राजस्थान - कांग्रेस की जीत से खतरे में वसुंधरा राजे मंत्रिमंडल के कई नेताओं का भविष्य
राजस्थान में दो लोकसभा एवं एक विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से तीनों सीटें छीनकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को करारा झटका दिया है ,वहीं चुनाव में सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी के रूप में काम संभालने वाले राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों का भविष्य भी दांव पर लग गया है।
तीनों सीटों के रिजल्ट पर एक नजर
कांग्रेस के विवेक धाधड ने माडलगढ़ विधान सभा सीट पर अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के शक्ति सिंह हांडा को 12976 मतों से पराजित कर भाजपा से यह सीट छीन ली। अलवर में कांग्रेस के करण सिंह यादव ने बीजेपी उम्मीदवार जसवंत सिंह यादव को 40 ,000 वोटों और अजमेर में कांग्रेस के रघु शर्मा ने बीजेपी के स्वरूप लांबा को 20,648 शिकस्त दी।
खतरे में राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों का भविष्य
इस उपचुनाव में जीत के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरी ताकत लगाकर न केवल धुआंधार चुनाव प्रचार किया बल्कि अलवर और अजमेर के आठ-आठ विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार की कमान अपने विश्वस्त मंत्रियों को सौंपकर वहां वोट बटोरने की जिम्मेदारी दी थी। अलवर और अजमेर की आठ-आठ विधानसभा सीटों में सात-सात पर भाजपा विधायक होने से अब उनके भी टिकट अगले चुनाव में कटने का खतरा हो गया है। प्रदेश भाजपा सरकार ने विकास के नाम पर मतदाताओं से समर्थन मांगा लेकिन चुनाव नजदीक आते आते विकास का मुद्दा पिछड़ गया और धर्म तथा जाति के नाम पर मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के प्रयास अंतिम समय तक चलते रहे।
इन चुनावों में मतदाताओं ने प्रदेश की सरकार के प्रति नाराजगी, नौकरियों में भर्ती, किसानों की कर्ज माफी और स्थानीय समस्याओं के प्रति सरकार और उनके मंत्रियों की अनदेखी पर गुस्सा निकाला। राजनीतिक विश्लेषकों का यह आकलन काफी हद तक सही लगता है कि पूरी सरकारी मशीनरी और मंत्रिमंडल के सदस्यों को मतदाताओं के मूड की भनक तक नहीं लगी। इस हार से राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों की साख और भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। इन मंत्रियों में अलवर में श्रममंत्री जसवंत सिंह तो खुद ही उम्मीदवार थे और उनके सहयोग के लिए जल संसाधन मंत्री रामप्रताप, वन मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, पीएचईडी मंत्री सुरेन्द्र गोयल, उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत मंत्री दर्जा प्राप्त रोहिताश्व शर्मा और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बाबूलाल वर्मा डेरा डाले हुए थे।
इसी तरह अजमेर में सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान, पंचायती राज मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़, स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, सहकारिता मंत्री अजय किलक, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, देवस्थान राज्य मंत्री राजकुमार रिणवा, मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर और उपमुख्य सचेतकों, संसदीय सचिवों तथा विधायकों की फौज प्रचार के लिए मैदान में उतारी गई थी लेकिन किसी भी मंत्री या नेता के इलाके में भाजपा अपनी साख कायम नहीं रख सकी।
राजस्थान में दो लोकसभा एवं एक विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से तीनों सीटें छीनकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को करारा झटका दिया है ,वहीं चुनाव में सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी के रूप में काम संभालने वाले राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों का भविष्य भी दांव पर लग गया है।
तीनों सीटों के रिजल्ट पर एक नजर
कांग्रेस के विवेक धाधड ने माडलगढ़ विधान सभा सीट पर अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के शक्ति सिंह हांडा को 12976 मतों से पराजित कर भाजपा से यह सीट छीन ली। अलवर में कांग्रेस के करण सिंह यादव ने बीजेपी उम्मीदवार जसवंत सिंह यादव को 40 ,000 वोटों और अजमेर में कांग्रेस के रघु शर्मा ने बीजेपी के स्वरूप लांबा को 20,648 शिकस्त दी।
खतरे में राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों का भविष्य
इस उपचुनाव में जीत के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरी ताकत लगाकर न केवल धुआंधार चुनाव प्रचार किया बल्कि अलवर और अजमेर के आठ-आठ विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार की कमान अपने विश्वस्त मंत्रियों को सौंपकर वहां वोट बटोरने की जिम्मेदारी दी थी। अलवर और अजमेर की आठ-आठ विधानसभा सीटों में सात-सात पर भाजपा विधायक होने से अब उनके भी टिकट अगले चुनाव में कटने का खतरा हो गया है। प्रदेश भाजपा सरकार ने विकास के नाम पर मतदाताओं से समर्थन मांगा लेकिन चुनाव नजदीक आते आते विकास का मुद्दा पिछड़ गया और धर्म तथा जाति के नाम पर मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के प्रयास अंतिम समय तक चलते रहे।
इन चुनावों में मतदाताओं ने प्रदेश की सरकार के प्रति नाराजगी, नौकरियों में भर्ती, किसानों की कर्ज माफी और स्थानीय समस्याओं के प्रति सरकार और उनके मंत्रियों की अनदेखी पर गुस्सा निकाला। राजनीतिक विश्लेषकों का यह आकलन काफी हद तक सही लगता है कि पूरी सरकारी मशीनरी और मंत्रिमंडल के सदस्यों को मतदाताओं के मूड की भनक तक नहीं लगी। इस हार से राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों की साख और भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। इन मंत्रियों में अलवर में श्रममंत्री जसवंत सिंह तो खुद ही उम्मीदवार थे और उनके सहयोग के लिए जल संसाधन मंत्री रामप्रताप, वन मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, पीएचईडी मंत्री सुरेन्द्र गोयल, उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत मंत्री दर्जा प्राप्त रोहिताश्व शर्मा और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बाबूलाल वर्मा डेरा डाले हुए थे।
इसी तरह अजमेर में सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान, पंचायती राज मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़, स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, सहकारिता मंत्री अजय किलक, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, देवस्थान राज्य मंत्री राजकुमार रिणवा, मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर और उपमुख्य सचेतकों, संसदीय सचिवों तथा विधायकों की फौज प्रचार के लिए मैदान में उतारी गई थी लेकिन किसी भी मंत्री या नेता के इलाके में भाजपा अपनी साख कायम नहीं रख सकी।
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