- *थार की राजनीतिक सामाजिक शख्सियत*
*महाराज चन्द्रवीर सिंह भाटी लोगो के दिलो में आज भी राज करते है*
*बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे,छपनिया अकाल में किया कार्य आज भी लोगो के जेहन में*
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक के लिए चन्दन सिंह भाटी*
कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते है जो हमेशा लोगों के दिलो में जिंदा रहते है।।उनका व्यक्तित्व और कृतित्व लोगो के जहन में बस जाता है।।।आज हम थार की शख्सियत के रूप में बात कर रहे है जजेसलमेर राजपरिवार के महाराज चन्द्रवीर सिंह भाटी की।।एक राजनेता और राजपरिवार के सदस्य के अलावा उनका व्यक्तित कई आयामो से लबरेज था।।1980 का संसदीय चुनाव की एक झलक आज भी मेरे जेहन में है।बहुत कम उम्र रही होगी मेरी उस वक़्त।।चुनावी माहौल था।जजेसलमेर के राजपरिवार के सदस्य चन्द्रवीर सिंह चुनाव मैदान में कांग्रेस के वृद्धि चंद जैन के सामने थे।उस दिन सदर बाजार में चन्द्रवीर सिंह का रोड शो था।।जजेसलमेर मेरे खून में बसा है ।राजपरिवार के सदस्य को देखने की जबरदस्त उत्सुकता थी।।मकान पास में था। बिना चपलो के बिना घर मे बताये ढाणी बाजार निकल गया।।पूरे बाजार की सड़क पर लाल कालीन बिछा था।।सड़क के दोनों और बड़ी संख्या में लीग खड़े चन्द्रवीर सिंह के जलसे के आने का इंतज़ार कर रहे थे। फूलों की बारिश के बीच चन्द्रवीर सिंह का काफिला आया।।एक झलक चन्द्रवीर सिंह की पहली और अंतिम बार देखी थी।मगर वो छवि आज भी मेरे जेहन में बसी है।।बाडमेर न्यूज़ ट्रैक में शख्सियत कॉलम लिखने के लिए इस बार मुझे चन्द्रवीर सिंह सर्वाधिक उपयुक्त लगे।।उनके बारे में ज्यादा जानकारी नही थी।।मगर मेरे आइडियल हीरो पे न लिखूं सम्भव नही।।आदरणीय रेणुका जी भाटी से बात कर समय लिया। हमने करीब एक घण्टे तक रेणुका जी से चन्द्रवीर सिंह के जीवन के विभिन पहलुओं पर चर्चा की। रेणुका जी कई बार भावुक भी हुए।।रेणुका जी का मुझे सदा स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहता है।।में भी अपने बचपन के हीरो के बारे में जानकारी प्राप्त कर रोमांचित हो रहा था।साथ ही अफसोस भी हो रहा था कि में ऐसी शख्सियत से मिला क्यों नही।।
राजपरिवार में 30 मार्च 1949 को चन्द्रवीर सिंह का जन्म हुआ था। बचपन से ही चन्द्रवीर सिंह काफी आकर्षक थे।।उनकी शिक्षा मेयो और गवर्नमेंट कॉलेज अजमेर में हुई।।
लोगो से मिलना और उनकी समस्याओं का समाधान करना उनका शौक था।उनकी आंखों में गजब की चमक थी तो चेहरे पर तेज़। मुझे बताता गया कि कई बार मंदबुद्धि लोग उनसे मिलते थे।।वो उनसे इतने प्रेम से पेश आते की जो मिला वो ठीक हो गया।जीवन भर का उनका मुरीद हो गया।।कई किस्से रेणुका जी ने सुनाए।।लोक गीत संगीत के बड़े शौकीन थे।।घुड़सवारी,तैराकी,सहित कई शौक थे।।गोपा चौक वाले ओटे से बड़ा लगाव था।यहां अक्सर आकर बैठते थे।।राजपरिवार के महाराज को इस तरह गोपा चौक में बैठा देख जेसलमेर वासी बड़े प्रस्सन होते थे।।लोगो से अक्सर हथाइयाँ करते।उनके सुख दुख जानते।।
चन्द्रवीर सिंह चर्चा में उस वक़्त आये जब छपन्निय अकाल पड़ा।सात साल लगातार अकाल के बाद जिले के हालात बदतर होते गए।दुर्भिक्ष से भरे ऐसे दिनों को काटना जेसलमेर वासियो के लिए मुश्किल हो गया।महाराज रघुनाथ सिंह जी चिंतित थे।।आखिर क्या किया जाए।इसी बीच राज्य सरकार ने निर्णयय ले लियाकी
जैसलमेर में भीषण अकाल के चलते यहां के लोगो को नहरी क्षेत्र गंगानगर में बसाया जाए।।अकाल के हालात बदतर ऊपर से सरकार का फरमान। राजपरिवार इस कठिन घड़ी में आगे आया।चन्द्र वीर सिंह ने कमान संभाली।महाराज रघुनाथ सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरकार के निर्णय का जोरदार तरीके से विरोध किया।।।चन्द्रवीर सिंह ने अकाल राहत कार्य खोलने और जनता को राहत देने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर धरना दे दिया।जनता की जरूरत के लिए महाराज द्वारा धरना देने का एकमात्र उदाहरण था।।जनता के सुख दुख में चन्द्रवीर सिंह हमेशा खड़े रहे। धरने से सरकार हिल गई।।इस वक़्त जेसलमेर में सिने अभिनेता सुनील दत्त की फ़िल्म रेश्मा और शेरा की शूटिंग चल रही थी।सुनील दत्त खुद जनता के हितार्थ चन्द्रवीर सिंह के साथ धरने पे बेठे।।आखिर जनता की जीत हुई। राजपरिवार ने भी अपने स्तर पर अकाल राहत कार्य आरंभ कर जनता को राहत दी।जनता को गंगानगर भेजने का फैसला भी वापस हुआ ।महाराज रघुनाथ सिंह विकास के हिमायती थे।उनके विकास कार्यो को आगे बढ़ाने का कार्य चन्द्रवीर सिंह ने किया।।
वार्ड पंच से विधायक तक सफर
चन्द्रवीर सिंह भाटी को राजनीति का शौक शुरू से रहा।वो सबसे पहले हड्डा गांव से वार्ड पंच का चुनाव जीते। हालांकि निर्विरोध पंच चुने गए।।बाद में 1980 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा।।जेसलमेर का सातवाँ विधान सभा चुनाव राजस्थान में इकतीस मई को हुआ ,जैसलमेर विधानसभा के एक लाख सात हज़ार पांच सौ बयासी मतदाताओं में से छपन हज़ार नौ सौ तीन मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमे बारह सौ छबीस मत खारिज हो गए ,इस बार चुनावो में इक्रनावे बूथों पर चुनाव हुए ,चुनावो में चंद्रवीर सिंह भाजपा से ,सोहन सिंह रावलोत कांग्रेस से ,बाल सिंह सोढा ,आर सी पुरोहित ,और मोहन लाल पुरोहित निर्दलीय मैदान में थे ,चुनावो में चंद्रवीर सिंह को सत्ताईस हज़ार सात सौ तीन मत ,सोहन सिंह रावलोत को सत्रह हज़ार चार सौ छिनु बाल सिंह को तीन हज़ार तीन सौ उनसतर ,आर सी पुरोहित को सात सौ उन नबे और महँ लाल को चार सौ बीस मत मिले। इन चुनावो में राज घराने के चंद्रवीर सिंह दस हज़ार से अधिक मतों से विजयी हो विधानसभा पहुंचे ,साथ ही भाजपा ने पहली बार अपना खाता खोला।।भाजपा का प्रवेश जेसलमेर में चन्द्रवीर सिंह की बदौलत हुआ।।चुनाव की रणनीति उनके अमर सागर महल से बनी।।भाजपा को पहली बार जेसलमेर से सफलता दिलाने वाले चन्द्रवीर सिंह थे।।
बाद में उन्हें पार्टी ने लोकसभा के लिए मैदान में उतारा।।भाजपा ने बाड़मेर जेसलमेर लोकसभा से पहली बार चन्द्रवीर सिंह भाटी को प्रत्यासी बनाकर मैदान में उतारा।।उनके सामने कांग्रेस के वृद्धि चंद जैन थे।।चुनाव में विरधी चंद को एक लाख अस्सी हजार नो सो सत्रह और चन्द्रवीर सिंह भाटी को एक लाख बयालीस हजार नो सो चालीस वोट मिले।करीब चालीस हजार मतों से चुनाव चन्द्रवीर सिंह हार गए।।मगर उन्होंने मतदाताओं के दिल जीत लिए।।जातिगत फेक्टर से वो पार नही पड़ पाए।।
जिला प्रमुख का उन्होंने चुनाव धर्मपत्नी श्रीमती रेणुका भाटी को लड़ाया।हालांकि चुनाव का सारा जिम्मा उनके पास ही रहा।।रेणुका भाटी जिला परिषद सदस्य और बाद में जिला प्रमुख बनी।।जेसलमेर की प्रथम महिला जिला प्रमुख बनने का श्रेय रेणुका भाटी को हे।उन्होंने अपने कार्यकाल में विकास के कार्य खूब करवाए।इसी बीच चन्द्र वीर सिंह को तबियत ठीक नही रहने के कारण वो तीन महीने के लिए अजमेर चले गए।।1995 के बाद से उनके स्वास्थ्य में गिरावट आती रही।।30 मार्च 2007 को उनका देवलोकगमन हो गया।।चन्द्रवीर सिंह भाटी आज भी लोगो के जेहन में बसे हैं।।
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