जाने किस मंत्री को मिला मलाई वाला मंत्रालय और किसको...मुसीबत वाला
जयपुर . सीएम अशोक गहलोत सरकार में बने मंत्रियों को विभागों का आवंटन हो गया है. देर रात तक दिल्ली में पार्टी हाईकमान राहुल गांधी के साथ उनके आवास पर गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बैठक के बाद सूची पर मुहर लग सकी. इसके बाद लिस्ट को जारी कर दिया गया. सूची के जारी होने के बाद से राज्य में सियासी चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म हो गया है. खासतौर पर उन मंत्रियों को लेकर चर्चा तेज है, जिन्हें बड़े मंत्रालय मिले हैं. इनमें कई मंत्रालय ऐसे भी हैं, जो की आम होने के बाद भी काफी खास हैं. वहीं, कुछ मंत्रालय ऐसे हैं जो कि बड़े जरूर हैं, लेकिन, उसी के अनुरूप उसकी चुनौतियां भी बनी हुई हैं.
मंत्रालयों का बंटवारा पार्टी हाईकमान के साथ मैराथन बैठक के बाद बनी सहमति से हो पाई है. ये बैठक देर रात तक चलती रही. पार्टी के उच्च सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान विभागों के बंटवारे को लेकर कई बार सियासी पेच फंसते रहे. लेकिन, आखिरकार रात दो बजे सहमति बनने के बाद टी रविकांत के दस्तखत के बाद सूची जारी कर दी गई है. हालांकि, मंत्रालयों के बंटवारे के दौरान सीएम गहलोत का पूरा प्रभाव दिखाई दिया. उन्होंने विभागों का बंटवारा अपने हिसाब से कराया है. गहलोत ने अपने पास गृह, वित्त और कार्मिक सहित 9 विभागों को रखा है. एक प्रकार से पूरी सरकार का मेन रिमोट कंट्रोल उन्होंने अपने पास ही रखा है. जबकि, डिप्टी सीएम पायलट के पास पीडब्ल्यूडी, पंचायती राज सहित 5 विभाग हैं. पायलट को मिले विभागों में दो विभाग पीडब्ल्यूडी और पंचायती राज हर मामले में खास हैं.
इसके अलावा कई मंत्री ऐसे भी हैं जिन्हें काफी खास मंत्रालय दिए गए हैं. जिनमें, खान, स्वायत्त शासन, परिवहन आदि शामिल हैं. ये मंत्रालय हर सरकार में चर्चा में रहे हैं. क्योंकि, इन विभागों को राजनीतिक हलकों में काफी मलाईदार माना जाता है. ऐसे में इन मंत्रालयों को संभालने वाले मंत्रियों को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. वहीं, जलदाय, बिजली सहित कई बड़े मंत्रालय ऐसे भी हैं जिन्हें संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि, पिछली सरकार के दौरान भी ये विभाद सियासी रूप से काफी चर्चित रहे हैं. आपको बता दें कि बड़ें मंत्रालयों के आवंटन में दोनों खेमों (गहलोत-पायलट) को संतुलित करने का प्रयास किया गया है. आइये आज हम बताते हैं कि कौन से खास और मलाईदार माने जाने वाले और कौन से चुनौतीपूर्ण विभाग किस-किस मंत्री को मिले हैं.
इन मंत्रियों को मिले खास मंत्रालय
प्रमोद जैन भाया
सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले मंत्री प्रमोद जैन भाया को खान विभाग दिया गया है. खान विभाग को जहां काफी मलाईदार माना जाता है. वहीं, ये मंत्रालय हमेशा सियासी चर्चा में बना रहता है. पिछली वसुंधरा सरकार के दौरान हुए खान घोटाले के बाद इस विभाग पर सबसे ज्यादा उंगलियां उठी थी. जिसके बाद ये मंत्रालय काफी चर्चित रहा है.
शांति धारीवाल
गहलोत खेमे से आने वाले शांति धारीवाल को स्वायत्त शासन विभाग संभलवाया गया है. यह यह तीसरा मौका होगा जब गहलोत सरकार में धारीवाल स्वायत्त शासन विभाग का जिम्मा संभालेंगे. ये विभाग बजट और निकाय के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. साथ ही इसे मलाईदार भी माना जाता है. धारीवाल पहले भी इस विभाग को संभालचुके हैं, ऐसे में वे मंत्रालय से पूरी तरह से वाकिफ भी हैं.
भंवर सिंह भाटी
गहलोत खेमे से राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी को उच्च शिक्षा का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है. उच्च शिक्षा को विभागीय रूप में काफी बड़ा माना जाता है. इसमें आने वाले बजट के लिहाज से भी ये मंत्रालय खास है.
गोविंद डोटासरा
गहलोत खेमे के ही गोविंद डोटासरा को प्राथमिक एंव माध्यमिक शिक्षा का (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया है. ये विभाग काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. शिक्षकों का वर्ग काफी बड़ा होने के कारण ये विभाग पूरे कार्यकाल के दौरान ही चर्चा में रहता है. वहीं, शिक्षा को लेकर आने वाला बजट भी काफी बड़ा होता है.
सुभाष गर्ग
आरएलडी से जीतकर आए सुभाष गर्ग को तकनीकी शिक्षा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृत शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया है. दोनों ही विभाग महत्वपूर्ण हैं. सुभाष गर्ग को गहलोत के खेमे का ही माना जाता है.
प्रताप सिंह खाचरियावास
डिप्टी सीएम पायलट के खेमे से आने वाले मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को परिवहन विभाग संभलवाया गया है. ये विभाग काफी मलाईदार माना जाता है. हालांकि, इस विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार के कारण आरोप भी खूब लगते रहते हैं. लेकिन, खास मंत्रालय होने के कारण इसकी चर्चा पूरे कार्यकाल के दौरान बनी रहती है.
रमेश चंद मीणा
पायलट खेमे से आने वाले मंत्री रमेश मीणा को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले संभलवाया गया है. सार्वजनित वितरण प्रणाली से जुड़ा होने के कारण ये मंत्रालय काफी चर्चा में रहता है. विभाग को मिलने वाला बजट जहां बड़ा होता है. वहीं, इस भ्रष्टाचार के कारण ये विभाग हमेशा से सवालों के घेरे में रहता है. पिछले समय में एक महिला डीएसओं के गेहूं घोटाला में फंसने के बाद विभाग काफी चर्चा में आ गया था.
इन मंत्रियों के मंत्रालयों में हैं काफी चुनौतियां
बीडी कल्ला
गहलोत खेमे के मंत्री बी डी कल्ला के पास ऊर्जा और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी और भू-जल विभाग संभलवाया गया है. ये दोनों विभाग काफी बड़े हैं और इसमें बजट भी खूब है. लेकिन, सीधे तौर पर हर आम से जुडा़ होने के कारण बिजली और जलदाय दोनों ही विभाग काफी चुनौतीपूर्ण माने जाते है. लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना कल्ला के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि, बिजली और पानी को लेकर हमेशा लोगों में रोष देखने को मिलता रहा है.
रघु शर्मा
राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे के खास और गहलोत खेमे से ताल्लुक रखने वाले मंत्री रघु शर्मा के पास चिकित्सा एवं स्वास्थय के रूप में बड़ा मंत्रालय दिया गया है. इस मंत्रालय का बजट भी काफी बड़ा होता है. लेकिन, चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर ये विभाग भी हमेशा सवालों के कठघरे में खड़ा रहा है. पिछली सरकार के दौरान चिकित्सकों की हड़ताल सहित कई मामलों विभाग चर्चित रहा है. ऐसे में इसे संभालने में रघु शर्मा को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
जयपुर . सीएम अशोक गहलोत सरकार में बने मंत्रियों को विभागों का आवंटन हो गया है. देर रात तक दिल्ली में पार्टी हाईकमान राहुल गांधी के साथ उनके आवास पर गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बैठक के बाद सूची पर मुहर लग सकी. इसके बाद लिस्ट को जारी कर दिया गया. सूची के जारी होने के बाद से राज्य में सियासी चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म हो गया है. खासतौर पर उन मंत्रियों को लेकर चर्चा तेज है, जिन्हें बड़े मंत्रालय मिले हैं. इनमें कई मंत्रालय ऐसे भी हैं, जो की आम होने के बाद भी काफी खास हैं. वहीं, कुछ मंत्रालय ऐसे हैं जो कि बड़े जरूर हैं, लेकिन, उसी के अनुरूप उसकी चुनौतियां भी बनी हुई हैं.
मंत्रालयों का बंटवारा पार्टी हाईकमान के साथ मैराथन बैठक के बाद बनी सहमति से हो पाई है. ये बैठक देर रात तक चलती रही. पार्टी के उच्च सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान विभागों के बंटवारे को लेकर कई बार सियासी पेच फंसते रहे. लेकिन, आखिरकार रात दो बजे सहमति बनने के बाद टी रविकांत के दस्तखत के बाद सूची जारी कर दी गई है. हालांकि, मंत्रालयों के बंटवारे के दौरान सीएम गहलोत का पूरा प्रभाव दिखाई दिया. उन्होंने विभागों का बंटवारा अपने हिसाब से कराया है. गहलोत ने अपने पास गृह, वित्त और कार्मिक सहित 9 विभागों को रखा है. एक प्रकार से पूरी सरकार का मेन रिमोट कंट्रोल उन्होंने अपने पास ही रखा है. जबकि, डिप्टी सीएम पायलट के पास पीडब्ल्यूडी, पंचायती राज सहित 5 विभाग हैं. पायलट को मिले विभागों में दो विभाग पीडब्ल्यूडी और पंचायती राज हर मामले में खास हैं.
इसके अलावा कई मंत्री ऐसे भी हैं जिन्हें काफी खास मंत्रालय दिए गए हैं. जिनमें, खान, स्वायत्त शासन, परिवहन आदि शामिल हैं. ये मंत्रालय हर सरकार में चर्चा में रहे हैं. क्योंकि, इन विभागों को राजनीतिक हलकों में काफी मलाईदार माना जाता है. ऐसे में इन मंत्रालयों को संभालने वाले मंत्रियों को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. वहीं, जलदाय, बिजली सहित कई बड़े मंत्रालय ऐसे भी हैं जिन्हें संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि, पिछली सरकार के दौरान भी ये विभाद सियासी रूप से काफी चर्चित रहे हैं. आपको बता दें कि बड़ें मंत्रालयों के आवंटन में दोनों खेमों (गहलोत-पायलट) को संतुलित करने का प्रयास किया गया है. आइये आज हम बताते हैं कि कौन से खास और मलाईदार माने जाने वाले और कौन से चुनौतीपूर्ण विभाग किस-किस मंत्री को मिले हैं.
इन मंत्रियों को मिले खास मंत्रालय
प्रमोद जैन भाया
सचिन पायलट खेमे के माने जाने वाले मंत्री प्रमोद जैन भाया को खान विभाग दिया गया है. खान विभाग को जहां काफी मलाईदार माना जाता है. वहीं, ये मंत्रालय हमेशा सियासी चर्चा में बना रहता है. पिछली वसुंधरा सरकार के दौरान हुए खान घोटाले के बाद इस विभाग पर सबसे ज्यादा उंगलियां उठी थी. जिसके बाद ये मंत्रालय काफी चर्चित रहा है.
शांति धारीवाल
गहलोत खेमे से आने वाले शांति धारीवाल को स्वायत्त शासन विभाग संभलवाया गया है. यह यह तीसरा मौका होगा जब गहलोत सरकार में धारीवाल स्वायत्त शासन विभाग का जिम्मा संभालेंगे. ये विभाग बजट और निकाय के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. साथ ही इसे मलाईदार भी माना जाता है. धारीवाल पहले भी इस विभाग को संभालचुके हैं, ऐसे में वे मंत्रालय से पूरी तरह से वाकिफ भी हैं.
भंवर सिंह भाटी
गहलोत खेमे से राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी को उच्च शिक्षा का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है. उच्च शिक्षा को विभागीय रूप में काफी बड़ा माना जाता है. इसमें आने वाले बजट के लिहाज से भी ये मंत्रालय खास है.
गोविंद डोटासरा
गहलोत खेमे के ही गोविंद डोटासरा को प्राथमिक एंव माध्यमिक शिक्षा का (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया है. ये विभाग काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. शिक्षकों का वर्ग काफी बड़ा होने के कारण ये विभाग पूरे कार्यकाल के दौरान ही चर्चा में रहता है. वहीं, शिक्षा को लेकर आने वाला बजट भी काफी बड़ा होता है.
सुभाष गर्ग
आरएलडी से जीतकर आए सुभाष गर्ग को तकनीकी शिक्षा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृत शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया है. दोनों ही विभाग महत्वपूर्ण हैं. सुभाष गर्ग को गहलोत के खेमे का ही माना जाता है.
प्रताप सिंह खाचरियावास
डिप्टी सीएम पायलट के खेमे से आने वाले मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को परिवहन विभाग संभलवाया गया है. ये विभाग काफी मलाईदार माना जाता है. हालांकि, इस विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार के कारण आरोप भी खूब लगते रहते हैं. लेकिन, खास मंत्रालय होने के कारण इसकी चर्चा पूरे कार्यकाल के दौरान बनी रहती है.
रमेश चंद मीणा
पायलट खेमे से आने वाले मंत्री रमेश मीणा को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले संभलवाया गया है. सार्वजनित वितरण प्रणाली से जुड़ा होने के कारण ये मंत्रालय काफी चर्चा में रहता है. विभाग को मिलने वाला बजट जहां बड़ा होता है. वहीं, इस भ्रष्टाचार के कारण ये विभाग हमेशा से सवालों के घेरे में रहता है. पिछले समय में एक महिला डीएसओं के गेहूं घोटाला में फंसने के बाद विभाग काफी चर्चा में आ गया था.
इन मंत्रियों के मंत्रालयों में हैं काफी चुनौतियां
बीडी कल्ला
गहलोत खेमे के मंत्री बी डी कल्ला के पास ऊर्जा और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी और भू-जल विभाग संभलवाया गया है. ये दोनों विभाग काफी बड़े हैं और इसमें बजट भी खूब है. लेकिन, सीधे तौर पर हर आम से जुडा़ होने के कारण बिजली और जलदाय दोनों ही विभाग काफी चुनौतीपूर्ण माने जाते है. लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना कल्ला के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि, बिजली और पानी को लेकर हमेशा लोगों में रोष देखने को मिलता रहा है.
रघु शर्मा
राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे के खास और गहलोत खेमे से ताल्लुक रखने वाले मंत्री रघु शर्मा के पास चिकित्सा एवं स्वास्थय के रूप में बड़ा मंत्रालय दिया गया है. इस मंत्रालय का बजट भी काफी बड़ा होता है. लेकिन, चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर ये विभाग भी हमेशा सवालों के कठघरे में खड़ा रहा है. पिछली सरकार के दौरान चिकित्सकों की हड़ताल सहित कई मामलों विभाग चर्चित रहा है. ऐसे में इसे संभालने में रघु शर्मा को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
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