सोमवार, 10 सितंबर 2018

बाड़मेर जैसलमेर *न पब्लिक भेड़ रही न नेता ग्वाले* *कांग्रेस नेताओं के अनुनय विनय पर व्यापारियों की खरी खोटी*

*न पब्लिक भेड़ रही न नेता ग्वाले*

*कांग्रेस नेताओं के अनुनय विनय पर व्यापारियों की खरी खोटी*

*बन्द से व्यापारियों ने हाथ खिंचे,खुले रखे प्रतिष्ठान*

*अरे भाई दस मिनट के लिए शटर बन्द कर दे क्या फर्क पड़ेगा नेता निकल जाए तो वापस खोल देना*

आज बाड़मेर जैसलमेर के बाजारों में अमूमन यही स्थति देखने को मिली।चार दिन पहले स्वेच्छा से बन्द को समर्थन दे चुके व्यापारी आज के कांग्रेस के बन्द का हिस्सा बनने से इनकार कर रहे थे।
*कारण साफ है अब जनता भेड़ें नही रही न ही नेता ग्वाले*

*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*


पहले नेताओ के पीछे जनता चलती थी क्योंकि वो नेता थे।।जनता के सुख दुख के भागीदार । जनता का मान सम्मान नेता और नेता का जनता मान सम्मान रखती।।ऐसे नेताओं की प्रजाति खत्म हो गई।तो जनता भी समझदार और जागरूक हो गई।जनता अपने अधिकारों के प्रति सजग होने के साथ नेताओ के पीछे बिना सोचे समझे चलना बन्द कर दिया।6 सितम्बर को अनुसूचित जाति जन जाती एक्ट के विरोध में व्यापारियों ने स्वेच्छिक बन्द रखा।।व्यापारियों ने भी अपने नेताओं से अपेक्षा की होगी कि उनके बच्चों के भविष्य के लिए नेता उनका साथ दे।मगर 6 सितम्बर को नेता नदारद रहे।।संयोगवश कांग्रेस ने 10 सितम्बर को देश व्यापी बन्द का ऐलान कर दिया। व्यापारी वर्ग पहले से अपना इरादा जता चुके थे कि वो बन्द में साथ नही देंगे।जेसलमेर में तो व्यापारियों ने बकायदा पेम्पलेट छपवाए और नेताओं में बांटे। *6 सितम्बर को आप कहाँ थे,10 सितम्बर के लिए क्यों आये*

शायद नेताओ के पास व्यापारियों के इस सवाल का कोई जवाब नही था।।आज भी नेता व्यापारियों से इज्जज़त रखने की दुहाई देकर दस मिनट ही सही शटर बन्द करने का आग्रह करते दिखे।।कुछ दुकान बंद हो गई तो तुरंत फोटो खींच के रिलीज कर दिए।।अब ये भी भी नही देखा कि पीछे दुकान आधी शटर से बन्द है। खैर व्यापारियों और जनता ने नेताओ को अहसास करवा दिया कि अब बो किसी के पीछे चलने वाली भेड़ें नही है न ही नेता ग्वाले जो मर्जी हो वहीं हांक दे।जनता के सुख दुख में साथ दोगे तो जनता आपका सर्च देगी।।हवाई दुनिया से बाहर निकला।।जनता जाग गई है।।

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