*बाडमेर विधानसभा क्षेत्र कड़े मुकाबले में फंसे कर्नल,मेवाराम अभी सुरक्षित नही*
*बाडमेर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार अपने वर्चस्व की लड़ाई को लेकर कड़े मुकाबले में फंसे है तो अनुसूचित जाति मोर्चा के डॉ राहुल बामनिया ने दोनों के टेंशन पैदा कर दी।।कड़े मुकाबले में फंसे दोनो उम्मीदवारों के वोट बैंक खिसकते नजर आ रहे।।भाजपा प्रत्यासी कर्नल सोनाराम चौधरी क्षेत्र के जाट,दलित और रावणा राजपूत वोटों के गणित को पक्ष में रखकर टिकट ले आये थे।मगर शिव विधसनसबग क्षेत्र में कर्नल ने धन सिंह मौसेरी की उम्मीदवारी के साथ विश्वासघात कर खुमान सिंह को टिकट दिल दी। इसमें रावण राजपूत समाज के लोग नाराज हो गए।।कर्नल की शिव में दोगली राजनीति उनके समीकरणों को प्रभावित कर रही है। दलित वर्ग के वोट के लिए कर्नल ने राहुल बामनिया को उतारा जो अब उनके गले की फांस बन गया।। उनके परंपरागत जाट मतदाताओं में भी सेंध लगने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता।
दलित मतदाताओं को उदाराम मेघवाल की इस अपील के बाद कि उनका राहुल बामनिया से कोई सरोकार नही के बाद दलितों का रुख राहुल बामनिया से मुड़ने लग गया।इधर दलित नेता रूपाराम धनदे दलितों से निरन्तर संपर्क में है ।भाजपा निरन्तर प्रयास कर रही है मगर शहरी क्षेत्र में अभी तक भाजपा अपने ढंग से प्रचार शुरू नही कर पाए जबकि काँग्रेस ने शहर में अच्छी खासी पकड़ बना ली है। भाजपा के पास वोट बैंक के नाम पर परंपरागत जैन,ब्राह्मण,और राजपूत है तीनो भाजपा से नाराज है।।कर्नल सोनाराम जीत का गणित तैयार जरूर कर रहे है मगर इस गणित में किस किस की भागीदारी होगी अभी तय नही है। भाजपा कांग्रेस के किसी बड़े नेता की कोई रैली अभी तक नही हुई। शहर में चुनावी रंगत नही है तो ग्रामीण इलाकों में अभी मान मन्नुवल का दौर चल रहा है। कांग्रेस के पास मूल ओबीसी का वोट बैंक सुरक्षित है फिर भी इसमे सेंध लग जाये तो कोई आश्चर्य नही।।धीरे धीरे चुनाव परवान चढ़ रहा है।।दोनो प्रत्यासी अभी रूठो को मनाने के साथ साथ गांवो में जनसंपर्क भी कर रहे। बाडमेर का चुनाव दिलचस्प होने वाला है। इस वक़्त जीत का दम कोई प्रत्यासी भरने की स्थति में नही। आने वाले दिनों में मुकाबला रोचक होने की संभावना है जीत का अंतर बहुत कम रहने वाला है।।
*बाडमेर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार अपने वर्चस्व की लड़ाई को लेकर कड़े मुकाबले में फंसे है तो अनुसूचित जाति मोर्चा के डॉ राहुल बामनिया ने दोनों के टेंशन पैदा कर दी।।कड़े मुकाबले में फंसे दोनो उम्मीदवारों के वोट बैंक खिसकते नजर आ रहे।।भाजपा प्रत्यासी कर्नल सोनाराम चौधरी क्षेत्र के जाट,दलित और रावणा राजपूत वोटों के गणित को पक्ष में रखकर टिकट ले आये थे।मगर शिव विधसनसबग क्षेत्र में कर्नल ने धन सिंह मौसेरी की उम्मीदवारी के साथ विश्वासघात कर खुमान सिंह को टिकट दिल दी। इसमें रावण राजपूत समाज के लोग नाराज हो गए।।कर्नल की शिव में दोगली राजनीति उनके समीकरणों को प्रभावित कर रही है। दलित वर्ग के वोट के लिए कर्नल ने राहुल बामनिया को उतारा जो अब उनके गले की फांस बन गया।। उनके परंपरागत जाट मतदाताओं में भी सेंध लगने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता।
दलित मतदाताओं को उदाराम मेघवाल की इस अपील के बाद कि उनका राहुल बामनिया से कोई सरोकार नही के बाद दलितों का रुख राहुल बामनिया से मुड़ने लग गया।इधर दलित नेता रूपाराम धनदे दलितों से निरन्तर संपर्क में है ।भाजपा निरन्तर प्रयास कर रही है मगर शहरी क्षेत्र में अभी तक भाजपा अपने ढंग से प्रचार शुरू नही कर पाए जबकि काँग्रेस ने शहर में अच्छी खासी पकड़ बना ली है। भाजपा के पास वोट बैंक के नाम पर परंपरागत जैन,ब्राह्मण,और राजपूत है तीनो भाजपा से नाराज है।।कर्नल सोनाराम जीत का गणित तैयार जरूर कर रहे है मगर इस गणित में किस किस की भागीदारी होगी अभी तय नही है। भाजपा कांग्रेस के किसी बड़े नेता की कोई रैली अभी तक नही हुई। शहर में चुनावी रंगत नही है तो ग्रामीण इलाकों में अभी मान मन्नुवल का दौर चल रहा है। कांग्रेस के पास मूल ओबीसी का वोट बैंक सुरक्षित है फिर भी इसमे सेंध लग जाये तो कोई आश्चर्य नही।।धीरे धीरे चुनाव परवान चढ़ रहा है।।दोनो प्रत्यासी अभी रूठो को मनाने के साथ साथ गांवो में जनसंपर्क भी कर रहे। बाडमेर का चुनाव दिलचस्प होने वाला है। इस वक़्त जीत का दम कोई प्रत्यासी भरने की स्थति में नही। आने वाले दिनों में मुकाबला रोचक होने की संभावना है जीत का अंतर बहुत कम रहने वाला है।।
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