गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

सौ किलोमीटर दूर बालोतरा तक पहुंचा मीठा पानी, गांव अभी भी प्यासे, परम्परागत जल स्रोत सूखे, सरकारी इंतजाम नाकाफी

सौ किलोमीटर दूर बालोतरा तक पहुंचा मीठा पानी, गांव अभी भी प्यासे, परम्परागत जल स्रोत सूखे, सरकारी इंतजाम नाकाफी



- बीते छः माह से सौ किलोमीटर दूर बालोतरा में हिमालय के पानी की सप्लाई,गाँवो से गुजर रही मुख्य पाइप लाइन, फिर भी नसीब में फ्लोराइडयुक्त(खारा) पानी!




- पंचायत समिति गिड़ा मे, पेयजल किल्लत,तरस रहे है ग्रामीण

रिपोर्ट :- राकेश कुमार / हीरा की ढाणी
हीरा की ढाणी। इस साल बारिश नहीं होने के कारण सूखे के हालात के चलते पेयजल को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में कई सालो के इंतजार के बाद आमजन मे मीठे पानी की आस जगी थी, लेकिन जिम्मदारों की लापरवाही के चलते आमजन अभी भी हिमालय के मीठे पानी से वंचित है।

उल्लेखनीय है कि 11 साल पहले लिफ्ट योजना का सर्वे के दौरान लंबे इंतजार के बाद गत वर्ष पोकरण फलसूंड बालोतरा लिफ्ट परियोजना के द्वारा हिमालय का मीठे पानी की सप्लाई गाँवो से 100 किलोमीटर दूर बालोतरा शहर में सुचारू सप्लाई हो रही है। लेकिन पंचायत समिति गिड़ा के कई गांवों में मीठे पानी की सप्लाई के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर पंप हाउस बनाए। गांवों तक पाइप लाइन बिछाने के बावजूद भी हजारों आबादी के कंठ प्रोजेक्ट की लापरवाही के चलते सूखे हैं। ऐसे में अब हजारों कंठ सूखे गले से पानी की दुहाई मांग रहे हैं।परिवार के सदस्य पानी के प्रबंध को लेकर माथे पर मटका लिए नंगे पैर ग्रामीण भोर की पहली किरण के साथ पीने के पानी के जुगाड़ में लगे हुए हैं। शुरुआती गर्मी के दौर के हालत देखकर आने वाले दिनों में पेयजल किल्लत का अंदाजा लगाया जा सकता है।गृहिणीयो का कहना हैं कि वे पेयजल का अन्य कोई स्रोत नहीं है,परम्परागत स्त्रोत अकाल के कारण सूखे पड़े है।उनको दूर-दूर पैदल चलकर एयर वाल्व से लीकेज बूंद-बूंद पानी को सहेज कर परिवार की प्यास बुझा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों गाँवो में पानी का प्रबंध नही होने से पानी के बुरे हाल है।इतना ही नही खारा (फ्लोराइड युक्त) पानी भी सात सौ रुपए में भी बड़ी मुश्किल से बुकिंग के कई दिनों बाद पानी के टैंकर की आपूर्ति होती है। ऐसे में गरीब परिवार तो मटकी भर पानी का जुगाड़ करते है ताकि परिवार जिंदा रह सके। प्रोजेक्ट से वंचित ढाणियों का उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ध्यान में लेकिन इनके ढीले रवैया के कारण हजारो की आबादी समस्या को झेलने में मजबूर है।ज्ञात रहे कि गिड़ा पंचायत समिति के दर्जनों गांवों में मीठा पानी की मुख्य लाइन निकलने बावजूद भी लोगों को फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है। कई बार पाइप लाइन में लीकेज हो जाने के कारण हजारो लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है।




आनन-फानन में जलापूर्ति, बालोतरा पहुँचाया पानी,इसलिए बनी समस्या:-

पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले बालोतरा तक पानी पहुंचाने की जल्दबाजी में कई गांवों में लाइन की टेस्टिंग किए बिना आनन-फानन में जलापूर्ति आरम्भ कर दी। इस दौरान बालोतरा में पिछले छ माह से नियमित जलापूर्ति हो रही है।लेकिन अब टेस्टिंग के दौरान गाँवो में सुचारू करने पर लाइन का प्रेशर मेंटेन नही होने से मुख्य लाइन लीकेज का शिकार बन जाती है।जिससे जलापूर्ति पर जगह-जगह पेयजल लीकेज की समस्या आ रही है, इस कारण गिड़ा पंचायत समिति के दर्जन गाँवो में पानी सप्लाई अभी तक शुरू नही हो पायी है।इसलिए वंचित गाँवो में आपूर्ति सुचारू करने में दिक्कत आ रही है।




इन गांवों में गंभीर संकट, पानी का इंतजार :-
बालोतरा पोकरण लिफ्ट योजना से पोकरण तहसील के भी दर्जनों गाँव वंचित है।तो वही सिवाना में कई ढानिया में मीठा पानी नही पहुँच पाया है।गिड़ा तहसील के लापुंदड़ा, कुंपलिया, सिमरखिया, खारड़ा भारतसिंह, खोखसर पूर्व, खारड़ा,हीरा की ढाणी, सियागों का तला, खारड़ा चारणान, थाकणों की ढाणी, श्यामपुरा, शिवपुरा, मालदेता, सिसोदिया पाना, जाखड़ा, खोखसर पश्चिम, खोखसर दक्षिण आदि गांवों के हजारों परिवार पेयजल आपूर्ति का इंतजार कर रहे हैं। वहीं रतेऊ, सवाऊ, कानोड़, शहर सहित कई पंचायतों में एक बार आपूर्ति हुई, जिसके बाद इंतजार ही है।इस दौरान हीरा की ढाणी गाँव तलिया के सैकड़ों घर वंचित है।


परम्पराग स्रोत सूखे,चारे की व्यवस्था भी मुश्किल :-
गिड़ा तहसील के रतेऊ में मासली नाड़ी, सोहड़ा की चिलानाड़ी, हीरा की ढाणी की केरली नाडी सहित कई गांवों में तालाब, नाडियां सूख गई है जो कि वर्ष भर पानी का बंदोबस्त करती,लेकिन इस बार सार्वजनिक टांकें, कुएं भी जवाब दे रहे हैं। इस बार बारिश के अभाव में चारे के भाव आसमान छूने से पहले से आर्थिक स्थिति डांवाडोल है, अकाल में पोकरण, फलसूंड व बालोतरा लिफ्ट पेयजल योजना सुचारू होने से इससे जुड़े गांवों में पेयजल संकट खत्म होने की उम्मीद जगी, लेकिन आस अधूरी रह गयी। लोग खारा पानी मंगवा कर पशुधन की हलक तर कर रहे हैं,फ्लोराइड युक्त पानी भी महंगे दामों से खरीद कर पीना पड़ रहा है ।


इनका कहना -

6 माह से पोकरण फलसूंड बालोतरा लिफ्ट योजना का पानी बालोतरा क्षेत्र शहर में सप्लाई हो रहा है। यहां तो मीठा पानी सपना बनकर रह गया है। हीरा की ढाणी मे लिफ्ट योजना की मुख्य लाइन और उच्च जलाशय टैंक बना हुआ है।लेकिन टैंक में नहरी पानी नही पहुचने से बेकार पड़ा है। गांवों में लाखों रुपए खर्च कर पाइप लाइनें बिछ गई,इसके बावजूद भी अधिकारियों की अनदेखी के चलते क्षेत्र के सैकड़ों गांवों की हजारों आबादी को मीठे पानी से वंचित रखा जा रहा है।गाँव मे इन दिनों में पानी का अन्य कोई स्त्रोत नही होने से पेयजल किल्लत दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

- गोकलराम गोदारा सरपंच हीरा की ढाणी

गिड़ा क्षेत्र में परम्परागत स्रोत नाड़ी, कुआ,तालाब भी इस बार अकाल के कारण सूखे पड़े है। टांको, बेरिया में पानी पर लोग आश्रित रहते थे।लेकिन इस बार सूखा होने से पेयजल संकट बना हुआ है।क्षेत्रो में नहरी पानी लाइन बिछी है पर उसमे पानी नही आ रहा है।पानी के अभाव में महंगे दामो में टैंकर डलवाने पड़ रहे है।अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के ढीले रवैये के कारण आमजन को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

- चुनाराम जाखड़, समाजसेवी खोखसर


पोकरण - बालोतरा लिफ्ट योजना का पानी बालोतरा शहर पहुँच रहा है।और मुख्य पाइप लाइन पंचायत समिति गिड़ा के दर्जन ग्राम पंचायतों के घरों के सामने से गुजर रही है।फिर भी उनको पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है।इस समस्या को लिए गम्भीर हु। समस्या का मुद्दा हर बैठकों में उठाया है। इस सम्बंध में परियोजना के चीफ इंजीनियर , उच्च अधिकारीयो से बात हुई तब उन्होंने प्रेशर की समस्या बताई है।पेयजल समस्या के बारे में जलदाय मंत्री को भी अवगत करवाया हुआ है।गाँवो में इन दिनों नाड़ी, कुआँ सूखे पड़े है अकाल के चलते नहर पानी के अलावा अन्य कोई प्रबन्ध का साधन नही है।

- लक्ष्मणराम चौधरी, प्रधान पंचायत समिति गिड़ा

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