मंगलवार, 19 नवंबर 2019

जैसलमेर सभापति को लेकर दोनो दलों में फंसा गुटबाज़ी का पेंच* *कांग्रेस के पास दावेदारों की फौज,भाजपा में दो नामों की चर्चा*

जैसलमेर सभापति को लेकर दोनो दलों में फंसा गुटबाज़ी का पेंच*

*कांग्रेस के पास दावेदारों की फौज,भाजपा में दो नामों की चर्चा*

*सभापति पद के चुनाव पर पहला रियेक्सन बाडमेर न्यूज़ ट्रैक का*

जैसलमेर नगर परिषद चुनावो के नतीजों ने भाजपा और कांग्रेस दोनो को टेंशन में डाल दिया।।सभापति पद के लिए दोनो दलों में कशमकश चल रही है। कांग्रेस के पास सभापति दावेदारों की फौज खड़ी है।तो भाजपा में दो नाम प्रमुखता से चल रहे है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि भाजपा में पूर्व विधायको का एक गुट  वार्ड तीन से विजयी हजूरी समाज के चरनजीत सिंह पर तो पूर्व विधायक का दूसरा गुट वार्ड 15 से विजयी श्रीमती सरला शर्मा पर दांव खेलना चाहते है।।एक गुट का मानना है कि हजूरी समाज के उम्मीदवार के नाम पर कांग्रेस में सेंध आसानी से लगाई जा सकती है।निर्दलीय उम्मीदवार भी समाज के नाम साथ आ सकता है।तो दूसरा गुट श्रीमती सरला शर्मा के नाम पर कांग्रेस में सेंधमारी का दावा कर रहा है।।किसके नाम का पिटारा खुलेगा यह आने वाले दो तीन दिन में ही तय होगा।।इधर कांग्रेस के पास हरि वल्लभ कल्ला,पवन सुदा, सुमार खान,निर्मल रियानी,विक्रम सिंह ,कमलेश छंगाणी सभापति के प्रबल दावेदार है।।विधायक गुट के सभापति के दावेदार लाइन से जीते है।इन सब पर सहमति सम्भव नही।इनमें से एक का नाम तय करने का सीधा मतलब पार्टी में फाड़।।विधायक गुट फिलहाल इन दावेदारों को एक एक बुलाकर सभापति बनाने का बोल रहे है तो फ़क़ीर गुट के साथ साथ प्रभारी मंत्री बी डी कल्ला की एकमात्र पसन्द हरिवल्लभ कल्ला है। कांग्रेस में सर्वसम्मति के आसार नजर नही आ रहे।।ऐसे में कांग्रेस में सभापति का नाम हाई कमान द्वारा तय किये जाने की पूरी संभावना है।।हाई कमान नाम तय करने के साथ सर्वसम्मति के निर्देश दे सकते है।।पार्टी पर्यवेक्षक के बुधवार को जेसलमेर पहुंचने की संभावना है।।बहरहाल सभापति के संभावित नामो को लेकर चर्चा शहर में जोरो पर है।समस्या दोनो दलों के सामने एक ही है कि बहुमत दोनो के पास नही। निर्दलीय प्रत्यासी सभापति के भाग्य का पिटारा खोलेगी।इसके अलावा क्रोस वोटिंग ही सभापति तय करेगी।।विधायक गुट के पास एक निर्दलीय आ चुका है तो दूसरे गुट के पास पांच से सात पार्षद निर्णायक है।।पूर्व सभापति अशोक तंवर की अहम भूमिका रहेगी।।उनके जीते समर्थक जिनके पक्ष में जाएंगे वो ही सभापति होगा ऐसी चर्चा भी है।।गुटबाज़ी में फंसे दोनो दलों की सर्व सम्मति किसी एक एक नाम पर बनने की संभावना कम लग रही है।।समाजों के नाम पर कौनसा दल दूसरे दल में सेंधमारी करती है यह भी महत्वपूर्ण रहेगा।।

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