रविवार, 2 जून 2019

जेसलमेर *हरीश का न होना कितना दुखद जेसलमेर के पर्यटन के लिए* *पर्यटकों की ही नही स्थानीय लोगो की पहली पसंद हरीश रहे*

जेसलमेर *हरीश का न होना कितना दुखद जेसलमेर के पर्यटन के लिए*

*पर्यटकों की ही नही स्थानीय लोगो की पहली पसंद हरीश रहे*

*खास श्रद्धांजलि बाडमेर न्यूज़ ट्रैक की और से*

*जेसलमेर टूरिज्म को नई पहचान लोक नृत्य में देने वाले क्वीन हरीश के असामयिक निधन पर पूरा जेसलमेर स्तब्ध है।हर आंख में आंसू है।।जेसलमेर पर्यटन में यह दूसरी शख्सियत है जिनके जाने से जेसलमेर का पर्यटन उद्योग खाली खाली सा लगेगा।।इनसे पहले जेसलमेर पर्यटन को नई पहचान दिलाने वाले पहले और स्थाई मिस्टर डेजर्ट लक्ष्मीनारायण बिस्सा थे।।बिस्सा का टूरिज्म विकास में योगदान आज भी याद किया जाता है।।जजेसलमेर के टूरिज्म को शिशुकाल से विकसित कर युवा अवस्था मे लाने में बिस्सा का शानदार योगदान रहा। ऐसे ही क्वीन हरीश ने थार के लोक नृत्य घूमर,चकरी,अग्नि नृत्य,भवाई,सहित को देश विदेश में न केवल नई पहचान दिलाई अपितु देश विदेश के सेकड़ो सैलानियों को राजस्थान की नृत्य कला में प्रशिक्षण देकर पारंगत किया।हरीश लोक नृत्य की कई कलाएं जानते थे।।उनका भवाई नृत्य और अग्नि नृत्य खासे लोकप्रिय है।।जेसलमेर आने वाला हर देश विदेशी पर्यटक हरीश के नृत्य का न केवल आनंद लेता बल्कि खुद भी हरीश के साथ नृत्य कर खुद को आनंदित महसूस करते।।पिछले दो सालों में तो हरीश ने लोकप्रियता में नई ऊंचाइयां छुई।।उन्हें प्रकाश झा जैसे मंझे हुए निर्देशक ने अपनी फिल्म जै गंगाजल में मौका दिया।।जिसे हरीश ने बखूबी निभा तालियां बटोरी।।स्थानीय रिसोर्ट सहित विभिन कार्यक्रमो में हरीश की मांग सर्वाधिक थी।।हरीश का नृत्य दिल और सांस थाम के देखना पड़ता।।हरीश ने स्थानीय लोक गीत संगीत के साथ नृत्य को नई पहचान दी।।उनकी प्रतिभा का ही कमाल था कि विदेशों से उनके पास नृत्य सीखने हर साल युवतियां आती थी।।इस बार भी वो ग्रीष्म कालीन प्रशिक्षण चला रहे थे।।स्थानिय बच्चे नृत्य की बारीकियां सिख रहे थे।।हरीश के जाने से जेसलमेर के टूरिज्म में एक खालीपन आ ज
गया जिसे लक्ष्मीनारायण बिस्सा की तरह कोई भर नहीं पायेगा।।हँसमुख, मिलनसार हरीश को कभी भुलाया  नही जा सकता।।जेसलमेर के लिए अपूरणीय क्षति है।।

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक परिवार की और से क्वीन हरीश को सादर श्रद्धांजलि।*

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