कानून लाकर अयोध्या में राम मंदिर बनाए सरकार।
संघ प्रमुख का यह बयान अब भाजपा के लिए कितना मायने रखता है?
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18 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय पर संघ का स्थापना दिवस मनाया गया। विजया दशमी पर होने वाले इस वार्षिक समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अब समय आ गया है, जब सरकार को कानून लाकर अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनवाना चाहिए। भागवत ने कहा कि राम मंदिर बनेगा तो देश में सद्भावना का माहौल भी बनगा। यदि राजनीति नहीं होती तो अब तक मंदिर बन जाता। भागवत ने यह बयान तब दिया है, जब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की सरकार चल रही है। साथ ही देश के 20 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। सब जानते हैं कि भाजपा की सरकार बनवाने में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अनुकूल परिस्थितियों के बाद भी अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनने से संघ भी चिंतित नजर आ रहा है। इसलिए संघ प्रमुख ने कानून लाकर मंदिर बनवाने की बात कही है। अब देखना होगा कि भाजपा के लिए संघ प्रमुख का बयान कितना महत्व रखता है। भाजपा पर अक्सर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह वोट की खातिर राम मंदिर का मुद्दा जिंदा रखती है। जब भी चुनाव होते हैं तो भाजपा के नेता मंदिर निर्माण का राग अलापने लग जाते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही आपसी सहमति की बात करते हैं। लेकिन अब भाजपा को सत्ता में बैठाने वाले संघ ने कानून बनाने की बात कह दी है। साफ है कि जब आपसी सहमति से मंदिर नहीं बन रहा है तो फिर संसद में कानून बनाना चाहिए। सवाल यह भी है कि जब इस समय केन्द्र और यूपी में भाजपा की सरकार है, तब अयोध्या में मंदिर नहीं बनेगा तो फिर कब बनेगा? यूपी के शिया समुदाय के एक बड़े वर्ग ने भी मंदिर निर्माण पर सहमति दी है। यह माना कि विवादित भूमि के मालिकाना हक का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन सरकार चाहे तो संसद में प्रस्ताव लाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। एससीएसटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव भी तो संसद में लगाया गया था। यह प्रस्ताव तो सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध लाई थी। राम मंदिर में तो अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी नहीं आया है। मालूम हो कि मध्यप्रदेश, राजस्थान छत्तीसगढ़ सहित 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ऐसे में संघ प्रमुख की नसीहत भाजपा के लिए खास मायने रखनी चाहिए। यह पहला अवसर है जब संघ प्रमुख ने कानून बनाने की बात कही है।
29 अक्टूबर को होनी है सुनवाईः
सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर को राम मंदिर के विवाद पर सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट भी पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि यह सुनवाई सिर्फ भूमि के टाइटल को लेकर है। यानि भागवत ने सुनवाई के दस दिन पहले सरकार को कानून बनाने की नसीहत दी है।
एस.पी.मित्तल) (18-10-18)
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