जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हुई नई सुबह: आज से नहीं रहेगा राज्य का ध्वज व अलग संविधान
बुधवार की सुबह जब जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लोग अपने घरों के किवाड़ खोलें तो उनके लिए सबकुछ बदल चुका था। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बन गये। एकीकृत जम्मू कश्मीर व लद्दाख के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का पद भी उपराज्यपाल में बदल गया। उनकी सलाहकार परिषद भी समाप्त हो गई। राज्य का ध्वज भी नहीं रहेगा और राज्य का संविधान भी प्रभावी नहीं होगा। यह दोनों इतिहास का हिस्सा बन गए। यकीनन, इससे स्थानीय सियासत का रुख भी बदला हुआ नजर आया।
संसद के दोनों सदनों ने राज्य को अलग संविधान और अलग निशान प्रदान करने वाले राष्ट्रीय संविधान के सभी प्रावधानों को समाप्त करने पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है। जम्मू व कश्मीर प्रांत को एक साथ रखते हुए इसे भी केंद्र शासित राज्य बनाया गया है। संसद के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव अब अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे गए हैं और उनके हस्ताक्षरों के बाद यह प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। जम्मू कश्मीर अब एक पूर्ण राज्य नहीं होगा।
बुधवार को जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित राज्य बन गया। लद्दाख का जम्मू कश्मीर से संवैधानिक, प्रशासनिक संबंध भी समाप्त हो गया। वह एक अलग केंद्र शासित राज्य के रूप में भारत के नक्शे पर उभरेगा। लद्दाख के लिए एक अलग उपराज्यपाल होगा। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में भी उपराज्यपाल होगा। जम्मू कश्मीर का लाल रंग का ध्वज जिसमें एक हल, धान की फलियां और तीन डंडे हैं, वह भी नागरिक सचिवालय समेत सभी संवैधानिक संस्थानों से उतर गए। सिर्फ राष्ट्रध्वज ही रहेगा। राज्य के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक फिलहाल राज्य में बने रहेंगे, लेकिन राज्यपाल का पद उपराज्यपाल में बदल जाएगा। उनके पास जम्मू कश्मीर के अलावा केंद्र शासित लद्दाख के उप राज्यपाल की जिम्मेदारी भी अगले आदेश तक बनी रहेगी।
एकीकृत जम्मू कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक की सलाहकार परिषद भी बुधवार को समाप्त हो जाएगी। उनके मौजूदा सलाहकारों को दोबारा जम्मू कश्मीर में सलाहकार बनाया जाएगा या नहीं, यह अभी तय नहीं है। अलबत्ता, नए सलाहकारों की नियुक्ति भी बुधवार को शुरू हो जाएगी।
आइएएस और आइपीएस कैडर में भी बदलाव होगा :
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नए प्रशासनिक बदलाव और नई व्यवस्था में कौन कहां जाएगा, कौन से नियम नए होंगे, इस सिलसिले में नयी अधिसूचनाओं का दौर भी बुधवार को शुरू हो जाएगा। कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नयी व्यवस्था में स्थिति क्या होगी, इसे नए सिरे से परिभाषित करने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। राज्य में तैनात आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के कैडर में भी बदलाव होगा और वह अब केंद्र शासित राज्य कैडर सेवा में जा सकते हैं।
स्कूली पाठयक्रम में भी बदलाव होगा :
दोनों केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में स्कूली पाठयक्रम में भी बदलाव होगा। अब पुस्तकों में जम्मू कश्मीर एक राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित राज्य के रूप में शामिल किया जाएगा। लद्दाख उसका हिस्सा नहीं, एक अलग केंद्र शासित राज्य के रूप में किताबों में शामिल किया जाएगा।
सियासत का नया दौर शुरू होगा :
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, एलयूटीएफ जैसे क्षेत्रीय दलों की सियासत का नया दौर शुरू होगा। नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस जैसे संगठन लद्दाख में किस एजेंडे के साथ आगे बढ़ेंगे या खुद को जोजिला दर्रे तक सीमित रखेंगे, इसका भी संकेत मिलेगा।
बुधवार की सुबह जब जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लोग अपने घरों के किवाड़ खोलें तो उनके लिए सबकुछ बदल चुका था। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बन गये। एकीकृत जम्मू कश्मीर व लद्दाख के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का पद भी उपराज्यपाल में बदल गया। उनकी सलाहकार परिषद भी समाप्त हो गई। राज्य का ध्वज भी नहीं रहेगा और राज्य का संविधान भी प्रभावी नहीं होगा। यह दोनों इतिहास का हिस्सा बन गए। यकीनन, इससे स्थानीय सियासत का रुख भी बदला हुआ नजर आया।
संसद के दोनों सदनों ने राज्य को अलग संविधान और अलग निशान प्रदान करने वाले राष्ट्रीय संविधान के सभी प्रावधानों को समाप्त करने पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है। जम्मू व कश्मीर प्रांत को एक साथ रखते हुए इसे भी केंद्र शासित राज्य बनाया गया है। संसद के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव अब अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे गए हैं और उनके हस्ताक्षरों के बाद यह प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। जम्मू कश्मीर अब एक पूर्ण राज्य नहीं होगा।
बुधवार को जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित राज्य बन गया। लद्दाख का जम्मू कश्मीर से संवैधानिक, प्रशासनिक संबंध भी समाप्त हो गया। वह एक अलग केंद्र शासित राज्य के रूप में भारत के नक्शे पर उभरेगा। लद्दाख के लिए एक अलग उपराज्यपाल होगा। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में भी उपराज्यपाल होगा। जम्मू कश्मीर का लाल रंग का ध्वज जिसमें एक हल, धान की फलियां और तीन डंडे हैं, वह भी नागरिक सचिवालय समेत सभी संवैधानिक संस्थानों से उतर गए। सिर्फ राष्ट्रध्वज ही रहेगा। राज्य के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक फिलहाल राज्य में बने रहेंगे, लेकिन राज्यपाल का पद उपराज्यपाल में बदल जाएगा। उनके पास जम्मू कश्मीर के अलावा केंद्र शासित लद्दाख के उप राज्यपाल की जिम्मेदारी भी अगले आदेश तक बनी रहेगी।
एकीकृत जम्मू कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक की सलाहकार परिषद भी बुधवार को समाप्त हो जाएगी। उनके मौजूदा सलाहकारों को दोबारा जम्मू कश्मीर में सलाहकार बनाया जाएगा या नहीं, यह अभी तय नहीं है। अलबत्ता, नए सलाहकारों की नियुक्ति भी बुधवार को शुरू हो जाएगी।
आइएएस और आइपीएस कैडर में भी बदलाव होगा :
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नए प्रशासनिक बदलाव और नई व्यवस्था में कौन कहां जाएगा, कौन से नियम नए होंगे, इस सिलसिले में नयी अधिसूचनाओं का दौर भी बुधवार को शुरू हो जाएगा। कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नयी व्यवस्था में स्थिति क्या होगी, इसे नए सिरे से परिभाषित करने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। राज्य में तैनात आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के कैडर में भी बदलाव होगा और वह अब केंद्र शासित राज्य कैडर सेवा में जा सकते हैं।
स्कूली पाठयक्रम में भी बदलाव होगा :
दोनों केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में स्कूली पाठयक्रम में भी बदलाव होगा। अब पुस्तकों में जम्मू कश्मीर एक राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित राज्य के रूप में शामिल किया जाएगा। लद्दाख उसका हिस्सा नहीं, एक अलग केंद्र शासित राज्य के रूप में किताबों में शामिल किया जाएगा।
सियासत का नया दौर शुरू होगा :
केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, एलयूटीएफ जैसे क्षेत्रीय दलों की सियासत का नया दौर शुरू होगा। नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस जैसे संगठन लद्दाख में किस एजेंडे के साथ आगे बढ़ेंगे या खुद को जोजिला दर्रे तक सीमित रखेंगे, इसका भी संकेत मिलेगा।
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