*जैसलमेर जवाहर चिकित्सालय आखिर क्यों नही सुधार हो रहा,पी एम ओ की मनमानी को आखिर कौन रोकेगा*
*अस्पताल प्रसाशनिक सुधार का जिम्मा हेल्थ मैनेजर को दे*
*जवाहर चिकित्सालय में कई सालों से चल रहे गड़बड़ झाले के कारण चिकित्सा व्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावीत है।।इसके लिए कही न कही पिछली सरकार में राजनीति दबाव में हुई नियुक्तियां भी दोषी है।पी एम ओ हठधर्मी और मनमानी करने वाली वाली महिला है।जो स्टाफ में किसी को फ्री हैंड कार्य करने नही देती।साथ ही चिकित्सको पर अनावश्यक दबाव बनाए रखती है।योजनाओं का बजट जारी करने के लिए भी कमीशन डिमांड करती है।चूंकि पी एम ओ खुद गायनिक विशेषज्ञ है।।खुद प्रेक्टिस करती है।।जिसके कारण दूसरे चिकित्सको को ऐसा करने से रोक नही पाती।।राज्य सरकार ने हाल ही में हेल्थ मैनेजर की नियुक्ति जवाहर अस्पताल में की है मगर पी एम ओ हेल्थ मैनेजर को कार्य करने निहि देती।।कई बार मैनेजर को कलेक्टर और निदेशक के नाम की धमकियां दे दी।।जिसके चलते हेल्थ मैनेजर मेडिकल पर चले गए। जिला कलेक्टर अगर अस्पताल का सुधार चाहते है तो जनहित में पी एम ओ को हटाने के लिए अर्ध प्रशासनिक पत्र निदेशक को लिखना चाहिए।अस्पताल की कोई अतिरिक्त यूनिट कार्य नही कर रही ।।अस्पताल में महिलाओ के प्रसव पर खुलेआम सुविधा शुल्क ली जाती है।।अस्पताल में बजट की कोई कमी नही है मगर इसे खर्च नही किया जा रहा।अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने का कोई प्रयास नही हो रहा।पिछले एक महीने में जिला कलेक्टर ने दो बार,विधायक पुत्र ,जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ,प्रधान अमरदीन फकीर ने एक एक बार निरीक्षण कर अखबारों में सुर्खियां जरूर बांटी मगर अस्पताल में कोई सुधार निहि हुआ।अस्पताल में मशीनरी के जंग लग रही है।।सफाई ठेकेदार एक ही टीम से दो यूनिट की सफाई करवा रहा है।।सूत्रों की माने तो अस्पताल का ढांचा राजनीति के चलते ही बिगड़ा है।।पी एम ओ को कोई हटाना नही चाहता। जो पी एम ओ के सामने जवाब देता है उसकी शिकायत हाथों हाथ कलेक्टर या निदेशक से कर लेती है।इसीलिए स्टाफ भी पंगा नही लेता।।जिला कलेक्टर को चाहिए कि अस्पताल में प्रशासनिक सुधार का कार्य प्रभार हेल्थ मैनेजर को देना चाहिए ताकि वो अपना कार्य कर सके।।मरीज और अटेंडर अस्पताल आकर परेशान ही होते है। अस्पताल में डबल पर्ची सिस्टम लागू है एक पर निशुल्क दवा और दूसरी पर बाजर की दवा लिखते है।।जबकि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में निशुल्क दवाओं की सप्लाई शिर है।।ट्रॉमा सेंटर और ओ टी सब पे ताले लगे है।।सड़क हादसों सहित किसी गम्भीर बीमारी में प्राथमिक उपचार नसीब नही होता।।ई सी जी रूम और इक्यूपमेंट का एक बार निरीक्षण स्वयं कलेक्टर कटे।।आदमी उस जगह दो पल खडा नही रह सकता ।।एक टीम एस डी एम के नेतृत्व में गठित कर जवाहर चिकित्सालय को सुधारने काप्रयास किया जाना चाहिए।।
*अस्पताल प्रसाशनिक सुधार का जिम्मा हेल्थ मैनेजर को दे*
*जवाहर चिकित्सालय में कई सालों से चल रहे गड़बड़ झाले के कारण चिकित्सा व्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावीत है।।इसके लिए कही न कही पिछली सरकार में राजनीति दबाव में हुई नियुक्तियां भी दोषी है।पी एम ओ हठधर्मी और मनमानी करने वाली वाली महिला है।जो स्टाफ में किसी को फ्री हैंड कार्य करने नही देती।साथ ही चिकित्सको पर अनावश्यक दबाव बनाए रखती है।योजनाओं का बजट जारी करने के लिए भी कमीशन डिमांड करती है।चूंकि पी एम ओ खुद गायनिक विशेषज्ञ है।।खुद प्रेक्टिस करती है।।जिसके कारण दूसरे चिकित्सको को ऐसा करने से रोक नही पाती।।राज्य सरकार ने हाल ही में हेल्थ मैनेजर की नियुक्ति जवाहर अस्पताल में की है मगर पी एम ओ हेल्थ मैनेजर को कार्य करने निहि देती।।कई बार मैनेजर को कलेक्टर और निदेशक के नाम की धमकियां दे दी।।जिसके चलते हेल्थ मैनेजर मेडिकल पर चले गए। जिला कलेक्टर अगर अस्पताल का सुधार चाहते है तो जनहित में पी एम ओ को हटाने के लिए अर्ध प्रशासनिक पत्र निदेशक को लिखना चाहिए।अस्पताल की कोई अतिरिक्त यूनिट कार्य नही कर रही ।।अस्पताल में महिलाओ के प्रसव पर खुलेआम सुविधा शुल्क ली जाती है।।अस्पताल में बजट की कोई कमी नही है मगर इसे खर्च नही किया जा रहा।अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने का कोई प्रयास नही हो रहा।पिछले एक महीने में जिला कलेक्टर ने दो बार,विधायक पुत्र ,जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ,प्रधान अमरदीन फकीर ने एक एक बार निरीक्षण कर अखबारों में सुर्खियां जरूर बांटी मगर अस्पताल में कोई सुधार निहि हुआ।अस्पताल में मशीनरी के जंग लग रही है।।सफाई ठेकेदार एक ही टीम से दो यूनिट की सफाई करवा रहा है।।सूत्रों की माने तो अस्पताल का ढांचा राजनीति के चलते ही बिगड़ा है।।पी एम ओ को कोई हटाना नही चाहता। जो पी एम ओ के सामने जवाब देता है उसकी शिकायत हाथों हाथ कलेक्टर या निदेशक से कर लेती है।इसीलिए स्टाफ भी पंगा नही लेता।।जिला कलेक्टर को चाहिए कि अस्पताल में प्रशासनिक सुधार का कार्य प्रभार हेल्थ मैनेजर को देना चाहिए ताकि वो अपना कार्य कर सके।।मरीज और अटेंडर अस्पताल आकर परेशान ही होते है। अस्पताल में डबल पर्ची सिस्टम लागू है एक पर निशुल्क दवा और दूसरी पर बाजर की दवा लिखते है।।जबकि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में निशुल्क दवाओं की सप्लाई शिर है।।ट्रॉमा सेंटर और ओ टी सब पे ताले लगे है।।सड़क हादसों सहित किसी गम्भीर बीमारी में प्राथमिक उपचार नसीब नही होता।।ई सी जी रूम और इक्यूपमेंट का एक बार निरीक्षण स्वयं कलेक्टर कटे।।आदमी उस जगह दो पल खडा नही रह सकता ।।एक टीम एस डी एम के नेतृत्व में गठित कर जवाहर चिकित्सालय को सुधारने काप्रयास किया जाना चाहिए।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें