बाड़मेर । हमारा स्वभाव ही बनता है संसार का स्वरूप:- मनितप्रभसागर
बाड़मेर । थार नगरी बाड़मेर की धर्म धरा के अनमोल रत्न और खरतरगच्छाधिपति, आचार्य भगवन्त श्री जिन मणिप्रभ सूरीश्वर म.सा.के विद्वान शिष्य, प्रखर वक्ता व साहित्य सृजक मुनिराज मनितप्रभ सागर म.सा, मौन के आराधक मुनिराज समयप्रभ सागर म.सा, मुनिराज विरक्तप्रभ सागर म.सा.व मुनिराज श्रेयांसप्रभ सागर म.सा आदि ठाणा की पावन निश्रा में बुधवार को न्यू जैन मोहल्ला, बाड़मेर में मांगलिक प्रवचन एवं धर्मसभा का आयोजन हुआ ।
धर्मसभा में प्रखर वक्ता और साहित्य सृजक मुनिराज श्री मनितप्रभ सागर म.सा. ने धर्मप्रेमियों को प्रतिबोधित करते हुए कहा कि यह संसार हम सब के व्यवहार के अनुरूप ही कार्य करता है । मगर इस बात को आप-हम सब अज्ञानवश जान और समझ नही पाते है । अर्थात् इस संसार की प्रकृति हमारे स्वभाव पर ही निर्भर करती है । हम जिस प्रकार का सोचते, समझते और कार्य करते है, संसार उसी प्रकार क्रिया की प्रतिक्रिया करता है । संसार आईना है जो हमें हमारा सही चेहरा दिखाता है । लेकिन हम मन के विभिन्न भुलावों, लोभ, लालच व माया में आकर परम सत्य को भूल जाते है । कहने का तात्पर्य यह है कि हमारा स्वभाव ही संसार का मूल स्वरूप बनाता है ।
बाड़मेर । थार नगरी बाड़मेर की धर्म धरा के अनमोल रत्न और खरतरगच्छाधिपति, आचार्य भगवन्त श्री जिन मणिप्रभ सूरीश्वर म.सा.के विद्वान शिष्य, प्रखर वक्ता व साहित्य सृजक मुनिराज मनितप्रभ सागर म.सा, मौन के आराधक मुनिराज समयप्रभ सागर म.सा, मुनिराज विरक्तप्रभ सागर म.सा.व मुनिराज श्रेयांसप्रभ सागर म.सा आदि ठाणा की पावन निश्रा में बुधवार को न्यू जैन मोहल्ला, बाड़मेर में मांगलिक प्रवचन एवं धर्मसभा का आयोजन हुआ ।
धर्मसभा में प्रखर वक्ता और साहित्य सृजक मुनिराज श्री मनितप्रभ सागर म.सा. ने धर्मप्रेमियों को प्रतिबोधित करते हुए कहा कि यह संसार हम सब के व्यवहार के अनुरूप ही कार्य करता है । मगर इस बात को आप-हम सब अज्ञानवश जान और समझ नही पाते है । अर्थात् इस संसार की प्रकृति हमारे स्वभाव पर ही निर्भर करती है । हम जिस प्रकार का सोचते, समझते और कार्य करते है, संसार उसी प्रकार क्रिया की प्रतिक्रिया करता है । संसार आईना है जो हमें हमारा सही चेहरा दिखाता है । लेकिन हम मन के विभिन्न भुलावों, लोभ, लालच व माया में आकर परम सत्य को भूल जाते है । कहने का तात्पर्य यह है कि हमारा स्वभाव ही संसार का मूल स्वरूप बनाता है ।
इस दौरान प्रवचन-माला में सैंकड़ों की संख्या में जैन समाज के गणमान्य नागरिक और श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।
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