रविवार, 24 नवंबर 2019

जोधपुर, नगरपालिकाओं मे ’बाबूओं’ की राजनेताओं की डिजायरों से एक्ज्यूकेटिव आॅफिसर पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को हाईकोर्ट मे चुनौती का मामला चीफ सेक्रेटरी, प्रमुख सचिव को कानूनी नोटिस

 जोधपुर, नगरपालिकाओं मे ’बाबूओं’ की राजनेताओं की डिजायरों से एक्ज्यूकेटिव
आॅफिसर पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को हाईकोर्ट मे चुनौती का मामला
चीफ सेक्रेटरी, प्रमुख सचिव को कानूनी नोटिस


जोधपुर, 24 नवंबर। प्रदेश मे नगरीय निकायों के जरिए सुनियोजित विकास एवं चैतरफा सौन्दर्यकरण के दावे करने वाली राज्य सरकार द्वारा नगरपालिकाओं मे अधिशाषी एवं कार्यकारी अधिकारी के पदों पर दागी बाबूओं को बिठाने के मामले को राजस्थान हाईकोर्ट मे चुनौती दी जायेगी। हाईकोर्ट मे पीआईएल दायर करने से पूर्व चीफ सेक्रेटरी, स्वायत शासन विभाग के प्रमुख सचिव और स्थानीय निकाय विभाग के डाॅयरेक्टर को नोटिस भेज दिए गये हैं।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता सत्य प्रकाश शर्मा एवं डीएस राठौड़ ने प्रकाश माली की तरफ से भेजे गये कानूनी नोटिस मे सतादल के नेताओं की डिजायर पर अपात्र एवं दागी बाबूओं को विभिन्न नगरपालिकाओं मे अधिशाषी अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित किए जाने की प्रक्रिया को राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 एवं नगरपालिका सेवा नियम 1963 का उल्लंघन एवं माखौल उड़ाने वाली कार्यवाही करार दिया गया हैं।
नोटिस के मुताबिक नगरपालिका एक्ट मे नगरपालिका मंडलों मे अधिशाषी अधिकारी पदों पर नगरपालिका प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के पदस्थापन के अधिकार राज्य सरकार को प्रदत्त हैं। ऐसे पदों पर पात्रताधारियों को सीधी नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण से नियुक्तियां दी जा सकती हैं।
अधिवक्ता डीएस राठौड़ ने बताया कि राज्य सरकार ने एक्ज्यूकेटिव आॅफिसर पदों पर सतादल के नेताओं की डिजायरों को महत्व देते हुए कार्यालय सहायक पदधारी ऐसे बाबूओं को भी पदस्थापित कर लिया जिनके विरूद्व सेवा मे रहते हुए धोखाधड़ी, जालसाजी, वरिष्ठ अफसरों के हस्ताक्षर स्केन कर पट्टे जारी करने एवं नियमन राशि हड़पने जैसे गंभीर प्रकृत्ति के आपराधिक और विभागीय मामले विचाराधीन चल रहे हैं।
कानूनी नोटिस मे विधानसभा चुनावों मे सुमेरपुर से कांग्रेस प्रत्याशी रह कर पराजित हुई नैत्री रंजू रामावत की डिजायर पर स्वायत शासन मंत्री द्वारा आपराधिक प्रकरणों के आरोपित बाबू को एक साथ दो नगरपािलकाओं मे अधिशाषी अधिकारी लगाने के सनसनीखेज मामले को उद्दत किया गया हैं। कानूनी नोटिस मे इस बाबू के प्रथम बार चतुर्थश्रेणी कर्मचारी पद पर स्थाईकरण से उसे दी गई लगातार पदोन्नतियों पर अंगूली उठाई गई हैं। इसी तरह शिवगंज सहित कईं राज्य की विभिनन नगरपालिकाओं मे मंत्रलायिक वर्ग के कार्यालय सहायकों को एक्ज्यूकेटिव आॅफिसर पदों पर सतादल के क्षैत्रीय प्रभावशाली नेताओं की डिजायर पर स्वायत शासन मंत्री ने पदस्थापित कर रखे हैं जबकि प्रदेश मे अधिशाषी अधिकारी एवं समकक्ष पदो ंके काबिल और पात्र कईं आरएमएस अधिकारी पदस्थापन की प्रतीक्षा मे तथा अन्य पदों पर सेवाएं दे रहे हैं।
आरोप गंभीर लेकिन सर्विसबुक स्वच्छ
कानूनी नोटिस के मुताबिक कांग्रेस नैत्री रंजू रामावत की डिजायर पर नियम एवं प्रावधानों से परे हट कर मंत्री द्वारा दो निकायों मे अधिशाषी अधिकारी पदों पर नियुक्त किए जाने वाले दागी बाबू पर सेवाकाल मे कईं गंभीर आरोप लगे हुए हैं। वह कईं बार जालसाजी एवं धोखाधड़ी के मामले मे न केवल गिरफ्तार हो चुका हैं बल्कि अलग अलग बार लम्बी जेल हिरासत भोग चुका हैं लेकिन उसकी सर्विस बुक काच की तरह साफ एवं बेदाग पड़ी हैं। आरोप हैं कि सर्विसबुक खुद बाबू अपनी पाॅकेट मे रखता हैं। निलम्बन एवं चार्जशीट्स की प्रक्रिया और आदेशों का सर्विस बुक मे कोई इन्द्राज नही हैं।
आर.टी.आई. मे गोलमाल जवाब
स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा अपात्र एवं बाबू ग्रेड के कार्मिकों को अधिशाषी अधिकारी बनाये जाने के प्रावधानों के बारे मे जब भी आरटीआई एक्ट मे पूछा जाता हैं तब एक्वििस्ट को गोलमाल जवाब दे दिया जाता हैं कि ऐसे पदस्थापन राज्य सरकार के आदेश पर किए जाते हैं लेकिन किसी नियम, अधिनियम एवं कानूनी प्रावधान के बारे मे कुछ नही बोला जाता हैं।
कानूनी नोटिस के मुताबिक अपात्र लोगों के स्थानीय निकायों मे कार्यकारी अधिकारी के पद पर पदस्थापन दिये जाने से कईं पालिकाओं मे गबन, घोटाले एवं वित्तीय अनियमितताओं के मामले एजी एवं स्थानीय निधि अंकेक्षण की आॅडिट के साथ साथ प्रशासनिक जांचों मे सामने आये हैं लेकिन डाॅयरेक्टर और प्रिन्सिपल सेक्रेटरी ऐसे मामलों मे कार्यवाही ही नही करते। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एवं विभिन्न पुलिस स्टेशनों मे प्रदेश भर मे ऐसे कईं मामले भी लम्बित एवं दर्ज हैं।
प्रमुख सचिव, चीफ सेक्रेटरी एवं डाॅयरेक्टर को भेजे गये कानूनी नोटिस मे ऐसे अपात्र एवं दागी कार्मिकों को तत्काल हटाने एवं इनके विरूद्व उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच निश्चित समय मे पूरी करवाने के आदेश प्रसारित करने की मांग की गई हैं। ऐसा नही किए जाने पर राजस्थान हाईकोर्ट मे पूरे मामले को लेकर पीआईएल दायर करने की चेतावनी दी गई हैं।

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