बाड़मेर। दलित नेताओं ने बाड़मेर एसपी के निलम्बन की उठाई मांग
बाड़मेर। भारत बंद कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मण बडेरा ने बाड़मेर मे 2 अप्रेल को बंद मे शरीक दलित समुदाय के लोगों एवं नेताओं पर झूठे आपराधिक मामले दर्ज कर उन्हें बेवजह गिरफ्तार करने तथा पुलिस हिरासत मे लेकर मारपीट करने का आरोप पुलिस पर लगाते हुए यहां के पुलिस अधीक्षक के निलम्बन की मांग की हैं। बडेरा ने बताया कि पूर्व प्रधान उदाराम के साथ उन्होने केन्द्रीय मंत्री अर्जून मेघवाल, अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय सदस्य योगेन्द्र पासवाल, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह दीपक उत्प्रेती एवं राज्य के एससी आयोग से मिल कर समूचे मामले की जानकारी दी और न्याय की मांग की हैं।
एक विज्ञप्ति मे लक्ष्मण बडेरा ने बताया कि 2 अप्रेल को शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा था। इस बीच किसी वर्ग विशेष के उत्पाती लोगों ने दखल देकर बलवा खड़ा किया जिसके जवाब मे कुछ घायल हुए दलितों को देख साथियों ने भी जवाब देने की कोशिश की। किसी भी प्रदर्शनकारी ने किसी को लाठी से मारपीट नही की हैं। पुलिस प्रदर्शन कर रहे दलित नेताओं से कईं वर्षो से रूष्ट हैं तथा चुन चुन कर मुकदमों मे नाम डाल रही हैं। उन्होने समूचे वीडियो फुटेज की जांच की मांग भी की है।
उन्होने कहा कि किसी भी दलित नेता ने न तो किसी को उपद्रव के लिए उकसाया और न ही खुद ने उत्पात मचाया। ऐसे मे अनेक दलित नेताओं एवं कर्मचारियों को फंसाया जाकर दबिशें दी जा रही है। उन्होेने चेलेंज किया कि जिस वीडियो फुटेज की एसपी दलील दे रहे हैं उस किसी फुटेज मे किसी दलित नेता का चेहरा उत्पात मचाते हुए नही हैं।
उन्होने पूरे मामले की जांच बाड़मेर से बाहर की पुलिस से करवाने एवं एसपी के निलम्बन की मांग करते हुए सभी को ज्ञापन सौंपे और तब तक गिरफ्तारियों को रोकने की मांग की हैं। उन्होेने रोष व्यक्त किया और कहा कि पुलिस जिस बर्बरता से हिरासत मे लिये गये लोगों के साथ बदसलूकी एवं मारपीट कर रही हैं वह असंवैधानिक एवं नाजायज हैं।
बाड़मेर। भारत बंद कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मण बडेरा ने बाड़मेर मे 2 अप्रेल को बंद मे शरीक दलित समुदाय के लोगों एवं नेताओं पर झूठे आपराधिक मामले दर्ज कर उन्हें बेवजह गिरफ्तार करने तथा पुलिस हिरासत मे लेकर मारपीट करने का आरोप पुलिस पर लगाते हुए यहां के पुलिस अधीक्षक के निलम्बन की मांग की हैं। बडेरा ने बताया कि पूर्व प्रधान उदाराम के साथ उन्होने केन्द्रीय मंत्री अर्जून मेघवाल, अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय सदस्य योगेन्द्र पासवाल, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह दीपक उत्प्रेती एवं राज्य के एससी आयोग से मिल कर समूचे मामले की जानकारी दी और न्याय की मांग की हैं।
एक विज्ञप्ति मे लक्ष्मण बडेरा ने बताया कि 2 अप्रेल को शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा था। इस बीच किसी वर्ग विशेष के उत्पाती लोगों ने दखल देकर बलवा खड़ा किया जिसके जवाब मे कुछ घायल हुए दलितों को देख साथियों ने भी जवाब देने की कोशिश की। किसी भी प्रदर्शनकारी ने किसी को लाठी से मारपीट नही की हैं। पुलिस प्रदर्शन कर रहे दलित नेताओं से कईं वर्षो से रूष्ट हैं तथा चुन चुन कर मुकदमों मे नाम डाल रही हैं। उन्होने समूचे वीडियो फुटेज की जांच की मांग भी की है।
उन्होने कहा कि किसी भी दलित नेता ने न तो किसी को उपद्रव के लिए उकसाया और न ही खुद ने उत्पात मचाया। ऐसे मे अनेक दलित नेताओं एवं कर्मचारियों को फंसाया जाकर दबिशें दी जा रही है। उन्होेने चेलेंज किया कि जिस वीडियो फुटेज की एसपी दलील दे रहे हैं उस किसी फुटेज मे किसी दलित नेता का चेहरा उत्पात मचाते हुए नही हैं।
उन्होने पूरे मामले की जांच बाड़मेर से बाहर की पुलिस से करवाने एवं एसपी के निलम्बन की मांग करते हुए सभी को ज्ञापन सौंपे और तब तक गिरफ्तारियों को रोकने की मांग की हैं। उन्होेने रोष व्यक्त किया और कहा कि पुलिस जिस बर्बरता से हिरासत मे लिये गये लोगों के साथ बदसलूकी एवं मारपीट कर रही हैं वह असंवैधानिक एवं नाजायज हैं।
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