पहला विधानसभा चुनाव हारे थे गहलोत,संजय गांधी की खास थे
जोधपुर. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री होंगे। 67 साल के गहलोत इससे पहले 1998 और 2008 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। गहलोत संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं। वे उन नेताओं में से हैं जो गांधी परिवार के काफी करीबी रहे।
अशोक गहलोत 1973 से 1979 तक कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उन्होंने 1977 में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। इस चुनाव में वे हार गए थे। वे संजय गांधी के काफी करीबी माने जाते थे। 1980 के मध्यावधि चुनाव में गहलोत को जोधपुर से लोकसभा प्रत्याशी
घोषित किया गया। वे यहां से सांसद बनकर पहली बार राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे।
इंदिरा, राजीव और राव के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं गहलोत
गहलोत इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की केंद्र सरकार में पर्यटन, खेल और नागरिक उड्डयन मामलों के राज्य मंत्री रहे हैं। गहलोत को 1989 लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें भाजपा नेता जसवंत सिंह ने हराया था। लेकिन इसके बाद लगातार तीन बार वे जोधपुर के सांसद चुने गए। 1998 में वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद से वे सरदारपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से वे लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं।
संगठन पर गहलोत की पकड़
गहलोत को संगठन चलाने की क्षमता में माहिर माना जाता है। 1985 में 34 साल के गहलोत को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चार वर्ष तक वे इस पद पर रहे। इसके बाद वे दो बार
फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 2004 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्य बनाया गया। इसी साल उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। पांच वर्ष वे इस पद पर रहने के बाद फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में गहलोत कांग्रेस महासचिव हैं।
जोधपुर. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री होंगे। 67 साल के गहलोत इससे पहले 1998 और 2008 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। गहलोत संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं। वे उन नेताओं में से हैं जो गांधी परिवार के काफी करीबी रहे।
अशोक गहलोत 1973 से 1979 तक कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उन्होंने 1977 में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। इस चुनाव में वे हार गए थे। वे संजय गांधी के काफी करीबी माने जाते थे। 1980 के मध्यावधि चुनाव में गहलोत को जोधपुर से लोकसभा प्रत्याशी
घोषित किया गया। वे यहां से सांसद बनकर पहली बार राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे।
इंदिरा, राजीव और राव के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं गहलोत
गहलोत इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की केंद्र सरकार में पर्यटन, खेल और नागरिक उड्डयन मामलों के राज्य मंत्री रहे हैं। गहलोत को 1989 लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें भाजपा नेता जसवंत सिंह ने हराया था। लेकिन इसके बाद लगातार तीन बार वे जोधपुर के सांसद चुने गए। 1998 में वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद से वे सरदारपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से वे लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं।
संगठन पर गहलोत की पकड़
गहलोत को संगठन चलाने की क्षमता में माहिर माना जाता है। 1985 में 34 साल के गहलोत को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चार वर्ष तक वे इस पद पर रहे। इसके बाद वे दो बार
फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 2004 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्य बनाया गया। इसी साल उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। पांच वर्ष वे इस पद पर रहने के बाद फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में गहलोत कांग्रेस महासचिव हैं।
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