश्व में शांति के लिए अपने पहले पड़ाव थाईलैंड से अमेरिका के नौ हजार किलोमीटर की पदयात्रा के बाद अब थाईलैंड से फ्रांस तक करीब 10 हजार से ज्यादा किलाेमीटर की पदयात्रा को लेकर 11 थाई नागरिकों और 1 कैनेडियन बौद्ध भिक्षुओं का जत्था बाड़मेर पहुंचा। जत्था के मुखिया पा सुथाम नाती धोम मांग के नेतृत्व में 11 सदस्य वाॅक फोर पीस के लिए विश्व की पदयात्रा पर निकले हैं। पहले चरण की पदयात्रा में अकेले उन्होंने गत साल थाईलैंड से वियतनाम, लॉस एंजिलिस होते हुए न्यूयॉर्क की पदयात्रा की थी। इनकी अगुवानी में उनके साथ 11 बौद्ध भिक्षुओं का दल है। पदयात्रा थाईलैंड से म्यांमार होते हुए यहां पहुंची है। दल मुखिया के अनुसार अगले दो दिन में पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे।
18 साल पहले जसवंतसिंह गए थे पाकिस्तान
पूर्व वित्त एवं विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल हिंगलाज माता के दर्शन के लिए मुनाबाव के रास्ते जत्था लेकर गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच थार एक्सप्रेस शुरू हुई थी। 2002 में जसवंत सिंह जसोल इसी रास्ते से अपनी कुलदेवी के दर्शन के लिए जत्था लेकर गए थे। इसके बाद यह बौद्ध भिक्षुओं का जत्था जाने की अनुमति मिलती है तो दूसरी बार धार्मिक जत्थे के लिए मुनाबाव-खोखरापार के गेट खुलेंगे।
दूसरी बार रेशमा का शव इसी रास्ते लाया गया
गडरारोड तहसील के आगासड़ी निवासी रेशमा 2018 में अपनी बेटी से मिलने के लिए पाक गई थी। वहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों देशों के गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों मानवीय संवेदना प्रकट करते हुए इसी रास्ते से लाने की अनुमति दी थी। जुलाई 2018 में शव लाया गया था।
अब अनुमति मिली तो तीसरी बार खुलेगा बॉर्डर
विश्व शांति को लेकर विश्व भ्रमण पर पैदल निकले 12 सदस्यीय बौद्ध भिक्षुओं के दल को इस रास्ते से पाक में प्रवेश की अनुमति मिलती है तो यह गेट तीसरा बार खुलेंगे। इस दल को यहां से जाने की अनुमति है या नहीं इसको लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। हालांकि अधिकारी इससे इंकार भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दो दिन में यह दल मुनाबाव पहुंचेगा तब तक अनुमति को लेकर कोई निर्देश मिलने की उम्मीद है।
विश्व को शांति और सौहार्द की जरूरत, पैरों से जहां नापने से मन को मिलता है सुकून
आज हमारे विश्व को शांति और सौहार्द की बेहद जरूरत है। हमें अपनी आत्मिक शांति से ज्यादा वैश्विक शांति के बारे में सोचना होगा। अपने मन मस्तिष्क को शांत रखकर शांति को फैलाया जा सकता है। वाहनों के माध्यम से तो हर कोई विश्व भ्रमण कर सकता है, लेकिन अपने पैरों से विश्व शांति के लिए जहां नापना अपने आप में मन को सुकून देता है। -पा सुथाम नाती धोम मांग, बौद्ध भिक्षु दल के मुखिया
गृह मंत्रालय की अनुमति मिली तो तीसरी बार खुल सकता है मुनाबाव-खोखरापार बॉर्डर
प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की अनुमति लेनी होगी
वर्तमान में पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसके अलावा, अगर वे प्रतिबंधित सीमा क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो उन्हें हमारे कार्यालय से अनुमति लेनी होगी। - अंशदीप, जिला कलेक्टर बाड़मेर
बाड़मेर 12 बौद्ध भिक्षुओं ने बाड़मेर जिला मुख्यालय पर रविवार को प्रवेश किया। विश्व शांति की कामना को लेकर पदयात्रा पर निकला यह जत्था थाईलैंड से म्यांमार होते हुए बाड़मेर पहुंचा है। इस जत्थे का दावा है कि वह मुनाबाव होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करेगा। जबकि जिला प्रशासन सहित अन्य एजेंसियों के पास इस संबंध में गृह मंत्रालय का अब तक कोई आदेश नहीं आया है। यदि ऐसा होता है तो मुनाबाव स्थित भारत-पाक बॉर्डर तीसरी बार खोला जाएगा।
जानकारी के मुताबिक विश्व में शांति के लिए अपने पहले पड़ाव थाईलैंड से अमेरिका के नौ हजार किलोमीटर की पदयात्रा के बाद अब थाईलैंड से फ्रांस तक करीब 10 हजार से ज्यादा किलाेमीटर की पदयात्रा को लेकर 11 थाई नागरिकों और 1 कैनेडियन बौद्ध भिक्षुओं का जत्था बाड़मेर पहुंचा। जत्था के मुखिया पा सुथाम नाती धोम मांग के नेतृत्व में 11 सदस्य वाॅक फोर पीस के लिए विश्व की पदयात्रा पर निकले हैं। पहले चरण की पदयात्रा में अकेले उन्होंने गत साल थाईलैंड से वियतनाम, लॉस एंजिलिस होते हुए न्यूयॉर्क की पदयात्रा की थी। इनकी अगुवानी में उनके साथ 11 बौद्ध भिक्षुओं का दल है। पदयात्रा थाईलैंड से म्यांमार होते हुए यहां पहुंची है। दल मुखिया के अनुसार अगले दो दिन में पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे।
18 साल पहले जसवंतसिंह गए थे पाकिस्तान
पूर्व वित्त एवं विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल हिंगलाज माता के दर्शन के लिए मुनाबाव के रास्ते जत्था लेकर गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच थार एक्सप्रेस शुरू हुई थी। 2002 में जसवंत सिंह जसोल इसी रास्ते से अपनी कुलदेवी के दर्शन के लिए जत्था लेकर गए थे। इसके बाद यह बौद्ध भिक्षुओं का जत्था जाने की अनुमति मिलती है तो दूसरी बार धार्मिक जत्थे के लिए मुनाबाव-खोखरापार के गेट खुलेंगे।
दूसरी बार रेशमा का शव इसी रास्ते लाया गया
गडरारोड तहसील के आगासड़ी निवासी रेशमा 2018 में अपनी बेटी से मिलने के लिए पाक गई थी। वहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों देशों के गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों मानवीय संवेदना प्रकट करते हुए इसी रास्ते से लाने की अनुमति दी थी। जुलाई 2018 में शव लाया गया था।
अब अनुमति मिली तो तीसरी बार खुलेगा बॉर्डर
विश्व शांति को लेकर विश्व भ्रमण पर पैदल निकले 12 सदस्यीय बौद्ध भिक्षुओं के दल को इस रास्ते से पाक में प्रवेश की अनुमति मिलती है तो यह गेट तीसरा बार खुलेंगे। इस दल को यहां से जाने की अनुमति है या नहीं इसको लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। हालांकि अधिकारी इससे इंकार भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दो दिन में यह दल मुनाबाव पहुंचेगा तब तक अनुमति को लेकर कोई निर्देश मिलने की उम्मीद है।
विश्व को शांति और सौहार्द की जरूरत, पैरों से जहां नापने से मन को मिलता है सुकून
आज हमारे विश्व को शांति और सौहार्द की बेहद जरूरत है। हमें अपनी आत्मिक शांति से ज्यादा वैश्विक शांति के बारे में सोचना होगा। अपने मन मस्तिष्क को शांत रखकर शांति को फैलाया जा सकता है। वाहनों के माध्यम से तो हर कोई विश्व भ्रमण कर सकता है, लेकिन अपने पैरों से विश्व शांति के लिए जहां नापना अपने आप में मन को सुकून देता है। -पा सुथाम नाती धोम मांग, बौद्ध भिक्षु दल के मुखिया
गृह मंत्रालय की अनुमति मिली तो तीसरी बार खुल सकता है मुनाबाव-खोखरापार बॉर्डर
प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की अनुमति लेनी होगी
वर्तमान में पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसके अलावा, अगर वे प्रतिबंधित सीमा क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो उन्हें हमारे कार्यालय से अनुमति लेनी होगी। - अंशदीप, जिला कलेक्टर बाड़मेर
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