रविवार, 13 जनवरी 2019

सजे-धजे ऊंटों के साथ शुरू हुआ बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव

सजे-धजे ऊंटों के साथ शुरू हुआ बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव
International Camel Festival starts in Bikaner

बीकानेर. पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले अंतरराष्ट्रीय उत्सव का आज बीकानेर में आगाज हुआ. बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव के साथ ही राजस्थान की संस्कृति का नजारा देखने को मिलेगा. ऊंट उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों से विदेशी पर्यटक बीकानेर में आए हैं.

दो दिन तक चलने वाले इस कैमल फेस्टिवल का आगाज जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम और एसपी प्रदीप मोहन शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर शोभा यात्रा को रवाना कर किया. जूनागढ़ किले से शुरू हुई शोभायात्रा महाराजा करणी सिंह स्टेडियम तक पहुंची. जहां दो दिन तक देसी-विदेशी सैलानियों से गुलजार रहने वाले बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव के साथ ही राजस्थान की संस्कृति का नजारा देखने को मिलेगा. ऊंट उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों से विदेशी पर्यटक बीकानेर में आए हैं. इससे पहले शोभायात्रा में सजी-धजी ऊंट पर सवार राजस्थान के रौबीले नज़र आए.

International Camel Festival starts in Bikaner
ऊंट उत्सव में राजस्थान की संस्कृति भी देखने को मिली राजस्थान के साथ ही देश के अन्य राज्य पंजाब की संस्कृति भी शोभायात्रा में साकार होती नजर आई. जहां पंजाब से आए एक विशेष बैंड दल ने अपनी प्रस्तुतियां दी. दो दिन तक चलने वाले इस ऊंट उत्सव में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ ही राजस्थानी संस्कृति को साकार करने वाले कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देखने की मिलेगी. इसके साथ ही मिस मरवण प्रतियोगिता और रविवार को हेरिटेज वॉक में विदेशी सैलानियों के साथ आयोजन भी होगा. साथ ही विदेशी सैलानियों के लिए मटका दौड़ समेत अन्य प्रस्तुतियां भी देखने को मिलेगी. ऊंट उत्सव के चलते शहर के सभी होटल में बुकिंग शुरू हो गई है. इससे में पहली बार आदिवासी नृत्य और वेशभूषा की कलाकार भी नजर आ रहे हैं.

25 सालों से आयोजित हो रहा ऊंट उत्सव
राजस्थानी संस्कृति के साथ ही देश के अन्य राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते अंतरराष्ट्रीय कैमल फेस्टिवल में सतरंगी बीकानेर की नजारे भी देखने को मिले. पहली बार बीकानेर में लगातार 25 सालों से आयोजित हो रहे ऊंट उत्सव में 300 साल पुरानी एक वैवाहिक परंपरा का प्रचार और झांकी भी देखने को मिली. बीकानेर में पुष्करणा समाज में हर 2 साल में आयोजित होते सामूहिक सावे यानी कि ओलंपिक असावा की जीवंत झांकी और उसमें आकर्षण का केंद्र रही भगवान विष्णु के वेश में सजी-धजी दूल्हे और उसके साथ परिवार और रिश्तेदारों यह झांकी जूनागढ़ से शुरू हुई.


दरअसल, बीकानेर में पुष्करणा समाज के ब्राह्मण लोग की तादाद काफी ज्यादा है. समाज में एकरूपता और ऊंच-नीच का भेद मिटाने के लिए 300 साल पहले सामूहिक विवाह की परंपरा शुरू की गई. कालांतर में ओलंपिक खेलों की भांति ही इसका नाम भी ओलंपिक सावा हो गया, क्योंकि ओलंपिक खेलों की तरह यह आयोजन भी 4 साल में एक बार होता था, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ती जनसंख्या के बाद इस अंतराल को घटाते हुए कुछ साल पहले 2 साल कर दिया गया और अब हर 2 साल में पुष्करणा समाज में सामूहिक विवाह यानी कि ओलंपिक सभा का आयोजन होता है.


इस बार यह आयोजन 21 फरवरी को है. ऐसे में पुष्करणा समाज ने ऊंट उत्सव के दौरान समाज की इस परंपरा को आम लोगों में प्रचार और ऊंट उत्सव के दौरान देश विदेश से आए सैलानियों के बीच समाज की एक छाप छोड़ने के लिए यह पहल की. अंतरराष्ट्रीय उत्सव के दौरान समाज की इस पहल को आम लोगों ने काफी सराहा और इसे विकसित समाज की सोच बताया.

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