जैसलमेर अनूठी पहल पहल
शोक के 12 दिन में नषे की प्रवृति पर रोक
तेजपाला गांव के राजपूत समाज ने लिया निर्णय
जैसलमेर तेजपाला गांव में नवरात्रा के अवसर पर राजपूत समाज के मौजिज लोगों की एक बैठक गांव की मुख्य कोटड़ी में आयोजित हुई। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के मंदिर निर्माण पर सहमति बनी। बैठक की सबसे बड़ी बात यह रही कि मौजिज लोगों ने शोक के 12 दिनों में अफीम व डोडा पोस्त जैसे नषे की प्रवृति पर रोक लगाने का निर्णय लिया। समाज में गरीब व अमीर की खाई को कम करने के लिए मृत्यु भोज में मिठाई में मात्र लापसी बनाने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा शादी समारोह में भी शराब पर भी पाबंदी लगा दी गई है। मौजिज लोगों ने समाज में बढ़ते नषे की प्रवृति को कम कर युवा पीढ़ी को एक बेहतर विरासत देने का संकल्प लिया। बैठक में गांव में मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा की गई। जिसमें सभी को श्री कृष्ण भगवान के मंदिर निर्माण की अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई। तेजपाला गांव में नषा मुक्ति अभियान की एक शानदार पहल हुई है। समाज सुधार की दृष्टि से राजपूत समाज ने एक अच्छा कदम उठाया है। इस बैठक में गुमानसिंह, इन्द्रसिंह, जेठमालसिंह, रूपसिंह, पन्नेसिंह, उतमसिंह, गेमरसिंह, चंदनसिंह, भगवानसिंह, तोलसिंह, गिरधारीसिंह मूलसिंह, मांगूसिंह, पीरदानसिंह, लूणसिंह, नैणसिंह फौजी, भैरूसिंह फौजी, भाखरसिंह, दीनाराम सैन, षिवनाथसिंह, प्रतापसिंह, भूरसिंह, अध्यापक भगवानसिंह, अध्यापक छगनसिंह, मानसिंह, शोभसिंह, मेघसिंह, सबलसिंह, गोरधनसिंह, लीलूसिंह, खंगारसिंह, सुगनसिंह, कंवराजसिंह, रेवंतसिंह, भैरूसिंह, रामसिंह सहित कई राजपूत समाज के बुजुर्गगण व युवा उपस्थित रहे। सभी ने मृत्यु व विवाह के कार्यक्रमों में नषे की प्रवृति पर पूर्णतया रोक लगाने का संकल्प लिया।
शोक के 12 दिन में नषे की प्रवृति पर रोक
तेजपाला गांव के राजपूत समाज ने लिया निर्णय
जैसलमेर तेजपाला गांव में नवरात्रा के अवसर पर राजपूत समाज के मौजिज लोगों की एक बैठक गांव की मुख्य कोटड़ी में आयोजित हुई। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के मंदिर निर्माण पर सहमति बनी। बैठक की सबसे बड़ी बात यह रही कि मौजिज लोगों ने शोक के 12 दिनों में अफीम व डोडा पोस्त जैसे नषे की प्रवृति पर रोक लगाने का निर्णय लिया। समाज में गरीब व अमीर की खाई को कम करने के लिए मृत्यु भोज में मिठाई में मात्र लापसी बनाने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा शादी समारोह में भी शराब पर भी पाबंदी लगा दी गई है। मौजिज लोगों ने समाज में बढ़ते नषे की प्रवृति को कम कर युवा पीढ़ी को एक बेहतर विरासत देने का संकल्प लिया। बैठक में गांव में मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा की गई। जिसमें सभी को श्री कृष्ण भगवान के मंदिर निर्माण की अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई। तेजपाला गांव में नषा मुक्ति अभियान की एक शानदार पहल हुई है। समाज सुधार की दृष्टि से राजपूत समाज ने एक अच्छा कदम उठाया है। इस बैठक में गुमानसिंह, इन्द्रसिंह, जेठमालसिंह, रूपसिंह, पन्नेसिंह, उतमसिंह, गेमरसिंह, चंदनसिंह, भगवानसिंह, तोलसिंह, गिरधारीसिंह मूलसिंह, मांगूसिंह, पीरदानसिंह, लूणसिंह, नैणसिंह फौजी, भैरूसिंह फौजी, भाखरसिंह, दीनाराम सैन, षिवनाथसिंह, प्रतापसिंह, भूरसिंह, अध्यापक भगवानसिंह, अध्यापक छगनसिंह, मानसिंह, शोभसिंह, मेघसिंह, सबलसिंह, गोरधनसिंह, लीलूसिंह, खंगारसिंह, सुगनसिंह, कंवराजसिंह, रेवंतसिंह, भैरूसिंह, रामसिंह सहित कई राजपूत समाज के बुजुर्गगण व युवा उपस्थित रहे। सभी ने मृत्यु व विवाह के कार्यक्रमों में नषे की प्रवृति पर पूर्णतया रोक लगाने का संकल्प लिया।
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