सोहराबुद्दीन-तुलसी प्रजापति एनकाउंटर केस में CBI (विशेष अदालत) ने सभी 22 आरोपियों को किया बरी
मुंबई। सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आखिरकार आज 13 साल बाद फैसला आ ही गया. मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में ये फैसला सुनाया है. वर्ष 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे. इनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं.
मामले में सीबीआई कोर्ट के जज एसजे शर्मा ने कहा कि हमें इस बात का दुख है कि तीन लोगों ने इस एनकाउंटर में जान गंवाई लेकिन कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है. मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आरोपी बनाया गया था, जिस वजह से इस मामले में खुब सुर्खियां बटोरीं. एनकाउंट के वक्त शाह गुजरात के गृहमंत्री थे. हालांकि 2014 में ही कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.
दोबारा पूछताछ की अपील
मामले में 5 दिसंबर को मामले की सुनवाई खत्म हो गई थी. इसके बाद 19 दिसंबर को अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए. इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख का सहयोगी था.
इंस्पेक्टर ने फंसाने की धमकी दी
आजम खान ने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा. बता दें कि रहमान तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर थे.
16 के खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं
इस मामले के ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं. अदालत ने सीबीआई के आरोप पत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया है.
पहले ये आरोपी हुए मुक्त
इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं.
पुलिस ने किया अगवा
सीबीआई के मुताबिक आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे.
तीन दिन बाद हुई हत्या
सीबीआई के मुताबिक शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई. उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया.
एक साल बाद प्रजापति की हत्या
साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात - राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी.
92 गवाह मुकरे
अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए.
मुंबई। सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आखिरकार आज 13 साल बाद फैसला आ ही गया. मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में ये फैसला सुनाया है. वर्ष 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे. इनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं.
मामले में सीबीआई कोर्ट के जज एसजे शर्मा ने कहा कि हमें इस बात का दुख है कि तीन लोगों ने इस एनकाउंटर में जान गंवाई लेकिन कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है. मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आरोपी बनाया गया था, जिस वजह से इस मामले में खुब सुर्खियां बटोरीं. एनकाउंट के वक्त शाह गुजरात के गृहमंत्री थे. हालांकि 2014 में ही कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.
दोबारा पूछताछ की अपील
मामले में 5 दिसंबर को मामले की सुनवाई खत्म हो गई थी. इसके बाद 19 दिसंबर को अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए. इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख का सहयोगी था.
इंस्पेक्टर ने फंसाने की धमकी दी
आजम खान ने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा. बता दें कि रहमान तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर थे.
16 के खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं
इस मामले के ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं. अदालत ने सीबीआई के आरोप पत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया है.
पहले ये आरोपी हुए मुक्त
इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं.
पुलिस ने किया अगवा
सीबीआई के मुताबिक आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे.
तीन दिन बाद हुई हत्या
सीबीआई के मुताबिक शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई. उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार डाला गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया.
एक साल बाद प्रजापति की हत्या
साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात - राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी.
92 गवाह मुकरे
अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए.
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