बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

हिंदुस्तान हर दिल में हो। .. योगेंद्र यादव

हिंदुस्तान हर दिल में हो। .. योगेंद्र यादव 

बाड़मेर | मई, 1999 का वह दिन मुझे आज भी याद है, जब अचानक हमें निर्देश मिले कि द्रास की तरफ बढ़ना है। वे कमांडो प्लाटून घातक का हिस्सा थे, जिसे टाइगर हिल पर सामरिक बंकरों को कब्जाने का जिम्मा दिया गया था। 16 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर खून जमा देने वाली ठंड थी, लेकिन हमारे कदम एक पल को नहीं रुके। उस समय मेरी उम्र सिर्फ 19 साल थी। प्रशिक्षण और सेवा मिलाकर मात्र ढाई साल का अनुभव। 4 जुलाई, 1999 को टाइगर हिल पर हमारे समूह के 7 लोगों ने रस्सियों के सहारे 90 डिग्री की सीधी चढ़ाई शुरू कर दी। चारों ओर से मौत का खतरा था। तीसरे दिन अलसुबह 5.30 बजे हिल पर पहुंचे तो पहले से घात लगाए बैठे पाक सैनिकों ने फायरिंग शुरू कर दी। ऐसे में एक कदम आगे बढ़े तो मौत और पीछे हटे तो मौत। हमने करीब 30 घंटे बाद फायरिंग बंद तो पाक सैनिकों को लगा कि हम पीछे हट गए हैं। कुछ ही देर में 30 पाक सैनिकों ने हमला बोल दिया। इसमे हमारे छह साथी शहीद हो गए। मैं भी जख्मी हो गया, तभी एक पाक सैनिक आया और उनके सीने पर गोली दाग दी। जख्मों को अनदेखा कर मैंने दुश्मन के पहले बंकर में ग्रेनेड फेंककर उन्हें मौत की नींद सुला दिया। साथी टुकड़ी जब तक पहुंची, तब तक उनका एक हाथ टूट चुका था और करीब 15 गोलियां लग चुकी थीं। मैंने दुश्मन के 3 बंकर उड़ाए और आखिर 12 जुलाई को उनकी बटालियन टाइगर हिल विजय करने में कामयाब हो गई। तोलोलिंग पहाड़ी पर तिरंगा फहरा दिया।

(बाड़मेर में थार के वीर कार्यक्रम के दौरान परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह ने बताया)



परमवीर चक्र प्राप्त योगेंद्र सिंह यादव।

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