बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

भीलवाड़ा फतवा था- महिला की डेड बॉडी को कोई हाथ नहीं लगाएगा, प्रेमी कंधे पर ले गया

फतवा था- महिला की डेड बॉडी को कोई हाथ नहीं लगाएगा, प्रेमी कंधे पर ले गया
फतवा था- महिला की डेड बॉडी को कोई हाथ नहीं लगाएगा, प्रेमी कंधे पर ले गया

राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के एक गांव में फतवे के चलते एक महिला का 12 घंटे तक अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। मामला भीलवाड़ा शहर के नजदीकी सुआणा गांव का है। यहां सोहनी देवी नामक एक विधवा महिला की मौत के बाद शव घर में 12 घंटे से भी अधिक समय तक घर में ताले में कैद पड़ा रहा, लेकिन न तो कोई परिजन अंतिम संस्कार के लिए आगे आया और न ही कोई गांव का व्यक्ति कंधा देने।




- दरअसल, पति की मौत के बाद सोहनी देवी का दलित युवक के साथ रहना ग्रामीणों को रास नहीं आया। मौत के बाद फतवा जारी कर दिया कि किसी ने भी अंतिम संस्कार में भाग लिया तो अंजाम बुरा होगा। गांव में जब यह तमाशा चल रहा था उस वक्त पुलिस भी वहां मौजूद थी लेकिन मूकदर्शक के तौर पर।

गांव ने सोहनी-नारायण को समाज से किया था बहिष्कृत

- मृतका सोहनी पति की मौत के बाद दलित युवक नारायण लाल के साथ रहने लगी। दो बच्चे मां के बजाय चाचा के साथ रह रहे थे। यह बात गांव को राश नहीं आई।

- इस पर ग्रामीणों ने सोहनी व नारायण को समाज से बहिष्कृत कर दिया। कुछ दिन पहले गंभीर रूप से बीमार होने पर नारायण उसे जयपुर लाया था। यहां इलाज के दौरान सोहनी की मौत हो गई। नारायण वापस गांव गया तो ग्रामीणों ने अंत्येष्टि नहीं करने दी।

पुलिस का इससे लेना-देना नहीं

पुलिस का मामले से कोई लेना-देना नहीं है। हमें न तो शिकायत मिली और न ही किसी ने मामला दर्ज करवाया।

यशदीप भल्ला, थाना प्रभारी, भीलवाड़ा सदर

हम तो शादी में बाहर थे, वापस आए तब तक अंतिम संस्कार हो गया था। परिजन ही आगे नहीं आए तो गांव के अन्य लोग कैसे जाते?

-दुर्गादेवी सरपंच, सुआणा

पति की मौत के बाद दलित प्रेमी के साथ रहती थी

- महिला का बेटा और बेटी भी अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए। उसकी बहन ने भी अंतिम वक्त पर साथ देने से मना कर दिया।

- ग्रामीणों ने नारायण को चेताया कि यहां उसका अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे। इसलिए उसे शव शहर लाना पड़ा।

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