बाड़मेर। चुनाव से पहले एसपी का नहीं हुआ तबादला तो पत्रकार और उनके परिजन करेगे मतदान का बहिष्कार , मतदान और मतगणना की कवरेज नहीं करने का ऐलान
जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा कर एसपी को हटाने की मांग की
बाड़मेर। सैकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण को उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथा पर बाड़मेर पुलिस की तानाशाहीपूर्ण की गई। कार्यवाही के विरोध में पत्रकारों का आक्रोश दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है । इस मामले को लेकर पत्रकार काली पट्टी बांधकर पुलिस का विरोध कर है। वही सोमवार को पत्रकारों ने जिला कलेक्टर शिवप्रसाद मदान नकाते को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा कर एसपी मनीष अग्रवाल को हटाने की मांग की । उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एसपी को नहीं हटाया गया तो सभी पत्रकार और उनके परिजन आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेगे ओर साथ ही मतदान ओर मतगणना की कवरेज नही करने की घोषणा की ।
एसपी मनीष अग्रवाल जब से बाड़मेर आये है तब से लगातार अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के सिपाहियों को टॉरगेट कर प्रताड़ित करने के साथ उन पर द्वेष ओर तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही किये जा रहे है जिससे पत्रकार जगत में भारी रोष व्याप्त है । सत्ता और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हो रहे हमले की कड़े शब्दों में निदा की ओर कहा कि कहा कि जनता की आवाज उठाने वाले पर दमनचक्र किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि 2 नवंबर को पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के निर्देश पर कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़े में आए ओर वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथासे उनका मोबाइल छीनकर लिया। सार्वजनिक स्थान पर जबरदस्ती पकड़कर धक्का-मुक्की कर अपहरण करने की नीयत से बिना नंबरी कार में जबरदस्ती डालकर गैरकानूनी रूप से अगवा कर सदर थाने ले गए। वहां उन्हें करीब 1 घंटा गैर कानूनी रूप से हिरासत में भी रखा जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया।
इससे पूर्व भी बाड़मेर एसपी मनीष अग्रवाल ने पटना से व्हाट्सएप पर मिले एक वारंट के आधार पर बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को गिरफ्तार कर पटना भेज दिया था। वहीं बाड़मेर के पप्पू बृजवाल को भी बाड़मेर पुलिस ने निशाना बनाया था। इससे एसपी की नीयत में खोट साफ नजर आता है। एसपी अग्रवाल पहले भी कई गंभीर आरोपो में विवादित रहे चुके हैं।
जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा कर एसपी को हटाने की मांग की
बाड़मेर। सैकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण को उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथा पर बाड़मेर पुलिस की तानाशाहीपूर्ण की गई। कार्यवाही के विरोध में पत्रकारों का आक्रोश दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है । इस मामले को लेकर पत्रकार काली पट्टी बांधकर पुलिस का विरोध कर है। वही सोमवार को पत्रकारों ने जिला कलेक्टर शिवप्रसाद मदान नकाते को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा कर एसपी मनीष अग्रवाल को हटाने की मांग की । उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एसपी को नहीं हटाया गया तो सभी पत्रकार और उनके परिजन आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेगे ओर साथ ही मतदान ओर मतगणना की कवरेज नही करने की घोषणा की ।
एसपी मनीष अग्रवाल जब से बाड़मेर आये है तब से लगातार अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के सिपाहियों को टॉरगेट कर प्रताड़ित करने के साथ उन पर द्वेष ओर तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही किये जा रहे है जिससे पत्रकार जगत में भारी रोष व्याप्त है । सत्ता और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हो रहे हमले की कड़े शब्दों में निदा की ओर कहा कि कहा कि जनता की आवाज उठाने वाले पर दमनचक्र किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि 2 नवंबर को पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के निर्देश पर कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़े में आए ओर वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथासे उनका मोबाइल छीनकर लिया। सार्वजनिक स्थान पर जबरदस्ती पकड़कर धक्का-मुक्की कर अपहरण करने की नीयत से बिना नंबरी कार में जबरदस्ती डालकर गैरकानूनी रूप से अगवा कर सदर थाने ले गए। वहां उन्हें करीब 1 घंटा गैर कानूनी रूप से हिरासत में भी रखा जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया।
इससे पूर्व भी बाड़मेर एसपी मनीष अग्रवाल ने पटना से व्हाट्सएप पर मिले एक वारंट के आधार पर बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को गिरफ्तार कर पटना भेज दिया था। वहीं बाड़मेर के पप्पू बृजवाल को भी बाड़मेर पुलिस ने निशाना बनाया था। इससे एसपी की नीयत में खोट साफ नजर आता है। एसपी अग्रवाल पहले भी कई गंभीर आरोपो में विवादित रहे चुके हैं।
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