गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

जैसलमेर: आकर्षण का केंद्र बिंदु बनकर सम सेंड ड्यून्स विगत वर्षों में उभर चुका

जैसलमेर: आकर्षण का केंद्र बिंदु बनकर सम सेंड ड्यून्स विगत वर्षों में उभर चुका



जैसलमेर. जैसलमेर मुख्यालय से 42 किलोमीटर की दूरी पर सम सेंड ड्यून्स पहुंचने से ठीक पहले शाम ढले अथवा रात के समय धोरों की गोद में लाइटिंग से नहाया हुआ एक पूरा शहर मानो आकार ले चुका है। जैसलमेर आने वाले प्रत्येक सैलानी के आकर्षण का केंद्र बिंदु बनकर सम सेंड ड्यून्स विगत वर्षों में उभर चुका है। सालाना तीन सौ करोड़ का व्यापार यहां बने रिसोर्ट्स और कैम्पस के अलावा अन्य पर्यटन गतिविधियों के जरिए होने लगा है। हर साल रिसोर्ट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। 5 हजार से ज्यादा लोगों को सम के धोरों पर परवान चढ़े पर्यटन से प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है और इससे दोगुने लोग जैसलमेर जिले में पर्यटन से प्रत्यक्ष-परोक्ष रोजी-रोटी कमा रहे हैं। बढ़ रही भागीदारी जैसलमेर पर्यटन का बाजार जैसे तेजी से बढ़ा है, उसमें सम की भागीदारी लगातार बढ़ी है और वर्तमान में सम से होने वाली कमाई पूरे पर्यटन क्षेत्र का एक-तिहाई हिस्सा माना जा रहा है। देश भर में वर्ष पर्यंत आयोजित होने वाले पर्यटन संबंधी ट्रेड फेयर्स में यहां के पर्यटन व्यवसायी मुख्य रूप से सम को उभारते हैं और इसी से आकर्षित होकर देश-दुनिया के खास-आम सैलानी जैसलमेर आते हैं। इसके चलते बॉलीवुड और क्षेत्रीय भाषाओं के फिल्मकार भी फिल्मों के अलावा विभिन्न एड कैम्पेन आदि को सम के सोनलिया रेत के धोरों में फिल्माना पसंद करने लगे हैं। निवेशक भी सम में रिसोट्र्स तथा कैम्प स्थापित करने के साथ सम मार्ग पर होटल आदि बनाने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। शाम को मेले-सा माहौल सम के धोरों पर इन दिनों शाम के समय जहां तक नजर जाती है, पर्यटकों के रैले नजर आते हैं। इस रेत के समंदर में रेगिस्तान के जहाज की सवारी करने का आनंद उठाने की हर किसी की चाहत होती है। रेत के आगोश में सूर्यास्त देखते ही फोटोग्राफी करने को हर कोई बेताब नजर आ रहा है। इससे पहले बच्चों से लेकर बड़े तक रेत के धोरों पर खेलते-कूदते नजर आते हैं। कई बार सुबह के समय जैसलमेर शहर में जितने सैलानी सड़कों पर नजर नहीं आते, उससे ज्यादा शाम के समय सेंडड्यून्स पर बिखरे दिखाई देते हैं। यही कारण है कि शहर के होटलों में कमरे भले ही मिल जाए लेकिन सीजन के चरम पर पहुंचने के दौरान सम के रिसोट्र्स और कैम्प्स में हाउसफुल के टैग लगे नजर आते हैं। धोरों पर वर्तमान मौसम में सायं 4 बजे से चहल-पहल शुरू होती है, जो सूर्यास्त के समय तक परवान चढ़ जाती है। हाजिर है तीन हजार कमरे सम में रिसोर्ट्स की संख्या ९0 से ज्यादा तक हो गई है। इसके अलावा कुछ होटल्स व अन्य ठहरने के ठिकाने भी हैं। जहां करीब साढ़े तीन हजार टैंट और कॉटेज मेहमानों की खातिरदारी के लिए सुलभ हैं। प्रत्येक रिसोर्ट में औसतन 35 से 40 टेंट्स और वातानुकूलित कॉटेज हुआ करते हैं। जो सैलानी दो रातें जैसलमेर बिताने आते हैं, वे एक रात अवश्य सम सेंडड्यून्स में गुजारते हैं। सम का खास आकर्षण - विशाल सर्पिलाकार धोरे सैलानियों का मन मोह लेते हैं। - सम सेंड ड्यून्स के लिए जैसलमेर से दोहरा सड़क मार्ग है, जबकि धोरों के लिए प्रसिद्ध खुहड़ी गांव एकल और यातायात के नजरिए से असुरक्षित सड़क के कारण पिछड़ गया। - सम में रोजाना शाम को राजस्थानी मरुसंगीत की मिठास और लोकनृत्य बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को सुकून का अहसास करवाते हैं। - यहां राजस्थानी व्यंजनों का जायका भी उपलब्ध करवाया जाता है। - ऊंट जैसे ऊंचे जानवर की पीठ पर बैठकर धोरों का भ्रमण करना प्रत्येक सैलानी की पहली पसंद बन चुका है। - सभी गाइड बुक्स तथा पर्यटन संबंधी वेबसाइट्स आदि पर सम लोकप्रिय है। - फिल्मों और कॉमर्शियल एड में ये धोरे बेहद खूबसूरती से दर्शाये गए हैं।पर्यटकों के लिए फूल पैकेज किसी भी स्थान पर घूमने के लिए सैलानी को अपने पैसे व समय का पूरा उपयोग चाहिए होता है। सम सेंड ड्यून्स पर उन्हें यही मिलता है। उन्हें कुदरती वातावरण में शहरों में ठहरने के लिए मिलने वाली सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है। यहां पर्यटन से जुड़े लोग निरंतर नवाचार करने में विश्वास रखते हैं। - कैलाश व्यास, अध्यक्ष, सम कैम्प्स एंड रिसोर्ट्स वेलफेयर सोसायटी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें