शुक्रवार, 15 जून 2018

बाड़मेर भाई नहीं था, तो पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए दो बेटियों ने दिया बैकुंठी को कंधा, मुखाग्नि भी दी



बाड़मेर भाई नहीं था, तो पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए दो बेटियों ने दिया बैकुंठी को कंधा, मुखाग्नि भी दी
भाई नहीं था, तो पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए दो बेटियों ने दिया बैकुंठी को कंधा, मुखाग्नि भी दी

| बाड़मेर







जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित रानीगांव में दो बेटियों ने न केवल अपने पिता के निधन के बाद उनकी अंतिम यात्रा में उन्हें कंधा दिया, बल्कि उनके अंतिम संस्कार के समय उन्हें मुखाग्नि भी दी।

रानीगांव के कविराज शिवनाथसिंह व उनकी पत्नी रेखा कंवर के बेटे नहीं होने के कारण उनकी सेवा के लिए उनकी ही दो बेटियां आगे आई और दोनों बेटियों ने अपने पिता की सेवा कर उन्हें बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्होंने अपनी बेटियों के कंधे पर अंतिम संस्कार व मुखाग्नि की इच्छा बेटियों के समक्ष जताई थी। गुरुवार को दोनों बेटियों ने पिता की बैकुंठी को कंधा दिया तो हर शख्स की आंखें नम हो गईं। पिता को मुखाग्नि देते हुए बेटी फफक कर बस इतना बोली कि पापा..हमें अकेला छोड़ गए। उन्होंने समाज में बेटियों को आगे बढ़ने के लिए एक नई मिसाल दी है, ताकि समाज में बेटी को भी बेटे से कम नहीं माना जा सके।

गांव में निकाली बैकुंठी, चंदन की लकड़ी से अंतिम संस्कार
85 वर्षीय कविराज शिवराजसिंह राव के पुत्र नहीं था। केवल दो बेटियां थी अने कंवर व श्याम कंवर। दोनों की शादीशुदा है, जिन्होंने शादी होने के बाद भी कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वो माता-पिता से दूर है। दूर शहरों में ब्याह के बाद भी समय-समय पर गांव आती और माता-पिता की सेवा में जुटी रही। पिता की भी आखिरी ख्वाहिश थी कि उनकी अर्थी को कंधा उनकी दोनों बेटियां ही देगी। पिता की इसी इच्छा पर बेटियों ने पूरा किया, जिसमें खासकर उनके जवाई मनोहरसिंह का सहयोग रहा।

 
लड़कियों का सामाजिक परंपराओं की बेड़ियों में बंधे रहने की बात अब पुरानी हो गई है। आज की बेटियों ने सामाजिक परम्पराओं की बंदिशों को तोड़ते हुए बेटों को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है। हर क्षेत्र में बेटियां बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। शहर क्षेत्र में तो जागरुकता बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र इन मामलों में काफी पिछड़ा रहा है, मगर अब गांवों में जागरुकता आने लगी है। इसके लिए ये महज यह उदाहरण ही काफी है।

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