*कर्नल सोनाराम ने बाडमेर सीट मांगी,इसके अभाव में कोई बड़ा निर्णय लेने की संभावना,भाजपा को लग सकता है झटका*
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक पर पूर्व में बताया था कि सांनसड कर्नल सोनाराम चौधरी बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने को उतावले हो रहे है। कर्नल का एक ही सपना है कि विधायके मेवाराम जैन को हराना। इसके लिए उन्होंने वसुंधरा राजे से बाड़मेर सीट मांगी। कर्नल ने वसुंधरा राजे को जाट दलित और रावणा राजपूत वोटों का समर्थन और जीत का आधार बताव राजी कर लिया।।वसुंधरा राजे ने बाड़मेर सीट पर सिंगल पैनल नाम कर्नल सोनाराम का ही डाला
इधर कर्नल सोनाराम चौधरी हनुमान बेनीवाल के साथ भी अपनी दोस्ती बराबर निभा रहे थे। हनुमान बेनिवल को बाड़मेर जिले की राजनीति चौसर बिठाने में कर्नल ने न केवल मदद की बल्कि खुद के पुत्र डॉ रमन ,दलित नेता उदाराम मेघवाल को हनुमान बेनिवल के साथ भेज दिया।।कर्नल अपने समाधियों के साथ कांग्रेस अध्यक्ष तक दस जनपथ पहुंचने के प्रयास जारी रखे है।।इधर कर्नल ने बाडमेर की सीट को अपनी जिद में सुमार कर दिया। अमित शाह के द्वारा करवाए सर्वे में बाड़मेर की सीट पर कर्नल को कमज़ोर उम्मीदवार माना गया है रिपोर्ट में बताया गया कि जिला मुख्यालय की सीट पर कर्नल सोनाराम जैसे कट्टर जातिवाद नेता को उतारने से अन्य जातियां भाजपा से निकल जायेगी कांग्रेस उम्मीदवार को मदद मिलेगी।।इस सीट पर गैर जाट को उम्मीदवार बनाने की बात कही गई थी।जिस पर अमित शाह ने कर्नल के नाम पर सवाल उठाया तो वसुंधरा राजे ने कर्नल को ओसियां सीट ऑफर की तो कर्नल ने दो टूक कहा कि बाडमेर से ही टिकट चाहिए । वसुंधरा राजे के पास बाडमेर जिले में दमदार नेता के रूप में सिर्फ कर्नल ही बचे है।।उन्हें वो खोना नही चाहती पर केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे के तर्क से सरोकार नही रखती। कर्नल के पास हनुमान बेनिवल की पार्टी और कांग्रेस दोनो ऑप्शन है।।भाजपा को किसी भी वक़्त झटका दे सकते है। कर्नल डॉ रमन को राजनीति उत्तराधिकारी के रूप में इस साल स्थापित करना चाहते है।।कर्नल जानते है कि भाजपा सत्ता में लौटने वाली नही है। मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में आने के साथ कर्नल की काँग्रेज़ में एंट्री पर सवालिया निशान खड़ा हो गया। अभी राजनीति के कई रंग बदलने की संभावना है। टिकट वितरण के बाद आयाराम गयाराम का खेल शुरू होगा।
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक पर पूर्व में बताया था कि सांनसड कर्नल सोनाराम चौधरी बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने को उतावले हो रहे है। कर्नल का एक ही सपना है कि विधायके मेवाराम जैन को हराना। इसके लिए उन्होंने वसुंधरा राजे से बाड़मेर सीट मांगी। कर्नल ने वसुंधरा राजे को जाट दलित और रावणा राजपूत वोटों का समर्थन और जीत का आधार बताव राजी कर लिया।।वसुंधरा राजे ने बाड़मेर सीट पर सिंगल पैनल नाम कर्नल सोनाराम का ही डाला
इधर कर्नल सोनाराम चौधरी हनुमान बेनीवाल के साथ भी अपनी दोस्ती बराबर निभा रहे थे। हनुमान बेनिवल को बाड़मेर जिले की राजनीति चौसर बिठाने में कर्नल ने न केवल मदद की बल्कि खुद के पुत्र डॉ रमन ,दलित नेता उदाराम मेघवाल को हनुमान बेनिवल के साथ भेज दिया।।कर्नल अपने समाधियों के साथ कांग्रेस अध्यक्ष तक दस जनपथ पहुंचने के प्रयास जारी रखे है।।इधर कर्नल ने बाडमेर की सीट को अपनी जिद में सुमार कर दिया। अमित शाह के द्वारा करवाए सर्वे में बाड़मेर की सीट पर कर्नल को कमज़ोर उम्मीदवार माना गया है रिपोर्ट में बताया गया कि जिला मुख्यालय की सीट पर कर्नल सोनाराम जैसे कट्टर जातिवाद नेता को उतारने से अन्य जातियां भाजपा से निकल जायेगी कांग्रेस उम्मीदवार को मदद मिलेगी।।इस सीट पर गैर जाट को उम्मीदवार बनाने की बात कही गई थी।जिस पर अमित शाह ने कर्नल के नाम पर सवाल उठाया तो वसुंधरा राजे ने कर्नल को ओसियां सीट ऑफर की तो कर्नल ने दो टूक कहा कि बाडमेर से ही टिकट चाहिए । वसुंधरा राजे के पास बाडमेर जिले में दमदार नेता के रूप में सिर्फ कर्नल ही बचे है।।उन्हें वो खोना नही चाहती पर केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे के तर्क से सरोकार नही रखती। कर्नल के पास हनुमान बेनिवल की पार्टी और कांग्रेस दोनो ऑप्शन है।।भाजपा को किसी भी वक़्त झटका दे सकते है। कर्नल डॉ रमन को राजनीति उत्तराधिकारी के रूप में इस साल स्थापित करना चाहते है।।कर्नल जानते है कि भाजपा सत्ता में लौटने वाली नही है। मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में आने के साथ कर्नल की काँग्रेज़ में एंट्री पर सवालिया निशान खड़ा हो गया। अभी राजनीति के कई रंग बदलने की संभावना है। टिकट वितरण के बाद आयाराम गयाराम का खेल शुरू होगा।
अब कान्गैस लेगी नहीं ओर रास्ता जाता है सिर्फ
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