जैसलमेर महारानी सा ने लक्ष्मीनाथ जी की विधिवत पूजा कर चुनाव मैदान में उतरे।।।
जैसलमेर। भगवान लक्ष्मीनाथ जी मुझे शक्ति, सामर्थ्य एवं बल दे और जनता का पूर्वव्रत पावन स्नेह मिलता रहे : महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी।*
जैसलमेर की महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी ने कल सवेरे आसरी मठ के मठाधीश महाराज शिवसुख नाथ जी का आशीर्वाद लेकर दुर्ग स्थित भगवान लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में आरती में शामिल हुवी। आरती के पश्चात माँ स्वागिया की पूजा अर्चना के बाद दशहरा चोक में दुर्ग वाशियों ने ढोल नगाड़ों के साथ साथ पुष्प वर्षा और पुष्प मालाओं से स्वागत किया। महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी ने दुर्ग वाशियों को संबोधित करते हुवे कहा कि सर्व प्रथम मैं मेरे पूर्वजों के परम आराध्य और सिहासनाधीश भगवान श्री लक्ष्मी नाथ जी एवं अनन्य भक्त और भक्ति भावना रूप अभिभावकों और बेहेन -भाइयों को नमन करती हूं। आप सभी को यह ज्ञात ही है कि जैसलमेर के महारावल; श्री लक्ष्मी नाथ जी की आज्ञा से ही राज्य चलाते थे और आज भी उन्हीं की कृपा से जैसलमेर राजपरिवार का कार्य श्री लक्ष्मी नाथ जी की पावन कृपा से चल रहा है।
जैसलमेर राज्य के महारावलो को शक्ति बल श्री स्वांगिया जी से और सतोगुणी बल श्री लक्ष्मी नाथ जी से मिलता रहा है। उसी बल के आधार पर राज परिवार भगवती स्वांगिया जी और भगवान लक्ष्मी नारायण जी से तथा आप सभी लक्ष्मीनाथ जी के भक्तों से निवेदन करना चाहूंगी कि वह मुझे शक्ति, सामर्थ्य एवं बल दें और जनता का पूर्वव्रत पावन स्नेह मिलता रहे। ताकि शक्ति और भगवान की कृपा तथा आपके सहयोग से मैं अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकू।
9 सदियों पहले महारावल जैसल जी ने जैसलमेर की स्थापना की थी। इन 863 वर्षों में हमें अनेक परेशनियों का सामना किया और एक महान साम्राज्य का निर्माण किया। हमने विशाल चुनौतियाँ देखी हैं। हमने समय, प्रकृति और विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उत्पन्न परीक्षणों का सामना किया है। दुश्मन ना केवल फौलादी भाटीयों से डरते थे, बल्कि उनकी गरिमा की प्रशंसा भी करते थे।
प्राचीन काल से ही भाटी योद्धाओं की बहादुरी की पौराणिक कथाएँ प्रचलित है।
यह ताकत शाही परिवार और उसके नागरिकों के बीच संबंधों से ली गई थी | राजा सिर्फ सिंहासन के लिए पैदा नहीं हुए थे। वे सिंहासन के लिए त्याग और बलिदान भी देते थे। वे अपने नागरिकों की आंखों में देख कर यह जान लेते थे की वे कितने ईमानदार और बहादुर थे।
हमारी वफादारी और देशभक्ति निर्विवाद है | कई नौजवान देश के लिए शहीद हो गए।
आज चारों ओर शांति प्रतीत होती है। लेकिन युद्ध खत्म नहीं हुआ है।
अज्ञानता और लालच का पालन आज प्रचलित है हमारे बच्चों को वो सारे अवसर नहीं दिए गए जिसके वे योग्य हैं | हमारे नागरिक कई सुविधाओं से वंचित हैं।
आज एक नई हवा बह रही है। जैसलमेर के सामूहिक मानसिकता मे सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है। और हम सब इसका पूर्ण रूप से उपयोग करेंगे।
जैसलमेर की महारानी होते हुए मैं आप सब के कष्टों को, जो आप भोग रहे हैं उनका समाधान करने का प्रयत्न करूंगी और चाहती हूं कि भगवान लक्ष्मी नारायण और आप सब का आशीर्वाद मेरी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए शुफलित हो।
भगवान लक्ष्मी नारायण जी को मेरा नमन और आप सबका अभिनंदन और परिवार की मंगल कामना चाहती हूं। अतः मेरी भावनानुरूप सबका आशीर्वाद मिलेगा।
जैसलमेर। भगवान लक्ष्मीनाथ जी मुझे शक्ति, सामर्थ्य एवं बल दे और जनता का पूर्वव्रत पावन स्नेह मिलता रहे : महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी।*
जैसलमेर की महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी ने कल सवेरे आसरी मठ के मठाधीश महाराज शिवसुख नाथ जी का आशीर्वाद लेकर दुर्ग स्थित भगवान लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में आरती में शामिल हुवी। आरती के पश्चात माँ स्वागिया की पूजा अर्चना के बाद दशहरा चोक में दुर्ग वाशियों ने ढोल नगाड़ों के साथ साथ पुष्प वर्षा और पुष्प मालाओं से स्वागत किया। महारानी रासेश्वरी राज्य लक्ष्मी ने दुर्ग वाशियों को संबोधित करते हुवे कहा कि सर्व प्रथम मैं मेरे पूर्वजों के परम आराध्य और सिहासनाधीश भगवान श्री लक्ष्मी नाथ जी एवं अनन्य भक्त और भक्ति भावना रूप अभिभावकों और बेहेन -भाइयों को नमन करती हूं। आप सभी को यह ज्ञात ही है कि जैसलमेर के महारावल; श्री लक्ष्मी नाथ जी की आज्ञा से ही राज्य चलाते थे और आज भी उन्हीं की कृपा से जैसलमेर राजपरिवार का कार्य श्री लक्ष्मी नाथ जी की पावन कृपा से चल रहा है।
जैसलमेर राज्य के महारावलो को शक्ति बल श्री स्वांगिया जी से और सतोगुणी बल श्री लक्ष्मी नाथ जी से मिलता रहा है। उसी बल के आधार पर राज परिवार भगवती स्वांगिया जी और भगवान लक्ष्मी नारायण जी से तथा आप सभी लक्ष्मीनाथ जी के भक्तों से निवेदन करना चाहूंगी कि वह मुझे शक्ति, सामर्थ्य एवं बल दें और जनता का पूर्वव्रत पावन स्नेह मिलता रहे। ताकि शक्ति और भगवान की कृपा तथा आपके सहयोग से मैं अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकू।
9 सदियों पहले महारावल जैसल जी ने जैसलमेर की स्थापना की थी। इन 863 वर्षों में हमें अनेक परेशनियों का सामना किया और एक महान साम्राज्य का निर्माण किया। हमने विशाल चुनौतियाँ देखी हैं। हमने समय, प्रकृति और विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उत्पन्न परीक्षणों का सामना किया है। दुश्मन ना केवल फौलादी भाटीयों से डरते थे, बल्कि उनकी गरिमा की प्रशंसा भी करते थे।
प्राचीन काल से ही भाटी योद्धाओं की बहादुरी की पौराणिक कथाएँ प्रचलित है।
यह ताकत शाही परिवार और उसके नागरिकों के बीच संबंधों से ली गई थी | राजा सिर्फ सिंहासन के लिए पैदा नहीं हुए थे। वे सिंहासन के लिए त्याग और बलिदान भी देते थे। वे अपने नागरिकों की आंखों में देख कर यह जान लेते थे की वे कितने ईमानदार और बहादुर थे।
हमारी वफादारी और देशभक्ति निर्विवाद है | कई नौजवान देश के लिए शहीद हो गए।
आज चारों ओर शांति प्रतीत होती है। लेकिन युद्ध खत्म नहीं हुआ है।
अज्ञानता और लालच का पालन आज प्रचलित है हमारे बच्चों को वो सारे अवसर नहीं दिए गए जिसके वे योग्य हैं | हमारे नागरिक कई सुविधाओं से वंचित हैं।
आज एक नई हवा बह रही है। जैसलमेर के सामूहिक मानसिकता मे सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है। और हम सब इसका पूर्ण रूप से उपयोग करेंगे।
जैसलमेर की महारानी होते हुए मैं आप सब के कष्टों को, जो आप भोग रहे हैं उनका समाधान करने का प्रयत्न करूंगी और चाहती हूं कि भगवान लक्ष्मी नारायण और आप सब का आशीर्वाद मेरी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए शुफलित हो।
भगवान लक्ष्मी नारायण जी को मेरा नमन और आप सबका अभिनंदन और परिवार की मंगल कामना चाहती हूं। अतः मेरी भावनानुरूप सबका आशीर्वाद मिलेगा।
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