रविवार, 26 मई 2019

*जेसलमेर जनता के पास सीधे पहुंच समस्याएं जानकर समाधान करने का युवा कलेक्टर का सराहनीय प्रयास*

*जेसलमेर जनता के पास सीधे पहुंच समस्याएं जानकर समाधान करने का युवा कलेक्टर का सराहनीय प्रयास*

*लोगो के बीच जाने से समस्याओं की वास्तविकता का पता चलता है;मेहता*

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक की खास रिपोर्ट*

जैसलमेर पश्चिमी सरहद  के जेसलमेर जिले में युवा और ऊर्जावान जिला कलेक्टर नमित मेहता ने ग्रामीणों के बीच जाकर उनकी समस्याएं जानने का सराहनीय अभियान चला रखा है।।दिखने में यह साधारण कार्य लगता है जिला कलेक्टर ने जो विजन बताया वह इन दौरों को खास बना देता है। जिले में जनता पर दोहरी प्राकृतिक मार इस वक्क्त पड़ रही है।। अकाल की स्थति और पेयजल समस्या इस वक्क्त जेसलमेर की प्रमुख समस्या है।।ग्रामीण क्षेत्रो में पशुधन के लिए चारा  डिपो और पशु शिविर खोलने की मांगें लगातार प्रशासन के पास आती रहती है तो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या बराबर मुंह फाड़े है।।ग्रामीण क्षेत्रो में स्थति बदतर है।।पेयजल लोगो की प्रमुख आवश्यकता है।।लोगो की मांग भी यही है कि दिन निकले इतना पानी तो उन्हें मिलना ही चाहिए।।अकाल की स्थति बने कोई दो से तीन माह हो गए । जिला प्रशासन ने कठिन आपदा नियमो के बावजूद करीब ढाई सौ स्व अधिक पशु शिविर खोल दिये। पशु शिविरों के मामले में पिछली सरकार ने इतने कड़े नियम बना लिए थे जिससे शिविर खुलना असम्भव सा था। ग्राम पंचायतों ,सहकारी सनीतियो को इनके संचालन की जिम्मेदारी दी गई।।ग्राम पंचायतें और सहकारी समितियां शुद्ध व्यापारिक संस्थाए है।जंहा लाभ दिखेगा वही काम करेंगे।पशु शिविर संचालित करने के लिए प्रति माह तीनसे चार लाख रुपयों की जरूरत रहती है। इतना पैसा ये संस्थाएं नही लगाना चाहती मगर जिला प्रशासन के हसक्षेप के चलते शिविर शुरू तो हो गए।पशु शिविरों का पैसा भुगतान  से पहले निरीक्षण रिपोर्ट, ,ग्राम सेवक ,पटवारी ,सरपंच से अधि प्रमाणित बिल ही प्रस्तुत होता है यदि निरीक्षण में पशु कम पाए गए तो पखवाड़े का पूरा पैसा कम पाए गए पशुओं की संख्या के आधार पर कट जाता है जिसके डर की बजह से सरकारी एजेंसियां पैसा नही लगती ।शिविरों के भुगतान नियमानुसार एक पखवाड़े के खत्म होने पर बिल पेश करते एक सप्ताह में करना होता है।मगर पशु शिविरों के संचालन में कई दिक्कतें है।स्वीकृति अधिकतम  दो सौ पशुओं के लिए  होती है मगर गांव में पशुधन अत्यधिक होने से संचालन करता एजेंसी के सामने चुनोती पूर्ण है।।इसी तरह जिला प्रशासन ने कमीशन्ड और नॉन कमीशन्ड गांवो में आपदा प्रबंध के तहत पेयजल टेंनकर शुरू किए है।।इन टेंकरो की प्रभावशाली  लोगों के टांकों में खाली होने की अक्सर शिकायते आती रहती है।।उसी मद्देनजर जिला कलेक्टर ग्रामीणों की समस्याओं से रूबरू होने का अभियान चलाया ताकि पशुओं को चारा वक़्त पर और सही मात्रा में मिले और टेंनकर सार्वजनिक  टैंकों या पशु खेलियो मे ही खाली हो इसकी मोनिटरिंग की जा सके।।जिला कलेक्टर के ग्रामीणों के बीच पहुंचने से मिलनेववाली शिकायतों में अतिरेक्त न होकर वास्तविक समस्याएं मिलती है ।ये समस्याएं जिला कलेक्टर की नजर में रहती है अन्यथा शिकायते ग्रामीण अपनी आपसी   गुटबाज़ी के कारण कर प्रशासन के लिए सरदर्द पैदा कर देती है।जिला कलेक्टर के ग्रामीण क्षेत्रो में पहुंचने से उनके सामने पुख्ता समस्याएं आती है जिसका निवारण खुद की देखरेख में करवाते है।।
भीषण गर्मी और आंधियों की।परवाह किये बिना ग्रामीणों के बीच पहुंचना कलेक्टर की प्रतिबद्धता दर्शाता है।

*जिला कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि ग्रामीणों के समक्ष जाना सामान्य प्रक्रिया है।इसके बावजूद लोगो के बीच जाने से समस्याओ के धरातल तक पहुंचने में मदद मिलती है वास्तविकता सामने आती है।।प्रशासन ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए कटिबद्ध है।।पशुओं के लिए पर्याप्त संख्या में शिविर और चारा डिपो खोले है।इनमें जरूरत के हिसाब से चारा आपूर्ति हो इसकी व्यवस्था की गई है।ताकि पशुधन सरंक्षित रहे।।इसी तरह कमीशन्ड सुर नॉन कमीशन्ड गांव सुचिब्द कर पेयजल टैंकर भेजे जा रहे।।सभी क्षेत्रों के ग्रामीणों से रूबरू होने का अभियान है जारी रहेगा।।*

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