आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का संस्थापक मुकेश मोदी गिरफ्तार, निवेशकों के 100 करोड़ रुपये फंसे
बांसवाड़ा. आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के संस्थापक मुकेश मोदी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव द्वारा इस संस्था को वाइंड अप करने के निर्देश से निवेशकों में खलबली मच गई है. देशभर में सोसायटी की लगभग 800 शाखाएं हैं. जिनमें लाखों निवेशकों की अरबों रुपये की राशि का भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है.
वहीं बात करें अकेले बांसवाड़ा जिले में ही निवेशकों का करीब 100 करोड़ रुपये फंसा होने की आशंका जताई जा रही है. संस्थापक मोदी की गिरफ्तारी और सोसाइटी को वाइंड अप करने के निर्देश के बाद निवेशक इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनकी जमा राशि का क्या होगा. उन्हें अपनी जमापूंजी मिलेंगी या नहीं. वहीं इसे लेकर रोज निवेशक ब्रांच ऑफिस पहुंच रहे हैं लेकिन कर्मचारी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
6 दिसंबर को जारी हुआ था आदेश
दरअसल 6 दिसंबर को सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसायटी डॉ .अभिलक्ष लिखि ने आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को वाइंड-अप करने का आदेश जारी किया था. इसके साथ ही लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए लिक्विडेटर सेवानिवृत आईएएस एचएस पटेल को नियुक्त किया था. इस आदेश में सेंट्रल रजिस्ट्रार ने स्पष्ट लिखा है कि सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) के अनुसंधान में खुलासा हुआ है कि आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने सोसायटी में आए धन का दुरूपयोग करने के लिए अपने परिचितों और रिश्तेदारों के नाम से कंपनियां खोली. इसके साथ इनके डमी डायरेक्टर्स बनाए और इन कंपनियों को लोन देकर यह राशि रीयल स्टेट में इन्वेस्ट कर दी.
एसएफआईओ ने जब इन कंपनियों का सत्यापन किया तो पाया कि इन कंपनियों में कोई बिजनेस एक्टिविटीज नहीं हुई और ये सिर्फ दिखावे के लिए शेल कंपनी है. 120 कंपनियों के खिलाफ अनुसंधान में पाया गया कि सिर्फ 43 कंपनियों में 2334 करोड़ रुपये आए जो मुकेश मोदी ने स्थापित की हैं और इनमें से भी सबसे ज्यादा लोन 490 करोड़ रुपये आदर्श बिल्डस्टेट कंपनी को दिया गया.
फर्जी पते पर 125 कंपनियां खोली
सेंट्रल रजिस्ट्रार के लिखित आदेश में आयकर विभाग की कार्रवाई की भी जानकारी दी है. जिसमें लिखा है कि मोदी ने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से 125 से अधिक कंपनियां खोलीं. इन कंपनियों में कोई बिजनेस एक्टिविटीज नहीं है, न ही वे उन पतों पर है, जो बताए गए हैं. मुकेश मोदी उन कंपनियों का बही-खाता पेश करने में भी असफल रहे. अनुसंधान में पाया गया कि 9238 करोड़ रुपये इन कंपनियों में बतौर लोन दिए गए. इन कंपनियों से न तो कोई ब्याज प्राप्त हुआ और न ही मूलधन प्राप्त हुआ.
मोदी का नियंत्रण , रिश्तेदारों का प्रबंधन
कोऑपरेटिव के अनुसंधान में सामने आया कि 180 कंपनियों को 12406 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए. इनमें से 122 कंपनियां पूरी तरह मुकेश मोदी के नियंत्रण में हैं और प्रबंधन रिश्तेदारों द्वारा किया जा रहा था. सोने और चांदी के निवेश में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ियां पाई गईं.
बैलेंस शीट में 25 करोड़ का सोना, जांच में 8 करोड का निकला
सोसायटी ने बैलेंस शीट में 25 करोड़ रुपये के सोने में निवेश बताया हुआ था, जबकि अनुसंधान में 8 करोड़ रुपये के सोने और चांदी में ही निवेश पाया गया. लिखित आदेश में सेंट्रल रजिस्ट्रार ने स्पष्ट लिखा कि इन सभी रिपोर्ट्स, आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में हुई गड़बड़ियों, फंड के दुरूपयोग सहित एमएससीएस एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन पाया गया है. ऐसे में सोसायटी को वाइंड-अप करने के आदेश जारी किए जाते हैं और लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए सेवानिवृत आईएएस एचएस पटेल को नियुक्त किया जाता है.
सोसायटी का स्टे लाने का प्रयास
इधर सोसायटी के ब्रांच मैनेजरों का कहना है कि सोसायटी प्रबंधकों द्वारा उन्हें आश्वासन सब ठीक होने का आश्वासन दिया जा रहा है. निवेशकों का पैसा नहीं डूबेगा. लिक्विडेशन प्रक्रिया पर स्टे लाने के लिए सोसायटी कोर्ट गई है. कर्मचारी को नजर अब इस मामले पर अगली सुनवाई पर टिकी है.
बांसवाड़ा. आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के संस्थापक मुकेश मोदी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव द्वारा इस संस्था को वाइंड अप करने के निर्देश से निवेशकों में खलबली मच गई है. देशभर में सोसायटी की लगभग 800 शाखाएं हैं. जिनमें लाखों निवेशकों की अरबों रुपये की राशि का भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है.
वहीं बात करें अकेले बांसवाड़ा जिले में ही निवेशकों का करीब 100 करोड़ रुपये फंसा होने की आशंका जताई जा रही है. संस्थापक मोदी की गिरफ्तारी और सोसाइटी को वाइंड अप करने के निर्देश के बाद निवेशक इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनकी जमा राशि का क्या होगा. उन्हें अपनी जमापूंजी मिलेंगी या नहीं. वहीं इसे लेकर रोज निवेशक ब्रांच ऑफिस पहुंच रहे हैं लेकिन कर्मचारी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
6 दिसंबर को जारी हुआ था आदेश
दरअसल 6 दिसंबर को सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसायटी डॉ .अभिलक्ष लिखि ने आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को वाइंड-अप करने का आदेश जारी किया था. इसके साथ ही लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए लिक्विडेटर सेवानिवृत आईएएस एचएस पटेल को नियुक्त किया था. इस आदेश में सेंट्रल रजिस्ट्रार ने स्पष्ट लिखा है कि सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) के अनुसंधान में खुलासा हुआ है कि आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने सोसायटी में आए धन का दुरूपयोग करने के लिए अपने परिचितों और रिश्तेदारों के नाम से कंपनियां खोली. इसके साथ इनके डमी डायरेक्टर्स बनाए और इन कंपनियों को लोन देकर यह राशि रीयल स्टेट में इन्वेस्ट कर दी.
एसएफआईओ ने जब इन कंपनियों का सत्यापन किया तो पाया कि इन कंपनियों में कोई बिजनेस एक्टिविटीज नहीं हुई और ये सिर्फ दिखावे के लिए शेल कंपनी है. 120 कंपनियों के खिलाफ अनुसंधान में पाया गया कि सिर्फ 43 कंपनियों में 2334 करोड़ रुपये आए जो मुकेश मोदी ने स्थापित की हैं और इनमें से भी सबसे ज्यादा लोन 490 करोड़ रुपये आदर्श बिल्डस्टेट कंपनी को दिया गया.
फर्जी पते पर 125 कंपनियां खोली
सेंट्रल रजिस्ट्रार के लिखित आदेश में आयकर विभाग की कार्रवाई की भी जानकारी दी है. जिसमें लिखा है कि मोदी ने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से 125 से अधिक कंपनियां खोलीं. इन कंपनियों में कोई बिजनेस एक्टिविटीज नहीं है, न ही वे उन पतों पर है, जो बताए गए हैं. मुकेश मोदी उन कंपनियों का बही-खाता पेश करने में भी असफल रहे. अनुसंधान में पाया गया कि 9238 करोड़ रुपये इन कंपनियों में बतौर लोन दिए गए. इन कंपनियों से न तो कोई ब्याज प्राप्त हुआ और न ही मूलधन प्राप्त हुआ.
मोदी का नियंत्रण , रिश्तेदारों का प्रबंधन
कोऑपरेटिव के अनुसंधान में सामने आया कि 180 कंपनियों को 12406 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए. इनमें से 122 कंपनियां पूरी तरह मुकेश मोदी के नियंत्रण में हैं और प्रबंधन रिश्तेदारों द्वारा किया जा रहा था. सोने और चांदी के निवेश में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ियां पाई गईं.
बैलेंस शीट में 25 करोड़ का सोना, जांच में 8 करोड का निकला
सोसायटी ने बैलेंस शीट में 25 करोड़ रुपये के सोने में निवेश बताया हुआ था, जबकि अनुसंधान में 8 करोड़ रुपये के सोने और चांदी में ही निवेश पाया गया. लिखित आदेश में सेंट्रल रजिस्ट्रार ने स्पष्ट लिखा कि इन सभी रिपोर्ट्स, आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में हुई गड़बड़ियों, फंड के दुरूपयोग सहित एमएससीएस एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन पाया गया है. ऐसे में सोसायटी को वाइंड-अप करने के आदेश जारी किए जाते हैं और लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए सेवानिवृत आईएएस एचएस पटेल को नियुक्त किया जाता है.
सोसायटी का स्टे लाने का प्रयास
इधर सोसायटी के ब्रांच मैनेजरों का कहना है कि सोसायटी प्रबंधकों द्वारा उन्हें आश्वासन सब ठीक होने का आश्वासन दिया जा रहा है. निवेशकों का पैसा नहीं डूबेगा. लिक्विडेशन प्रक्रिया पर स्टे लाने के लिए सोसायटी कोर्ट गई है. कर्मचारी को नजर अब इस मामले पर अगली सुनवाई पर टिकी है.
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