शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

बीएसएफ ने बॉर्डर पर खोला ‘घर-आंगन’
शाहगढ़ में बच्चे पढ़ रहे हैं अंग्रेजी-गणित

जैसलमेर 25अक्टूबर 2019 .

देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले जवान जिनके हाथों में हमेशा बंदूकें होती हैं, लेकिन जैसलमेर से सटी पाक सीमा पर ये जवान अपने खाली समय में चॉक और ब्लैकबोर्ड के साथ शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं। यह जैसलमेर से लगती पाक सीमा पर बीएसएफ की हकीकत है, जो जवानों के लिए यहां के लोगों के दिलों में सम्मान और अपनापन पैदा करती है और इसी अपनेपन से खिंचे जवान जैसलमेर के सीमावर्ती गावों के बच्चों को अपने खाली समय में गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। बीएसएफ द्वारा संचालित इस अनूठे घर आंगन प्रोजेक्ट में बच्चे-बच्चियां हिंदी अंग्रेजी गणित की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं रहन-सहन का तरीका भी सीख रहे हैं।

जिले की वह दुर्गम सीमा, जहां दूर दूर तक रेतीले धोरे पसरे हुए हैं और इस सीमा पर 1971 में पाकिस्तान ने हमला बोल भारत के इस हिस्से को अपने में मिलाने का नापाक मंसूबा बनाया था, लेकिन पाक के इस नापाक मंसूबे को भारतीय वीरों ने देशभक्ति के जज्बे से पछाड़ दिया था और तब से अब तक ये सैनिक लगातार इन सीमाओं की चौकसी में लगे हैं। पिछले लंबे समय से युद्धों से दूर यहां सीमाओं की रक्षा कर रही बीएसएफ अब यहां के जीवन का हिस्सा बन गई है और ये बात बीएसएफ और स्थानीय लोग भलीभांति समझने भी लगे हैं और आपसी सौहार्द और अपनेपन का ही नतीजा है कि बीएसएफ इन इलाकों में रहने वाले लोगों को अपना परिवार ही समझते हैं और इसी भावना से फलीभूत होकर बीएसएफ ने सीमावर्ती गांवों में शिक्षा देने का मन बनाया है।


बच्चों को पढ़ाने के लिए जवानों की ड्यूटी लगती है

यहां के रहने वाले ग्रामीण जो सरकार की सभी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। भारत-पाक सीमा पर स्थित गांव में इन स्कूलों में भले ही सरकारी शिक्षक न आते हो, लेकिन बीएसएफ के जवान नियमित रूप से यहां के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और ये कोई शौकिया काम नहीं, बल्कि नियमित चलने वाली प्रक्रिया है। इसमें सीमाओं की रक्षा कर रहे जवानों की बाकायदा ड्यूटी लगती है और वे अपनी योग्यता अनुसार इन स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं।

पुरानी चौकी को तैयार कर ‘घर-आंगन’ प्रोजेक्ट शुरू किया

बीएसएफ ने शाहगढ़ बल्ज के लोहारू क्षेत्र में एक पुरानी पुलिस चौकी व बीएसएफ के एडम बेस को पूरी तरह नई बिल्डिंग में बदल कर उसमें ‘घर-आंगन’ प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें 28 बच्चों व कई महिलाओं के जिंदगी व तौर तरीकों को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। आज ये बच्चे साफ सुथरे होकर ‘घर-आंगन’ स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं।


मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बीएसएफ ने बीड़ा उठाया

जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ज में दूर दूर तक छितरा हुआ क्षेत्र व ढाणियों में निवास करने वाले बच्चों को टूथपेस्ट व टूथब्रश का मतलब भी पता नहीं है। स्कूली शिक्षा तो बहुत दूर की बात है। क्षेत्र से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात बीएसएफ की 149वीं बटालियन के कमांडेंट ने बीएसएफ के आईजी अमित लोढ़ा व डीआईजी राजेश कुमार की प्ररेणा से ‘घर आंगन’ नामक प्रोजेक्ट के जरिये यह के बच्चों व लोगों को शिक्षा द्वारा मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।


- शिवानंद यादव, कमांडेंट, 149वीं वाहिनी बीएसएफ

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