तीज-त्योहार / छठ पर ग्रह-गोचर का शुभ संयोग, सौम्य और स्थिर योग में शुरू हुआ पर्व
गुरुवार काे नहाय-खाय के दाैरान सौम्य एवं स्थिर योग में चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुअात हाे रही है। रविवार को सप्तमी तिथि में सूर्य का प्रभाव एक हजार गुणा अधिक हो जाता है। इस तिथि को गंगा स्नान मात्र से शरीर के सारे कष्टों का नाश हो जाता है और एक सौ अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस साल छठ पर्व के दौरान तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। 4 दिवसीय छठ पर्व पर सर्वार्थसिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं।
ग्रहों का शुभ संयोग
छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग इस बार छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत करेंगे। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है। शनिवार 2 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। जबकि 3 नवंबर रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के दाैरान सर्वार्थसिद्धि योग के साथ त्रिपुष्कर योग का शुभ संयोग भी बन रहा है।
नियम-संयम के साथ शुरू हुआ पर्व
निरामिश व प्याज-लहसुन रहित भाेजन के साथ बुधवार से सूर्याेपासना के महान पर्व छठ का नियम-संयम शुरू हाे गया। गुरुवार काे कार्तिक शुक्ल चतुर्थी काे नहाय- खाय से चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। नहाय-खाय के लिए व्रत करने वाले गंगा व अन्य नदियाें के अलावा अपने घराें में भी पवित्र स्नान के बाद कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल, अांवले की चटनी, लाैकी का बजका अादि प्रसाद ग्रहण करेंगी।
ुआशुक्रवार 1 नवंबर काे खरना, 2 नवंबर काे सांध्यकालीन अर्घ्य अाैर 3 नवंबर की अहले सुबह प्रात:कालीन अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य के बाद व्रती पारण करेंगे अाैर इसके साथ ही लाेक अास्था का यह महान पर्व संपन्न हाे जाएगा
गुरुवार काे नहाय-खाय के दाैरान सौम्य एवं स्थिर योग में चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुअात हाे रही है। रविवार को सप्तमी तिथि में सूर्य का प्रभाव एक हजार गुणा अधिक हो जाता है। इस तिथि को गंगा स्नान मात्र से शरीर के सारे कष्टों का नाश हो जाता है और एक सौ अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस साल छठ पर्व के दौरान तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। 4 दिवसीय छठ पर्व पर सर्वार्थसिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं।
ग्रहों का शुभ संयोग
छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग इस बार छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत करेंगे। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है। शनिवार 2 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। जबकि 3 नवंबर रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के दाैरान सर्वार्थसिद्धि योग के साथ त्रिपुष्कर योग का शुभ संयोग भी बन रहा है।
नियम-संयम के साथ शुरू हुआ पर्व
निरामिश व प्याज-लहसुन रहित भाेजन के साथ बुधवार से सूर्याेपासना के महान पर्व छठ का नियम-संयम शुरू हाे गया। गुरुवार काे कार्तिक शुक्ल चतुर्थी काे नहाय- खाय से चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। नहाय-खाय के लिए व्रत करने वाले गंगा व अन्य नदियाें के अलावा अपने घराें में भी पवित्र स्नान के बाद कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल, अांवले की चटनी, लाैकी का बजका अादि प्रसाद ग्रहण करेंगी।
ुआशुक्रवार 1 नवंबर काे खरना, 2 नवंबर काे सांध्यकालीन अर्घ्य अाैर 3 नवंबर की अहले सुबह प्रात:कालीन अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य के बाद व्रती पारण करेंगे अाैर इसके साथ ही लाेक अास्था का यह महान पर्व संपन्न हाे जाएगा
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