मंगलवार, 19 नवंबर 2019

काल भैरव अष्टमी-जयंती पर विशेष देवी के 52 शक्तिपीठ की रक्षा भी कालभैरव अपने 52 विभिन्न रूपों में करते हैं।

काल भैरव अष्टमी-जयंती पर विशेष 19 नवम्बर 2019---


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री


आज सम्पूर्ण भारत में (19 नवम्बर 2019 को यानि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी) को श्री काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा।

इस वर्ष श्री काल भैरव अष्टमी की शुरुआत 19 नवंबर (मंगलवार) को दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगी तथा काल भैरव अष्टमी का समापन 20 नवंबर (बुधवार) को दोपहर 1 बजकर 41 मिनट पर होगा।

देवी के 52 शक्तिपीठ की रक्षा भी कालभैरव अपने 52 विभिन्न रूपों में करते हैं। भगवान कालभैरवनाथ के दर्शन और पूजन की महत्ता इसी बात के समझी जा सकती है कि न तो भगवान शिव की पूजा और न ही देवी के किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन भैरव जी के दर्शन के बिना पूरे माने गए हैं। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हो, श्री काशी विश्वनाथ हो या देवी कामाख्या के दिव्य दर्शन हों, बिना भैरवनाथ के दर्शन के शिव-शक्ति के दर्शन अधूरे माने गए हैं।

देश के कई हिस्सों में इस दिन भैरव नाथ की विधि-वत पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव की पावन नगरी में तो पहले इनकी पूजा की जाती है बाद में काशी विश्वनाथ की। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार यहां इन्हें भगवान शंकर के रक्षक कहा गया है।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि जिस व्यक्ति के जीवन में कई से भी प्रगति न हो रही हो व उसके द्वारा किए कामों में उसे असफलता का सामना करना पड़ रहा हो तो भैरव अष्टमी के दिन उसे निम्न दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए। माना जाता है इस तांत्रिक मंत्र का जाप करने से भैरवनाथ प्रसन्न होते हैं और जातक के सभी कष्ट-क्लशे काट देते हैं।

पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार भैरव आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय प्राप्त होती है। इनकी पूजा से मनुष्य भयमुक्त होता है और साहस का संचार होता है। विशेषकर शनि, राहु, केतु और मंगल जैसे मारकेश ग्रहों के कोप से पीड़ित लोगों को इस दिन भैरव साधना खासतौर पर करनी चाहिए।
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यदि जन्मपत्रिका में मारकेश ग्रहों के रूप में (शनि, राहु, केतु और मंगल ) इन चारों ग्रहों में से किसी एक का भी प्रभाव दिखाई देता हो तो भैरव जी का पंचोपचार पूजन अवश्य करवाना चाहिए। भैरव के जप, पाठ और हवन अनुष्ठान से मृत्यु तुल्य कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं।
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कालिका पुराण के अनुसार श्री भैरव जी का वाहन श्वान है इसलिए विशेष रूप से इस दिन काले कुत्ते को मीठी चीजें खिलाना बड़ा शुभ माना जाता है। श्री भैरवाष्‍टमी के दिन श्वान (कुत्ते) को मिष्ठान खिलाकर दूध पिलाना चाहिए।
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श्री भैरव को प्रसन्न करने के लिए उड़द की दाल या इससे निर्मित मिष्ठान, दूध-मेवा का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन उड़द दाल से बने दही बड़े, गुलगुले, कचौड़ी आदि का भोग लगाने से काल भैरव भक्तों पर जल्दी से प्रसन्न होते हैं।
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काल भैरव जयंती के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा 11 रुपए, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा मीटर काले कपड़े में एक पोटली बनाकर श्री भैरव नाथ के मंदिर में चढ़ाएं।
👉🏻👉🏻 श्री भैरव बाबा को मदिरा का भोग लगाया जाता हैं क्योंकि उन्हें मदिरा प्रिय है। इसलिए उनके निमित्त किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा दान करें।
काल भैरव अष्टमी के एक दिन पूर्व ऐसी शराब खरीदें जिसका रंग गौ मूत्र के समान हो। सोते समय उसे अपने तकिए को पास रखें। सुबह यानि कालभैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के मंदिर जाकर शराब को कांसे के कटोरे में डालकर आग लगा दें। इससे राहु का प्रभाव शांत होगा। मन की समस्त इच्छाएं पूर्ण होंगी।
👉🏻👉🏻 काल भैरव अष्टमी के सवा किलो जलेबी भैरव बाबा को चढ़ाएं। जलेबी का एक भाग कुत्तों को खिलाएं। इससे आपको आर्थिक लाभ होगा।
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श्री भैरव जी का रंग श्याम वर्ण तथा उनकी 4 भुजाएं हैं, जिनमें वे त्रिशूल, खड़ग, खप्पर तथा नरमुंड धारण किए हुए हैं।
श्री काल भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं।
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श्री काल भैरव अपने भक्तों और उनकी संतान को लंबी उम्र प्रदान करते हैं।
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श्री भैरव के नाम जप मात्र से मनुष्य को कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
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इनकी आराधना का विशेष समय भी मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता है।
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भैरव जी को चमेली फूल प्रिय होने के कारण उपासना में इसका विशेष महत्व है।
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भैरव के जाप, भैरव चालीसा, भैरव स्तुति आदि पठनात्मक एवं हवनात्मक अनुष्ठान करने से वे मृत्युतुल्य कष्ट को समाप्त कर देते हैं।
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आइए जानते हैं श्री काल भैरव की पूजन-विधि के साथ इनके इस चमत्कारी मंत्र के बारे में-
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ऐसे करें श्री भैरव पूजन-
नारद पुराण में कहा गया है कि काल भैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के साथ-साथ मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन रात्रि में बाबा काल भैरव एवं माता महाकाली की पूजा भी अत्यंत फलदायी होती है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि इस दिन बाबा श्री काल भैरव की विशेष कृपा पाने के लिए इनको पंच मेवा अर्थात 5 प्रकार के मिष्ठान का भोग, पान या पीपल के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए। बाद में इसी भोग को किसी काले कुत्ते को खिला देना चाहिए। काल भैरव जयंती के दिन बाबा काल भैरव के इस तांत्रिक मंत्र का जप 511 बार करने से अनेक कामनाएं पूरी होती हैं एवं बिगड़े हुए सभी काम स्वयं ही बन जाते हैं।

श्री काल भैरव का अवतार प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में हुआ था। इसीलिए श्री भैरव पूजा शाम और रात के समय करना ज्यादा शुभ माना गया है। श्री काल भैरव अष्टमी पर सिंदूर, सुगंधित तेल से भैरव भगवान का श्रृंगार करें। लाल चंदन, चावल, गुलाब के फूल, जनेऊ, नारियल अर्पित करें। तिल-गुड़ या गुड़-चने का भोग लगाएं। सुगंधित धूप बत्ती और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद भैरव मंत्र का जाप करें--

"धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्। द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।"
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इस दिन आप भैरव गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते हैं--

"ऊँ शिवगणाय विद्महे। गौरीसुताय धीमहि। तन्नो भैरव प्रचोदयात।।"

मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें, इसके बाद भैरव भगवान के सामने धूप, दीप और कर्पूर जलाएं, आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें। भैरव भगवान के वाहन कुत्तों को प्रसाद और रोटी खिलाएं।
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इस मंत्र के जाप से होगा कल्याण -
ॐ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
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यह हैं काल भैरव से जुड़ी पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में भयंकर विवाद हो गया, इन दोनों देवों के विवाद के कारण भगवान शिव शंकर अत्यधिक क्रोधित हो गए। उनके क्रोध से एक अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ जिसे काल भैरव कहा गया। शास्त्रों के अनुसार जिस दिन शिव के क्रोध से अंश रूप में बाबा काल भैरव का प्राकट्य हुआ उस दिन मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि थी।

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