बाड़मेर तप की महिमा अपार-मनितप्रभसागर
तपस्वीयों का भव्य वरघोड़ा हुआ सम्पन्न
बाड़मेर। परम् पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरिश्वरजी म.सा. के विद्वान शिष्य, प्रखर प्रवचनकार मुनिराज मनितप्रभसागरजी म.सा. ने कुशल कांति मणि प्रवचन वाटिका कोटड़िया-नाहटा ग्राउण्ड में उपस्थित हजारों जनमानस को तप की महिमा बताते हुए कहा- तप की महिमा अपार है तप से तो इंद्र का सिहांसन भी डोल उठता है। तप के कारण ही महावीर, महावीर बने और आदिनाथ, आदिनाथ बने। तप के कारण ही जीव शिवत्व को प्राप्त करता है। तप करने का कहने में तो मात्र सरल होता हैं पर तप करने में मन का नियंत्रण करना होता है। तप वह है जो आत्मा को निर्मल और निर्दोष बनाता है। तप के 12 भेदों का विवेचन करते हुए कहा कि तप बाह्य आभ्यंतर दो प्रकार का है। बाह्य तप रूप भूख से कम खाना, उपवास करना या रुचिकर भोजन का त्याग करना, भोजन का सीमाकरण करना इसलिए है कि विनय, सेवा, स्वाध्याय में समय मिल सकें। यदि उपवास करके टी.वी., गप्प, हंसी-मजाक, नींद आदि में समय का अपव्यय होता है तो वह तप मात्र शरीर को तपाता है पर उससे आत्मा का कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता है। तप विचार को विमल, आचार को अमल और ध्यान को धवल बनाता है।
श्रेंयासप्रभसागर के अट्ठाई की अनुमोदना की। साथ ही साथ मासक्षमण, सिद्धितप, श्रेणिक तप, अट्ठाईया आदि तप करके जिन्होंने चैतन्य को पवित्र बनाया है वे अभिनदंन के पात्र हैं।
स्वर्णिम चातुर्मास 2018 व्यवस्था समिति के संयोजक शंकरलाल बोथरा व सहसंयोजक मदनलाल मालू ने बताया कि शनिवार को परम् पूज्य मनितप्रभ सागरजी म.सा. आदि ठाणा-4 की पावन निश्रा में मासक्षमण, सिद्धितप, श्रेणीतप, 5 उपवास से 15 उपवास तक के 125 तपस्वीयों का भव्य वरघोड़ा आज सम्पन्न हुआ।
भव्य वरघोड़ा वर्धमान स्वामी जिनालय, जूना किराडू मार्ग से प.पू. मनितप्रभसागर म.सा. के मंगलाचरण व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन, नगर परिषद् सभापति लूणकरण बोथरा व लाभार्थी मांगीलाल चिन्तामणदास संकलेचा परिवार द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया।
भव्य वरघोड़ा में सबसे आगे बैनर, जैन ध्वज, घुडसवार, नगारा वादक, जलधारा रथ, परमात्मा का भव्य रथ, कोषेलाव की सुप्रसिद्ध बाबु बैण्ड, मुनि भगवंत, सैकेड़ो श्रावक, सनावड़ा की गैर नृत्य व महिला मण्डल, सैकेडों श्राविकाएं, तपस्वीयों के भिन्न-भिन्न प्रकार के सजे हुए लगभग 30 तपस्वी रथ उसके बाद भगवान महावीर के जीवन चरित्र की झांकिया आकर्षक का मुख्य केन्द्र रही। वरघोड़ें में बाबु बैण्ड कोषेलाव के पीछे युवा शक्ति जमकर नृत्य करती हुई चल रही थी, जगह-जगह पर गुरू भगवन्न्तो को कंधो पर बिठाकर युवा वर्ग चल रहे थे। परमात्मा के रथ का व गुरू भगवन्तो का जगह-जगह चावलो की गुहलीयों से स्वागत किया गया। भव्य वरघोड़ा जिन-जिन मार्गो से गुजरा वहां भव्य रंगोली की संरचना की गई।
इन मार्गो से गुजरा भव्य वरघोड़ा जूना किराडू मार्ग से चिन्दडियों की जाल, ढ़ाणी बाजार, पीपली चौक, जवाहर चैक, छोटी ढ़ाणी, कल्याणपुरा, हमीरपुरा, जिनकान्तिसागरसूरी आराधना भवन, दरियागंज, करमूजी की गली, महाबार रोड़, नाहटो की गली, विद्यापीठ होता हुआ कुषल कान्ति मणी प्रवचन वाटिका पहुंचा। जहां धर्मसभा का आयोजन हुआ। हीरालालजी धारीवाल अध्यक्ष जैन श्री संघ चैहटन, उदयराजजी गांधी जोधपुर, मुल्तानमलजी नाहटा गांधीधाम, प्रकाश छाजेड़ सांचैर का समिति द्वारा बहुमान किया गया।
तपस्वीयों का भव्य वरघोड़ा हुआ सम्पन्न
बाड़मेर। परम् पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरिश्वरजी म.सा. के विद्वान शिष्य, प्रखर प्रवचनकार मुनिराज मनितप्रभसागरजी म.सा. ने कुशल कांति मणि प्रवचन वाटिका कोटड़िया-नाहटा ग्राउण्ड में उपस्थित हजारों जनमानस को तप की महिमा बताते हुए कहा- तप की महिमा अपार है तप से तो इंद्र का सिहांसन भी डोल उठता है। तप के कारण ही महावीर, महावीर बने और आदिनाथ, आदिनाथ बने। तप के कारण ही जीव शिवत्व को प्राप्त करता है। तप करने का कहने में तो मात्र सरल होता हैं पर तप करने में मन का नियंत्रण करना होता है। तप वह है जो आत्मा को निर्मल और निर्दोष बनाता है। तप के 12 भेदों का विवेचन करते हुए कहा कि तप बाह्य आभ्यंतर दो प्रकार का है। बाह्य तप रूप भूख से कम खाना, उपवास करना या रुचिकर भोजन का त्याग करना, भोजन का सीमाकरण करना इसलिए है कि विनय, सेवा, स्वाध्याय में समय मिल सकें। यदि उपवास करके टी.वी., गप्प, हंसी-मजाक, नींद आदि में समय का अपव्यय होता है तो वह तप मात्र शरीर को तपाता है पर उससे आत्मा का कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता है। तप विचार को विमल, आचार को अमल और ध्यान को धवल बनाता है।
श्रेंयासप्रभसागर के अट्ठाई की अनुमोदना की। साथ ही साथ मासक्षमण, सिद्धितप, श्रेणिक तप, अट्ठाईया आदि तप करके जिन्होंने चैतन्य को पवित्र बनाया है वे अभिनदंन के पात्र हैं।
स्वर्णिम चातुर्मास 2018 व्यवस्था समिति के संयोजक शंकरलाल बोथरा व सहसंयोजक मदनलाल मालू ने बताया कि शनिवार को परम् पूज्य मनितप्रभ सागरजी म.सा. आदि ठाणा-4 की पावन निश्रा में मासक्षमण, सिद्धितप, श्रेणीतप, 5 उपवास से 15 उपवास तक के 125 तपस्वीयों का भव्य वरघोड़ा आज सम्पन्न हुआ।
भव्य वरघोड़ा वर्धमान स्वामी जिनालय, जूना किराडू मार्ग से प.पू. मनितप्रभसागर म.सा. के मंगलाचरण व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन, नगर परिषद् सभापति लूणकरण बोथरा व लाभार्थी मांगीलाल चिन्तामणदास संकलेचा परिवार द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया।
भव्य वरघोड़ा में सबसे आगे बैनर, जैन ध्वज, घुडसवार, नगारा वादक, जलधारा रथ, परमात्मा का भव्य रथ, कोषेलाव की सुप्रसिद्ध बाबु बैण्ड, मुनि भगवंत, सैकेड़ो श्रावक, सनावड़ा की गैर नृत्य व महिला मण्डल, सैकेडों श्राविकाएं, तपस्वीयों के भिन्न-भिन्न प्रकार के सजे हुए लगभग 30 तपस्वी रथ उसके बाद भगवान महावीर के जीवन चरित्र की झांकिया आकर्षक का मुख्य केन्द्र रही। वरघोड़ें में बाबु बैण्ड कोषेलाव के पीछे युवा शक्ति जमकर नृत्य करती हुई चल रही थी, जगह-जगह पर गुरू भगवन्न्तो को कंधो पर बिठाकर युवा वर्ग चल रहे थे। परमात्मा के रथ का व गुरू भगवन्तो का जगह-जगह चावलो की गुहलीयों से स्वागत किया गया। भव्य वरघोड़ा जिन-जिन मार्गो से गुजरा वहां भव्य रंगोली की संरचना की गई।
इन मार्गो से गुजरा भव्य वरघोड़ा जूना किराडू मार्ग से चिन्दडियों की जाल, ढ़ाणी बाजार, पीपली चौक, जवाहर चैक, छोटी ढ़ाणी, कल्याणपुरा, हमीरपुरा, जिनकान्तिसागरसूरी आराधना भवन, दरियागंज, करमूजी की गली, महाबार रोड़, नाहटो की गली, विद्यापीठ होता हुआ कुषल कान्ति मणी प्रवचन वाटिका पहुंचा। जहां धर्मसभा का आयोजन हुआ। हीरालालजी धारीवाल अध्यक्ष जैन श्री संघ चैहटन, उदयराजजी गांधी जोधपुर, मुल्तानमलजी नाहटा गांधीधाम, प्रकाश छाजेड़ सांचैर का समिति द्वारा बहुमान किया गया।
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