शनिवार, 3 नवंबर 2018

बाड़मेर। पेपर लीक प्रकरण को उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथा को पुलिस ने सार्वजनिक स्थान से धक्का-मुक्की कर लिया हिरासत में, पत्रकारों में भारी रोष ,सीएमओ ने लिया प्रसंज्ञान

बाड़मेर। पेपर लीक प्रकरण को उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथा को पुलिस ने सार्वजनिक स्थान से धक्का-मुक्की कर लिया हिरासत में, पत्रकारों में भारी रोष ,सीएमओ ने लिया प्रसंज्ञान




बाड़मेर। बाड़मेर पुलिस ने पेपर लीक प्रकरण के मामले में मनमानी व द्वेषपूर्ण कार्यवाही करते हुए प्रकरण को उजागर करने वाले जिले के वरिष्ठ पत्रकार प्रेमदान देथा शुक्रवार को सार्वजनिक स्थान से धक्का-मुक्की कर लिया हिरासत में ले लिया। जिसके बाद से ही बाड़मेर पुलिस के प्रति पत्रकारों में रोष व्यापत है। मीडिया ने सदर थानाधिकारी से पत्रकार को हिरासत में लेने की वजह पूछी गई तो उन्हें 'पेपर लीक होने का मामला' बताते हुए अपना पल्ला झाड़ दिया। वहीं पत्रकार को एविडेन्स के रूप में हिरासत में लेने की बात कही।






अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए पत्रकार को लिया हिरासत मे

दरअसल, गुरुवार को बाड़मेर जिले भर मे 17 परीक्षा केन्द्रों पर द्वितीय श्रेणी अध्यापको के लिए हिन्दी विषय की परीक्षा आयोजित हुई थी। जिसका पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और इसी मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार ने इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर पेपर लीक होने की खबर चलाई थी वहीं पेपर लीक होने की सूचना बाड़मेर जिला प्रशासन को भी दी थी। जिसके आरपीएससी ने बाड़मेर जिला प्रशासन को शाम तक पेपर लीक के संबंध मे रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये थे। पेपर लीक के मामले मे अपराधियों को ढूंंढने मे बाड़मेर पुलिस नाकामयाब रही और पत्रकार प्रेमदान को हिरासत मे ले लिया और सोर्स बताने की बात कही गई। प्रेमदान देथा ने बताया कि इससे पूर्व बाड़मेर जिला कलक्टर व एडीएम राकेश कुमार ने उनपर मुकदमा होने की भी धमकी दी। इस तरह की कार्यबाही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। पुलिस शायद यह भूल गई है कि किसी पत्रकार को किसी समाचार का सूत्र (सोर्स) बताने के लिए बाध्य नही किया जा सकता।



सीएमओ ने लिया प्रसंज्ञान
मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रसंज्ञान लिया है। बाड़मेर पुलिस की इस तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ पुलिस मुख्यालय भी सख्त हो गया।एडीजी क्राइम पीके सिंह ने जोधपुर रेंज के आईजी संजीव नार्जरी को बाड़मेर पुलिस की कार्रवाई की जांच के आदेश दिए हैं। पेपर लीक प्रकरण में अपनी नाकामी छिपाने के लिए पुलिस की ओर से की गई। इस मनमानी कार्रवाई की चौतरफा कड़ी निंदा होने के बाद पुलिस ने प्रेमदान को कुछ समय बाद रिहा कर दिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें