बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

हिंदुस्तान के सैनिक शेर हैं, इन्हें जगाओ मत, नहीं तो तीन मिनट में पाक का कर देंगे खात्मा: यादव


हिंदुस्तान के सैनिक शेर हैं, इन्हें जगाओ मत, नहीं तो तीन मिनट में पाक का कर देंगे खात्मा: यादव 

बाड़मेर | बाड़मेर में शहीदों के सम्मान में आयोजित ‘थार के वीर’ कार्यक्रम में परमवीर चक्र सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने संबोधित किया। उन्होंने पाक को चेताते हुए कहा कि हिंदुस्तान के सैनिक शेर हैं, इन्हें जगाओ मत नहीं तो तीन मिनट में ये खात्मा कर देंगे। उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले में शहीद जवानों का बदला आज इन्हीं के पराक्रमी सैनिक भाइयों ने 350 आतंकियों को मार कर लिया है।

यादव ने पाक को चेताया कि वह यह भ्ूल गया है कि ये हमारी सरजमीं है, हम तो अपनी जमीन पर क्या, तुम्हें तुम्हारे घर में घुस कर मार सकते हैं, तभी तो हिंदुस्तानी सैनिकों ने दुश्मन की धरती पर घुसकर उनके ठिकानों को कब्रिस्तान बना दिया। यादव ने कहा कि वे बाड़मेर की धरती पर कदम रखकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत मां की कोख से शेर ही पैदा होते हैं। ऐसे ही शेरों ने मां भारती के लिए अपने एक-एक लहू का कतरा बहाया है। 40 मिनट के भाषण में स्टेडियम में सन्नाटा छा गया। हर कोई उनकी तरफ देखता रहा।

कीर्ति चक्र विजेता डीआईजी नरेंद्र नाथधर दुबे ने कहा कि 1988 में पहली पोस्टिंग बाड़मेर में ही हुई थी। 1993 में बाड़मेर से गया था। डीआईजी गुरपाल सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजनों से युवाओं में देश के लिए मर-मिटने का साहस जागृत होता है। इस दौरान रावत त्रिभुवन सिंह, आईजी महेंद्र सिंह, मेजर एनएस राजपुरोहित और मैना जड़ेजा ने संबोधित किया और आमजन का देश के लिए शहीद हाेने वाले जांबाजों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

आदर्श स्टेडियम बाड़मेर में कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर हिमांशु गुप्ता, एसपी राशि डोगर, पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह जसाेल, कैप्टन हीरसिंह भाटी, आरसीए कोषाध्यक्ष आजादसिंह राठौड़, भामाशाह नवलकिशोर गोदारा, रघुवीर सिंह तामलोर, पेमाराम भादू, प्रदीप राठी, बालसिंह राठौड़ सहित कई लोग मौजूद रहे। और शहीद परिवारों सहित हजारों लोग शरीक हुए।

शौर्य-पराक्रम के लिए शहीदों का सम्मान 

कार्यक्रम के दौरान वर्ष 1971 के युद्ध में सेना के जवानों के लिए गोलाबारी के बीच ट्रेन से रसद सामग्री पहुंचाने वाले गैलेंट्री अवार्ड प्रतापचंद को सम्मानित किया गया। महावीर चक्र जनरल हनुवंत, रघुनाथ, अजीत सिंह, 24 ऊंटों पर रसद सामग्री पहुंचाने वाले पूर्व सरपंच चतरसिंह, मरणोपरांत शौर्य चक्र विजेता धर्माराम की प|ी टीमू देवी, सेना मैडल मूलाराम, शहीद दुर्जनसिंह, नाथू सिंह थुंबली, कुंपसिंह, उगम सिंह, मालसिंह, हनुमानराम सारण, बागाराम कोसरिया, उगम सिंह, मगाराम, नारायणराम, देवाराम बायतु पनजी, महिपाल सिंह, जितेंद्र सिंह, गुलाब सिंह, खेताराम खोखसर, पहाड़ सिंह, विक्रम यादव, दीपाराम, मोटाराम, धनसिंह, खेताराम उण्डू, हेमसिंह, कुंभाराम माधासर, भीखाराम, मंगल सिंह, चुन्नीलाल और माधोसिंह के परिवार का सम्मान किया गया।

हिंदुस्तान आपके दिलों में होना चाहिए : सिंह 

परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे देश के प्रति समर्पित रहे। कुछ हासिल करना है तो सबसे पहले सच्चे हिंदुस्तानी बनें। हिंदुस्तान आपके दिलों में होना चाहिए। देशभक्ति के लिए वर्दी की जरूरत नहीं है, देशभक्ति तो कर्मों और जज्बातों में होनी चाहिए। राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित होना ही सच्चा हिंदुस्तानी है।

शहीद परिवारों के लिए आगे आए भामाशाह 

सरकार के अलावा अब शहीद परिवारों के लिए भामाशाह व आमजन भी आगे आए हैं। कुछ निजी स्कूलों ने शहीद परिवारों के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने का संकल्प लिया है। इसके अलावा 4 हॉस्टल में निशुल्क दाखिला, 5 कॉलेज निशुल्क उच्चस्तरीय पढ़ाई, 3 हॉस्पिटल ने निशुल्क इलाज और 3 ट्रेवल एजेंसी ने शहीद परिवार को निशुल्क सफर की घोषणा की है।

शहादत को सलाम 

भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 के साक्षी बाड़मेर के लोगों ने किया अमर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

बॉर्डर पर बसे बाड़मेर-जैसलमेर के लोगों के जेहन में आज भी भारत-पाक युद्ध 1965 व 1971 की यादें ताजा हैं। दोनों युद्धों में बाड़मेर व जैसलमेर के सैनिकों के साथ सरहदी गांवों के ग्रामीणों ने भी पाक सेना का डटकर मुकाबला किया। भारतीय जांबाजों ने 17 दिसंबर, 1971 को युद्ध विराम से पूर्व दुश्मन की रणनीति को धूल-धूसरित करने के साथ तीन विमान मार गिराए थे। पाकिस्तानी विमानों ने सरहदी इलाकों से गुजरते हुए तबाही के प्रयास किए। लेफ्टिनेंट अरुण कुमार दत्ता ने दुश्मन के एफ 104 स्टार फाइटर विमान को धराशाही कर दिया।

इस बीच 3 से 17 दिसंबर, 1971 के मध्य कई बार पाक पायलटों ने उत्तरलाई को निशाना बनाने की कोशिश की। इस दौरान करीब 78 बार खतरे का सायरन बजा। दुश्मन के हवाबाज इतनी हड़बड़ाहट में आते थे कि भारतीय सीमा में घुसते ही उनके हौसले पस्त हो जाते थे। पाक पायलटों ने 139 बम गिराए, मगर कोई विशेष नुकसान नहीं पहुंचा पाए। इस दौरान 17 दिसंबर, 1971 की रात्रि में आठ बजे युद्ध विराम हो गया। इधर, कश्मीर बॉर्डर पर भारतीय एयरफोर्स की पाक सरहद में एयर स्ट्राइक के बाद भारत-पाक युद्ध 1965 व 1971 के साक्षी बाड़मेर जिले के हजारों लोगों ने आदर्श स्टेडियम में शहीदों की श्रद्धा से याद कर पाक को चेताया।

शहर के आदर्श स्टेडियम में ‘थार के वीर-आओ करें सलाम’ कार्यक्रम में देशभक्ति के गीतों से हर किसी की आंखें नम हो गईं। हर दिल में गुस्सा और हर हाथ ने पुलवामा हमले के शहीदों की शहादत को सलाम किया। शहीदों की धरा से हजारों लोगों ने वंदेमातरम के नारों के साथ पाक के खिलाफ जंग के लिए सैनिकों का मनोबल बढ़ाया।

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