महिला दिवस: राष्ट्रपति ने बाड़मेर की बेटी रूमा को प्रदान किया 'नारी शक्ति पुरस्कार'
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने महिला सशक्तीकरण में विशेष योगदान करने के लिए शुक्रवार को 44 महिलाओं और संस्थानों को नारी शक्ति पुरस्कार 2018 प्रदान किए. इनमें में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से सटे थार के बाड़मेर जिले की बेटी रूमादेवी को हस्तशिल्प के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए 'नारी शक्ति पुरस्कार' से नवाजा गया. मरुधरा की बेटी को यह सम्मान आगामी राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया.
रूमा ने साधारण कपड़ों पर अपनी कड़ी मेहनत से रंगबिरंगे धागों से जो स्वर्णिम इबारत बनाई वह देश ही नहीं दुनियाभर में छा गई. कपड़े पर बारीक कारीगरी और रंगों के अद्भुत संयोजन के जरिए रूमा देवी ने सात समंदर पार तक अपने काम की पहचान बनाई है. वर्ष 2008 में महज आठ महिलाओं के साथ शुरू किया गया रूमा का यह सफर आज 22 हजार महिलाओं के विशाल कारवां के रूप में दुनिया के सामने है.बाड़मेर के सांगाणा कुंआ- रावतसर की बेटी और मंगले की बेरी की बहू रूमादेवी की इस बेहतरीन कारीगरी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पहचाना और उसका चयन राष्ट्रीय सम्मान के लिए कर लिया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले विशेष सम्मान समारोह में राष्ट्रपति द्वारा रूमा को सम्मानित किया गया. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि के लिए ग्रामीण विकास एंवम चेतना संस्थान की अध्यक्ष रूमादेवी को एक लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने महिला सशक्तीकरण में विशेष योगदान करने के लिए शुक्रवार को 44 महिलाओं और संस्थानों को नारी शक्ति पुरस्कार 2018 प्रदान किए. इनमें में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से सटे थार के बाड़मेर जिले की बेटी रूमादेवी को हस्तशिल्प के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए 'नारी शक्ति पुरस्कार' से नवाजा गया. मरुधरा की बेटी को यह सम्मान आगामी राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया.
रूमा ने साधारण कपड़ों पर अपनी कड़ी मेहनत से रंगबिरंगे धागों से जो स्वर्णिम इबारत बनाई वह देश ही नहीं दुनियाभर में छा गई. कपड़े पर बारीक कारीगरी और रंगों के अद्भुत संयोजन के जरिए रूमा देवी ने सात समंदर पार तक अपने काम की पहचान बनाई है. वर्ष 2008 में महज आठ महिलाओं के साथ शुरू किया गया रूमा का यह सफर आज 22 हजार महिलाओं के विशाल कारवां के रूप में दुनिया के सामने है.बाड़मेर के सांगाणा कुंआ- रावतसर की बेटी और मंगले की बेरी की बहू रूमादेवी की इस बेहतरीन कारीगरी को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पहचाना और उसका चयन राष्ट्रीय सम्मान के लिए कर लिया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले विशेष सम्मान समारोह में राष्ट्रपति द्वारा रूमा को सम्मानित किया गया. महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि के लिए ग्रामीण विकास एंवम चेतना संस्थान की अध्यक्ष रूमादेवी को एक लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
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